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Book Release : राजू के कविता संग्रह ‘भगवान मेरे नहीं हैं’ का विमोचन

यह काव्य संग्रह वास्तव में एक रंजिश है। उस परम परमात्मा के प्रति जब मूलभूत सुविधाएं भी नसीब नहीं होती। तब ईश्वर के प्रति कुछ क्रोध कुछ असहमति के भाव उभर जाना स्वाभाविक है। उन क्षणों में भगवान के अस्तित्व को कुछ लोग चुनौती देते हैं ।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Fri, 18 Jun 2021 01:23 PM (IST)Updated: Fri, 18 Jun 2021 01:23 PM (IST)
Book Release : राजू के कविता संग्रह ‘भगवान मेरे नहीं हैं’ का विमोचन
राजेश्वर सिंह राजू की ये कविताएं कुछ शब्दों में ही बहुत कुछ बयान कर पाने में सक्षम हैं।

जम्मू, जागरण संवाददाता : कहानीकार, नाटककार, कवि एवं स्तंभकार राजेश्वर सिंह राजू के कविता संग्रह ‘भगवान मेरे नहीं हैं’ का विमोचन किया गया। यह काव्य संग्रह वास्तव में एक रंजिश है। उस परम परमात्मा के प्रति जब मूलभूत सुविधाएं भी नसीब नहीं होती। तब ईश्वर के प्रति कुछ क्रोध, कुछ असहमति के भाव उभर जाना स्वाभाविक है। उन क्षणों में भगवान के अस्तित्व को कुछ लोग चुनौती देते हैं तो कुछ सिर्फ अपनी असहमति अपने ही मन में दबा कर रखते हैं। ऐसा करने वालों की तादाद भारी होती है, क्योंकि गरीब और निम्न मध्यमवर्गीय लोगों का भगवान पर पूर्ण विश्वास होता है। लेकिन विश्वास को जब कहीं ठोकर लगती है तो मन में ऐसी भावना उत्पन्न होना सहज ही है।

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राजू के इस कविता संग्रह का विमोचन नोशन पब्लिकेशंस द्वारा नोशन प्रेस अमेजॉन और फ्लिपकार्ट के माध्यम से रिलीज किया गया। भगवान के प्रति आक्रोश, प्रेम, समर्पण को समर्पित अधिकतर कविताओं से भरे हुए इस कविता संग्रह में मानवीय संवेदनाओं, रिश्तों, राजनीति, सामाजिक कुरीतियों, औरतों के शोषण और प्यार-मोहब्बत पर केंद्रित कविताओं को भी स्थान दिया है। ये कविताएं कुछ शब्दों में ही बहुत कुछ बयान कर पाने में सक्षम हैं। अधिकांश कविताएं छंद मुक्त हैं। राजेश्वर सिंह राजू का कहना है कि पाठकों के लिए यह 89 कविताओं का संग्रह एक सुखद अनुभव रहेगा।

किताब का टाइटल पेज जिसे मृणालिनी सिंह ने बनाया है काफी आकर्षित होने के साथ-साथ प्रतीकात्मक भी है। यह उल्लेखनीय है कि राजेश्वर सिंह राजू विगत 30 वर्षों से साहित्य साधना में लगे हुए हैं। आरंभिक दौर में उन्होंने अंग्रेजी भाषा में लिखने से शुरुआत की। फिर राष्ट्रभाषा हिंदी में लिखने के साथ-साथ अपनी मातृभाषा डोगरी में भी लिखने को प्राथमिकता देने लगे। इनकी लिखी हुई रचनाएं ना केवल क्षेत्रीय बल्कि जम्मू से बाहर भी प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं में लगातार प्रकाशित हो रही हैं। इन के अभी तक लगभग 700 लेख, 100 कहानियां तथा 300 कविताएं अलग-अलग पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुकी हैं। इन्होंने लगभग 15 रंगम॔च नाटक भी लिखे जिन्हें प्रसिद्ध रंगमंच संस्थाओं ने मंचित किया।

इनके लिखे हुए लगभग 35 नाटक और 05 सीरियल आकाशवाणी जम्मू से प्रसारित हो चुके हैं। इसके साथ ही लगभग 20 नाटक, 10 सीरियल और 100 से भी ऊपर वृत्तचित्र दूरदर्शन केंद्र जम्मू, दूरदर्शन केंद्र श्रीनगर तथा डीडी काशिर से प्रसारित हो चुके हैं। अभी तक इनकी लिखी हुई नौ पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं, जिनमें पांच डोगरी भाषा में है तथा 04 हिंदी भाषा में है। 9 पुस्तकों में से तीन कविता संग्रह हैं तथा शेष पांच किताबें कहानी संग्रह हैं।


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