पिंगला माता मंदिर: शहीदों के नाम से अखंड ज्योति, यहां नवरात्र पर गूंजते हैं शहीदों के तराने
Pingla Mata templeऊधमपुर के पिंगला माता मंदिर में शहीदों के नाम से अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित की जाती है शारदीय नवरात्र पर पिंगला माता की रहती है धूम शहीदों के परिजन भी पहुंचते हैं
जम्मू, रोहित जंडियाल। ऊधमपुर स्थित पिंगला माता मंदिर में हर शारदीय नवरात्र पर शहीद जवानों के नाम से अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित की जाती है। नवरात्र पर पिंगला माता यात्रा की भी धूम रहती है। शहीदों के परिजन भी पहुंचते हैं, जिनका सम्मान किया जाता है। 1987 से हर वर्ष माता के दरबार में शहीदों के नाम से यह ज्योति प्रज्ज्वलित की जाती है। यहां मां के जयकारों के साथ शहीदों के तराने गूंजते हैं।
शारदीय नवरात्र में जम्मू-कश्मीर का पूरा वातावरण मां के जयघोष से गूंजने लगता है। वैष्णो देवी के साथ अन्य मंदिरों तक दर्जनों यात्राएं आयोजित होती हैं। हर ओर मां के जयकारे सुनाई पड़ते हैं, लेकिन ऊधमपुर के रामनगर क्षेत्र से चलने वाली यह यात्रा कुछ अनोखी है। यहां मां के जयकारों के साथ ही देश के लिए सर्वोच्च बलिदान करने वाले वीर सपूतों के सम्मान में तराने गूंजते हैं और मां के दरबार में इन शहीदों के नाम से अखंड ज्योति जलती है।
1987 में यात्रा शुरू
रामनगर में यह यात्रा वर्ष 1987 में उस वक्त शुरू की गई थी, जब पड़ोसी राज्य पंजाब में आतंक चरम पर था। आतंकियों से लोहा लेते कई जवान शहीद हो गए थे। रामनगर के स्वयंसेवी दिवंगत ओपी जंडियाल ने कुछ साथियों के साथ अखंड ज्योति कमेटी गठित की। मकसद था शहीदों के नाम नवरात्र में अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित करना और उनके परिवार के लिए प्रार्थना करना। साथ ही माता पिंगला के दरबार में यात्रा के माध्यम से शहीदों को श्रद्धांजलि भी देना।
शहीदों के नाम से अखंड ज्योति जलती है
पहली बार 24 अक्टूबर, 1987 को हाई कोर्ट के तत्कालीन जज जस्टिस केके गुप्ता ने माता पिंगला देवी के दरबार में शहीदों के नाम अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित की। उसके बाद शारदीय नवरात्र में हर वर्ष यहां शहीद जवानों के नाम अखंड ज्योति प्रज्ज्वलित होती है। कमेटी के सदस्य नवरात्र में अखंड ज्योति को यात्रा के रूप में माता पिंगला देवी के दरबार में ले जाते हैं। देश के विभिन्न भागों से इसमें श्रद्धालु शामिल होते हैं।
आतंकियों ने दीं है धमकियां
यात्रा के वर्तमान संयोजक विनय ने बताया कि इस बार छह अक्टूबर को अखंड ज्योति माता पिंगला देवी के दरबार में ले जाई जाएगी। देश की सुरक्षा में अपने प्राणों की आहुति देने वाले जवानों के परिजनों को सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने बताया कि आतंकियों ने कमेटी के सदस्यों को धमकियां भी दीं, लेकिन यात्रा पर इसका कोई असर नहीं पड़ा। यात्रा निर्बाध रूप से जारी है। इस वर्ष 32वीं बार यह यात्रा हो रही है।
अद्भुत है माता की पवित्र गुफा :
माता पिंगला देवी का दरबार जिस गुफा में शोभायमान है, वह अद्भुत है। पवित्र गुफा के भीतर प्राकृतिक घड़ा है, जिसे अमृत घड़ा कहा जाता है। मान्यता है कि इस घड़े में माता कन्याओं के लिए खाना पकाती थी। चट्टान के ऊपर बनी पिंडियों से जल सीधे घड़े में जाता है, जिसे श्रद्धालुओं में चरणामृत के रूप में दिया जाता है। गुफा के बाहर शेर के पंजे के निशान सभी को आकर्षित करते हैं। बाहर से गुफा छोटी दिखती है। प्रवेश के लिए लेट कर जाना पड़ता है, परंतु भीतर इतना बड़ा है कि एक साथ 300 से अधिक श्रद्धालु बैठ सकते हैं।
ऐसे आ सकते हैं यात्रा में :
माता पिंगला देवी के दरबार जाने के लिए जम्मू से 87 किलोमीटर दूर ऊधमपुर-रामनगर मार्ग पर कोघ गांव में स्थित आधार शिविर पहुंचा जा सकता है। यहां से श्रद्धालुओं को पैदल ही माता के दरबार पहुंचना पड़ता है। यात्रियों के ठहरने के लिए तीन सरायों का निर्माण किया गया है। नवरात्र में लोगों के ठहरने और खाने का पूरा प्रबंधक कमेटी करती है।
यह है कथा :
पिंगला माता गुफा के साथ कई कथाएं जुड़ी हुई हैं। सबसे प्रचलित कथा के अनुसार पिंगर गांव के बच्चे जानवरों को चराने के लिए जंगल में ले जाते थे। वहां पर एक कन्या उन्हें खाना बनाकर रोज खिलाती थी। कन्या ने उन्हें यह बात घर में बताने से मना किया था। रोजाना बच्चों ने घर में खाना खाना बंद कर दिया। इससे अभिभावक परेशान हो गए। एक दिन उन्होंने बच्चों का पीछा किया। कुछ समय बाद देखा कि एक कन्या इन बच्चों को खाना खिला रही है। जैसे ही कन्या की नजर अभिभावकों पर पड़ी, वह गुफा में चली गई और गायब हो गई। यही नहीं, गुफा के बाहर शेर के पंजे के निशान भी हैं।