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प्रशासन ने पकड़ी गांव की डगर तो पंचायत प्रतिनिधि हुए मुखर, 3 दिसंबर से भूख हड़ताल पर जाने का एलान

इस मसले को जून में तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा शुरू किए गए गांव की ओर अभियान के दौरान भी उठाया था लेकिन कोई समाधान नहीं निकाला गया।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 27 Nov 2019 11:10 AM (IST)Updated: Wed, 27 Nov 2019 11:10 AM (IST)
प्रशासन ने पकड़ी गांव की डगर तो पंचायत प्रतिनिधि हुए मुखर, 3 दिसंबर से भूख हड़ताल पर जाने का एलान

जम्मू, राज्य ब्यूरो। जम्मू कश्मीर प्रशासन पंचायती राज संस्थाओं की मजबूती के लिए गांव की ओर जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम का आगाज कर गांव की डगर पर है। प्रशासनिक अधिकारी पंचायत प्रतिनिधियों और ग्रामीणों से मिलकर वहां की पांच प्रमुख समस्याओं की सूची बना रहे हैं, ताकि उनका समाधान किया जा सके। मगर प्रशासन के महत्वपूर्ण अभियान के बीच पंचायत प्रतिनिधियों के विरोध के स्वर मुखर हो गए हैं।

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पंचायतों में मनरेगा के तहत हुए विकास कार्यो की मजदूरी व निर्माण सामग्री का भुगतान न होने पर पंचायत प्रतिनिधियों ने विरोध के स्वर तेज कर दिए हैं। पंचायतों का मनरेगा के तहत एक हजार करोड़ रुपये बकाया है। इससे नाराज पंचायत प्रतिनिधियों ने तीन दिसंबर से जम्मू में दस दिन यानी 168 घंटे की भूख हड़ताल का एलान कर दिया है।

जम्मू में प्रेस कांफ्रेस में पंच-सरपंचों के संगठन जम्मू कश्मीर पंचायत कांफ्रेंस के अध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा कि दुख की बात है कि बड़े-बड़े दावे करने वाली सरकार गरीबों की मजदूरी देने की दिशा में कोई कदम नहीं उठा रही। मनरेगा में पंद्रह दिन के अंदर मजदूरों को उनका मजदूरी देना तय है। मगर पिछले चार वर्षो से मनरेगा के तहत मजदूरी करने वालों को मजदूरी ही नहीं मिली है। उन्होंने कहा कि इस मसले को जून में तत्कालीन राज्यपाल सत्यपाल मलिक द्वारा शुरू किए गए 'गांव की ओर' अभियान के दौरान भी उठाया था, लेकिन कोई समाधान नहीं निकाला गया।

प्रेस कांफ्रेंस में अनिल शर्मा के साथ पंचायत कांफ्रेंस के सदस्य देस राज भगत, नरेंद्र सिंह, मुल्ख राज शर्मा, अवतार सिंह, उत्तम चंद, पठान सिंह, हरजीत सिंह, अशोक सिंह और राजकुमार शामिल थे।

प्रभावी होने पर भी संदेह: पंचायत कांफ्रेंस ने जम्मू कश्मीर में संविधान के 73वें संशोधन के प्रभावी होने के दावों पर शक जाहिर किया। उन्होंने कहा कि अगर 73वां संशोधन प्रभावी होता तो अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू कश्मीर में पंचायतों के लिए अलग वित्त व चुनाव आयोग होते।

11 नवंबर को पंचायत कांफ्रेस दिया था लीगल नोटिस: एक हजार करोड़ रुपये जारी करने की मांग को लेकर जम्मू कश्मीर पंचायत कांफ्रेंस ने 11 नवंबर को मुख्य सचिव बीवीआर सुब्रामाण्यम, ग्रामीण विकास विभाग की सचिव शीतल नंदा के साथ अतिरिक्त सचिव, जम्मू व कश्मीर के निदेशकों व मनरेगा योजना के अधिकारियों को पंद्रह दिन का लीगल नोटिस दिया था। जम्मू कश्मीर हाईकोर्ट के वकील गगन ओसवाल के माध्यम से दिए नोटिस में पंद्रह दिन के अंदर बकाया जारी करने की मांग की थी, लेकिन पंद्रह दिन बीतने के बाद भी कोई कदम नहीं उठाया गया। ऐसे में पंचायत प्रतिनिधियों ने आंदोलन शुरू करने की घोषणा कर दी है।

नाकामी छुपाने को झूठ बोल रहा प्रशासन : अनिल शर्मा

अनिल शर्मा ने आरोप लगाया कि केंद्र शासित जम्मू कश्मीर में प्रशासन ने मनरेगा को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उपराज्यपाल जीसी मुमरू को गलत सूचना दी है। बकाया जारी करने के बजाय प्रशासन अपनी नाकामी छुपाने के लिए झूठ बोल रहा है। ग्रामीण विकास विभाग की सचिव ने मनरेगा के तहत सिर्फ निर्माण सामग्री का बकाया ही बाकी है, यह कहकर लोगों को गुमराह किया है। मगर हकीकत कुछ और है। ऐसे में अब पंचायत प्रतिनिधियों के पास सिवाय आंदोलन के कोई रास्ता नहीं बचा है।


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