जम्मू-कश्मीर में रह रहे बाहरी राज्यों के लोगों को भी मिला वोट डालने का अधिकार, 25 लाख नए मतदाता बनेंगे
Assembly Poll In Jammu Kashmir देश के किसी भी हिस्से का कोई भी नागरिक जो शिक्षा नौकरी या श्रमिक के तौर पर सामान्य रूप से जम्मू-कश्मीर में रह रहा है वह अपना नाम मतदाता सूची में शामिल करा सकता है। इसके लिए पूरी प्रक्रिया तय की जा रही है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो : जम्मू-कश्मीर में रहने वाला देश का कोई भी व्यक्ति अब जम्मू-कश्मीर में भी मतदान कर सकेगा और अपनी पसंद के नेता को वोट देने का हकदार होगा। जम्मू-कश्मीर का मतदाता बनने के लिए उसे यहां के डोमिसाइल की जरूरत भी नहीं होगी। अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद जम्मू कश्मीर में पहली बार बन रही मतदाता सूचियों में इस विशेष संशोधन से करीब 25 लाख नए मतदाता बनेंगे। मतदाता सूचियों में विशेष संशोधन की प्रक्रिया को 25 नवंबर तक पूरा कर लिया जाएगा।
जम्मू कश्मीर के मुख्य निर्वाचन अधिकारी हृदेश कुमार सिंह ने जम्मू में निर्वाचन भवन में पत्रकार वार्ता में बताया कि देश के किसी भी हिस्से का कोई भी नागरिक जो शिक्षा, नौकरी या श्रमिक के तौर पर सामान्य रूप से जम्मू- कश्मीर में रह रहा है, वह अपना नाम मतदाता सूची में शामिल करा सकता है। इसके लिए पूरी प्रक्रिया तय की जा रही है। देश के विभिन्न हिस्सों के निवासी जो सेना या अर्द्धसैनिक बलों में जम्मू-कश्मीर में तैनात हैं, वे भी यहां के वोटर बन सकते हैं। कश्मीर से विस्थापित होने वाले हिंदू व अन्य को चुनाव संबंधी सुविधाएं पहले की तरह मिलती रहेंगी।
मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि जो नागरिक एक अक्टूबर 2022 तक 18 वर्ष की आयु प्राप्त कर लेगा, वे सभी मतदाता सूची में अपना नाम दर्ज करा सकेंगे। जम्मू-कश्मीर में 18 साल से अधिक आयु के युवाओं की जनसंख्या 98 लाख के करीब है, जबकि पिछली मतदाता सूची में इनकी आबादी करीब 76 लाख थी। इस तरह 20 से 25 लाख नए मतदाता बनेंगे। बूथ स्तर, निर्वाचन पंजीकरण, सहायक निर्वाचन पंजीकरण और जिला चुनाव अधिकारी से कहा गया है कि अंतिम मतदाता सूची में कोई गलती नहीं हो। दूसरे राज्यों के लोगों को जम्मू-कश्मीर में मतदाता बनाने के लिए दस्तावेजों की जांच संबंधित अधिकारी करेंगे।
बड़े बदलाव के साथ आएंगी मतदाता सूचियां : जम्मू-कश्मीर में एक जनवरी, 2019 के बाद अब पहली बार मतदाता सूचियों में संशोधन किया जा रहा है। इस बीच, विधानसभा क्षेत्रों का परिसीमन भी हुआ और सात सीटें बढ़कर 90 हो गईं। कुछ सीटों को विलोपित किया गया है और इनकी जगह नए नाम से विधानसभा क्षेत्र बना है। अनु'छेद 370 की समाप्ति से पहले जम्मू-कश्मीर में वाल्मीकि, गोरखा समुदाय और पश्चिम पाकिस्तान से आए लोगों को मतदान करने हक भी नहीं था। अब ये लोग मतदान कर पाएंगे। इसलिए मतदाता सूचियों में भारी बदलाव देखने को मिलेगा।