Jammu: बिना वेतन कैसे पढ़ेंगी बेटियां: पीएचई कर्मियों की बेटियों ने सरकार से किया सवाल
आठ महीनों में केवल एक महीने का वेतन दिया गया। इससे सरकार की मंशा जाहिर होती है। जल्द ही यूनियन इस पर फैसला लेगी और एक बार फिर राज्य स्तर पर बड़े आंदोलन की शुरूआत होगी।
जम्मू, जेएनएन। केंद्र में बैठी मोदी सरकार ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ का राष्ट्रीय स्तर पर अभियान छेड़ रखा है पंरतु जम्मू-कश्मीर में यह अभियान मात्र दीवारों व पोस्टरों पर लिखे नारे के समान है। क्योंकि जमीनी हकीकत यह है कि राज्य सरकारी विभागों में कार्यरत अस्थायी कर्मियों को नियमित वेतन न मिल पाने के कारण उनके लिए अपने बच्चों को पढ़ाना मुश्किल हो गया है। जब सरकार कर्मियों को नियमित वेतन ही नहीं देगी तो कर्मी अपने बच्चों को खिलाएंगे क्या और पढ़ाएंगे कैसे? यह सवाल प्रदर्शनी मैदान में अपने पापा के साथ धरने पर बैठे बच्चों ने सरकार से पूछे।
उन्होंने इस बात पर अफसोस जाहिर किया कि अपने जीवन के महत्वपूर्ण साल विभाग की सेवा में देने के बावजूद उनकी सुनवाई नहीं हो रही है। पीएचई विभाग में इन अस्थायी कर्मियों की संख्या 35 हजार से अधिक है। अपनी तीन बेटियों के साथ धरने पर बैठे 45 वर्षीय नारायण सिंह ने बताया कि वह 23 सालों से पीएचई विभाग में कार्यरत हैं। हालत यह है कि पचास से भी अधिक महीनों से उन्हें वेतन नहीं मिला है। उनकी बड़ी बेटी सुहासनी फाइनल, मंझली बेटी मालवी फस्ट इयर जबकि सबसे छोटी बेटी साक्षी ग्यारहवीं की परीक्षा दे चुकी हैं। अब उन्हें अगली कक्षा में प्रवेश पाना है परंतु आर्थिक स्थिति बेहतर न होने के कारण उनके लिए बेटियों को आगे पढ़ाना मुश्किल हो रहा है।
वहीं जम्मू के कंडी क्षेत्र कापौता के रहने वाले मोहम्मद रशीद भी अपनी बेटी आसीफा के साथ धरने पर बैठे हुए थे। छठी कक्षा में पढ़ने वाली आसीफा ने बताया कि पापा कहते हैं कि उनके पास उसे पढ़ाने के लिए पैसे नहीं हैं। वह आज धरने पर सरकार से पापा का बकाया वेतन मांगने के लिए आई हैं ताकि रूपये मिलने पर वह अगली कक्षा में प्रवेश ले सकें। वहीं 53 वर्षीय नरेंद्र सिंह की बड़ी बेटी किरणमित कौर जो जम्मू यूनवर्सिटी में पीएचडी की छात्रा हैं और दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली हरजौत कौर भी धरने में शामिल हुईं। उनके अलावा अन्य कर्मियों के बच्चे भी हाथों में बैनर लिए अस्थायी कर्मियों को वेतन जारी जारी करने की मांग कर रहे थे।
सचिवालय में दबी हैं फाइलें
आल जेएंडके पीएचई आईटीआई ट्रेंड एंड सीपी वर्कर्स यूनियन के नेता दीपक गुप्ता ने कहा कि बकाया वेतन जारी करने व स्थायी नियुक्ति मामले पर टालमटोल किया जा रहा है। अधिकारी करते हैं कि अभी तक उन्होंने 2500 कर्मियों के मामले क्लीयर कर सचिवालय में स्थायी नियुक्ति के लिए भेज दिए हैं परंतु किसी पर भी कार्रवाई नहीं हुई है। बजट में भी कोई प्रावधान नहीं रखा गया। कर्मियों को नियमित वेतन देने के लिए 300 करोड़ रूपये की आवश्यकता था। जम्मू में इन कर्मियों की संख्या 22053 के करीब है। बकाया वेतन देने के लिए 196 करोड़ की आवश्यकता थी परंतु बजट में 47.50 करोड़ दिए गए। इतनी कम राशि में कर्मियों को साल में तीन महीने का वेतन ही दिया जा सकता है।
फिर उग्र आंदोलन करने को कर रहे मजबूर
यूनियन के प्रदेश प्रधान तनवीर हुसैन ने कहा कि टालमटोल की नीति से कर्मी परेशान हो चुके हैं। अब बात बच्चों के भविष्य पर पहुंच गई है। ऐसे में कर्मियों में गुस्सा फूटना स्वाभाविक है। कमिश्नर सेक्रेटरी पीएचई के आश्वासन पर कर्मियों ने आंदोलन को नरम किया था परंतु अब सब्र का बांध टूटने की कगार पर पहुंच गया है। वेतन न मिलने के कारण कर्मियों के लिए अपने बच्चों को पढ़ाना भी मुश्किल हो गया है। आठ महीनों में केवल एक महीने का वेतन दिया गया। इससे सरकार की मंशा जाहिर होती है। जल्द ही यूनियन इस पर फैसला लेगी और एक बार फिर राज्य स्तर पर बड़े आंदोलन की शुरूआत होगी।
यह है प्रमुख मांगे
- एसआरओ-520 के तहत स्थायी किया जाए।
- बकाया वेतन एक मुश्त जारी किया जाए।
- स्थायी होने तक वेतनमान लागू कर नियमित वेतन दिया जाए।