फंड न मिलने से निराश पंचों, सरपंचों की नजरें सरकार पर
बैक टू विलेज अभियान में पंचायतों के पंच-सरपंचों ने अधिकारियों के समक्ष अपने और ग्रामीण क्षेत्रों के मसलों को प्रमुखता से उठाया है। अब उन्हें इंतजार है कि अधिकारी क्या फैसला लेते हैं।
राज्य ब्यूरो, जम्म : पंचातयों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में कार्रवाई न होने से निराश पंच, सरंपचों में हाल ही में हुई प्रशासन की 'बैक टू विलेज' मुहिम से उम्मीदें जगी हैं। सात दिन तक पंचातयों में डेरा डालने वाले अधिकारियों के शहरों में लौटने के बाद अब ग्रामीण इंतजार में हैं कि अधिकारियों के समक्ष उजागर किए मसलों को हल करने के लिए कार्रवाई होगी। पंच और सरपंच 20 से 27 जून तक चली 'बैक टू विलेज' मुहिम के दौरान अधिकारियों को समस्याओं से अवगत करवा चुके हैं।
सरकार की गांव जाने की मुहिम की शुरुआत ऐसे वक्त में हुई थी, जब पंच, सरपंच मांगों को लेकर सड़कों पर थे। गत दिनों जम्मू में तवी पुल बंद कर पंचों, सरपंचों ने सरकार को चेतवानी दी थी कि राज्य में संविधान के 73वें संशोधन को प्रभावी बनाने, ब्लॉक डेवेलपमेंट काउंसिल के चुनाव करवाने से कम कुछ स्वीकार नहीं होगा। अगर मांग पूरी नहीं हुई तो विधानसभा चुनाव का बहिष्कार किया जाएगा।
जम्मू कश्मीर पंचायत कांफ्रेंस प्रधान अनिल शर्मा ने कहा कि हम पंचायती राज को मजबूत बनाने के लिए लड़ाई लड़ने की तैयारी में हैं। हमने 'बैक टू विलेज' को सफल बनाने में पूरा सहयोग दिया है। अब नजर सरकार के रवैये पर हैं। अगर ग्रामीणों के मसलों को हल करने की दिशा में कार्रवाई हुई तो ठीक है, नही तो आंदोलन करेंगे। विभिन्न ब्लॉकों में पंच, सरपंच एकजुट हो रहे हैं।
शर्मा ने कहा कि उम्मीद है कि राज्यपाल पंचायतों को सशक्त बनाने की दिशा में उचित कदम उठाएंगे और ग्रामीण लोकतंत्र को मजबूत बनाएंगे।