National Epilepsy Day : मिर्गी के दौरों को लेकर जागरूक नहीं हैं जम्मू-कश्मीर के लोग
जम्मू-कश्मीर में भी ऐसे कई लोग हें जो कि मिर्गी का दौरा पड़ने पर इलाज नहीं करवाते। डाक्टरों का कहना है कि मरीज का इलाज करवाने पर वह ठीक हो सकता है।
जम्मू, रोहित जंडियाल । मिर्गी का दौरा आने पर अक्सर लोग घबरा जाते हैं। उन्हें पता ही नहीं चल पाता है कि क्यों करे। कई लोग उसका देसी इलाज करने में जुट जाते हें। लेकिन यह सही नहीं है। इसका पूरा इलाज संभव है। परंतु जागरूकता के अभाव में ऐसा नहीं होता। जम्मू-कश्मीर में भी ऐसे कई लोग हें जो कि मिर्गी का दौरा पड़ने पर इलाज नहीं करवाते। डाक्टरों का कहना है कि मरीज का इलाज करवाने पर वह ठीक हो सकता है।
मिर्गी के दौरे में मरीज के हाथ पैर अकड़ जाते हैं। मरीज बेहोश हो जाता है। मुंह से झाग आने लगते हैं तथा कई बार जीभ भी कट सकती है। न्यूरो सांइसेज विभाग के वरिष्ठ डाक्टर यीशू सिंह का कहना है कि कुछ दौरे थोड़ी देर के लिए बेहोशी जैसे होते हैं। मरीज बोलना बंद कर देते हैं। कुछ दौरों में सिर्फ हाथ पैर में झटके आते हैं तथा हाथों से सामान छूट जाता है। उन्होंने कहा कि अगर किसी को बार बार बेहोशी के दौरे आ रहे हो तो ऐसे मरीज का वीडियो बनाकर डॉक्टर को दिखा देना चाहिए। इसके लिए दो प्रकार की जा़ंच होती है। एक दिमाग का एमआरआई और दूसरा दिमाग की ईईजी। इसी के आधार पर मिर्गी के दौरे की पुष्टि होती है। लेकिन ईईजी सही सेंटर में ही होनी चाहिए।
यह मनोरोग नहीं है
डाक्टरों का कहना है कि कई लोग मिर्गी के दौरे को मनोरोग समझ लेते हैं। यह लोग झाड़ फूंक का सहारा लेते हें। लेकिन ऐसा नहीं करना चाहिए। दौरा पड़ने पर इलाज करवाना चाहिए। डा. यीशू का कहना है कि मिर्गी के दौरे का मरीज भी अन्य सामान्य लोगों की तरह ही होता है। मिर्गी के दौरे का कारण जन्म के समय ब्रेन को आक्सीजन की मात्रा सही नहीं मिलना है। कई बार बच्चों में मस्तिष्क में इंफेक्शन के कारण भी यह समस्सा होती है। युवा अवस्था में हेड इंजूरी के कारण भी मिर्गीके दौरे पड़ते हैं। वहीं अधिक उम्र में स्ट्रोक के कारण मिर्गी के दौरे पड़ने की आशंका रहती है।
बरतें सावधानी
डाक्टरों के अनुसार अगर मिर्गी के दौरों से बचना है तो यह जरूरी है कि प्रसव के कारण मां और बच्चे दोनों की सही देखभाल हो। अगर बच्चे के दिमाग में इंफेक्शन है तो उसका सही इलाज करवाएं। ड्राइविंग करते समय हेलमेट और सीट बेल्ट पहनें। पारंपरिक जीवनशैली अपनाएं।
यह होते हैं लक्षण
जिन मरीजों को एपीलैप्सी होती है अचानक बेहोश हो जाते हैं। खड़े खड़े ही गिर जाते हैं। मुंह से झाग निकलती है और कपड़ों में ही पेशाब हो जाता है। कई बार मरीज एक ही चीज को देखते रहते हैं और उनमें अन्य कोई भी लक्षण नहीं होता। कई बार मरीज को दौरा पड़ने से पहले डर सा महसूस होता है। उन्हें सुनने में समस्या होती है।