पीडीडी अस्थायी कर्मियों ने कहा राज्यपाल को नहीं उनकी परवाह
कर्मियों ने कहा कि उन्हें बिना वेतन काम करते हुए सात साल से अधिक समय हो गया है। जो अधिकारी उनके इस आंदोलन को गलत ठहरा रहे हैं, वे केवल तीन माह बिना वेतन काम करके बताएं।
जम्मू, जेएनएन। बिजली विभाग में काम कर रहे कैजुअल कर्मियों में इस बात को लेकर खासा रोष है कि पीडीडी प्रबंधन की तरह राज्यपाल को भी उनकी कोई परवाह नहीं है। चीफ इंजीनियर कार्यालय के बाहर दिन-रात धरने पर बैठे एक सप्ताह पूरा हाेने को है परंतु अभी तक उनकी सुध लेने को कोई आगे नहीं आया है। चीफ इंजीनियर भी केवल यह कहकर खानापूर्ति कर देते हैं कि उनकी मांगों पर सरकार विचार कर रही है। धरने पर बैठे कर्मियों ने कहा कि इन झूठे आश्वासनों से घर-परिवार नहीं चलते। उन्हें बिना वेतन काम करते हुए सात साल से अधिक समय हो गया है। जो अधिकारी उनके इस आंदोलन को गलत ठहरा रहे हैं, वे केवल तीन माह बिना वेतन काम करके बताएं।
धरने पर बैठे कुंजवानी से आए शाम लाल ने बताया कि बिजली विभाग की सेवा करते हुए उन्होंने अपने दोनों हाथ गंवा दिए। अधिकारियों ने मुआवजे के तौर पर इलाज के लिए पचास-साठ हजार रूपये जारी कर अपनी जिम्मेदारियों से इति कर ली। वास्तविकता यह है कि पूरा इलाज कराने के लिए उन्हें दोस्तों-रिश्तेदारों से लाखों रूपये का उद्धार उठाना पड़ा। आज भी वह उद्धार चुका नहीं पाए हैं। वहीं बिलावर से आए शाम कुमार भी सर्विस लाइन की मरम्मत करते हुए अपनी एक बाजू गंवा चुके हैं। उन्होंने बताया कि नियमित वेतन मिलना तो दूर उन्हें इलाज के लिए भी विभाग की ओर से कोई सहायता नहीं मिली। अभी तक वे इलाज पर सात लाख रूपये से अधिक राशि खर्च कर चुके हैं। मुआवजा देना तो दूर अधिकारी इस हादसे के लिए उन्हें ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।
आल जेएंडके पीडीडी कैजुअल लेबर यूनियन के प्रधान अखिल शर्मा ने कहा कि बिजली विभाग में 62 प्रतिशत फील्ड स्टाफ की कमी है। हम कैजुअल कर्मी भी बिजली सप्लाई व्यवस्था को बना रहे हैं। लाइनों में खराबी आने पर उन्हें ही ठीक करना पड़ती है। ऐसे में जब कभी कोई कर्मी विभागीय लापरवाही के कारण हादसे का शिकार हो जाता है तो अधिकारी उसे ही कसूरवार ठहरा अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ लेते हैं।
आशीष कुमार ने कहा कि सरकार को अब इन कर्मियों की सुख लेनी चाहिए। न सिर्फ कर्मियों को बकाया वेतन जारी किया जाए बल्कि उन्हें एसआरओ-381 का लाभ देते हुए विभाग में स्थायी भी किया जाए। धरने पर बैठे कर्मियों ने कहा कि वे अपना हक पाकर ही पीछे हटेंगे। इस दौरान कर्मियों ने अगले दो दिनों के भीतर एक बार फिर शहर में रोष रैली निकालने की घोषणा भी की।