Militancy in Kashmir: कश्मीर में कम होती आतंकवादियों की संख्या से बौखलाए पाकिस्तान में बैठे आका
गुलाम कश्मीर में बने लॉचिंग पैड पर कश्मीर संभाग से प्रवेश करने के लिए करीब 150-250 जबकि जम्मू संभाग में 125-150 आतंकी प्रवेश करने की फिराक में हैं।
जम्मू, जेएनएन। जम्मू-कश्मीर को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा मिलने के बाद घाटी में काफी बदलाव देखा जा रहा है। जहां आतंकवाद विरोधी अभियान में तेजी आई है, वहीं आतंकवादी संगठनों में स्थानीय युवाओं की भर्ती में भी काफी कमी देखी जा रही है। इससे पाकिस्तान में बैठे आतंकी संगठनों के आका बौखलाए हुए हैं। ऐसा इसीलिए भी कहा जा सकता है क्याेंकि यह पहली बार था जब पाकिस्तान ने गुलाम कश्मीर में बनाए गए अपने लॉन्चिंग पैड पर सर्दियों के दौरान भी सक्रियता दिखाई। इस साल की बात करें तो पिछले छह महीनों के दौरान सुरक्षाबलों ने जम्मू-कश्मीर में करीब 36 अभियानों के दौरान 93 आतंकवादियों को खत्म करने में कामयाबी हासिल की। मरने वालों में विभिन्न आतंकवादी संगठनों के टॉप कमांडर भी शामिल हैं।
सैन्य सूत्रों के अनुसार सुरक्षा एजेंसियों ने यह जानकारी दी है कि हिजबुल मुजाहिदीन घाटी में आइईडी विस्फोट की योजना बना रहा हैं। इस सूचना के बाद सुरक्षाबलों को सतर्क कर दिया गया है। यही नहीं ये सूचना भी मिली रही है कि गुलाम कश्मीर में बने लॉचिंग पैड पर कश्मीर संभाग से प्रवेश करने के लिए करीब 150-250 जबकि जम्मू संभाग में 125-150 आतंकी प्रवेश करने की फिराक में हैं। गत 31 मार्च को भी केरन सेक्टर में पहले आतंकवादी समूह ने घुसपैठ करने का प्रयास किया परंतु सतर्क जवानों ने उन्हें मार गिराया।
साल 2018-19 को आतंकवाद के खात्मे के लिए बेहतरीन साल बताते हुए एक सैन्य अधिकारी ने बताया कि घाटी में अब आतंकियों की संख्या काफी कम हो गई है। पाकिस्तान से मदद पहुंच नहीं पा रही है। यहां सक्रिय ओवरग्राउंड वर्करों पर यह दबाव डाला जा रहा है कि वे अधिक से अधिक स्थानीय युवाओं को संगठनों में भर्ती कराएं। घाटी में आतंकियो के लिए काम कर रहे इन ओजीडब्ल्यू भी सुरक्षाबलों के रडार पर हैं। घाटी में अब तक 270 से अधिक ओजीडब्ल्यू को गिरफ्तार किया जा चुका है। जिलों में सक्रिय पुलिस व सेना के सूचना तंत्र से भी ओजीडब्ल्यू की सूची तैयार करने को कह दिया गया है।
वहीं डीजीपी पुलिस दिलबाग सिंह ने आज यह जानकारी दी है कि पाकिस्तानी आतंकवादी लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के बैनर तले घुसपैठ कर रहे हैं। टीआरएफ नामक एक संगठन भी सामने आया है जिसे हम टेरेरिस्ट रिवाइवल फ्रंट कहते हैं। टीआरएफ में शामिल होने वाले ज्यादातर लोग लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद से हैं। पाकिस्तानी सेना और ISI भी इन संगठनों की मदद कर रही है। यही वजह है कि सभी लॉचिंग पैड पाकिस्तानी सेना द्वारा ही तैयार किए गए हैं।
दिलबाग सिंह ने यह दावा भी किया कि जल्द ही यदि यूं ही सफलता मिलती रही तो बहुत जल्द चिनाब घाटी आतंकवाद से मुक्त हो जाएगी। रामबन में कोई आतंकवादी नहीं है, एक डोडा में और तीन किश्तवाड़ में हैं। उनके पास हथियार बहुत कम हैं। उनके पास केवल पिस्तौल और हथगोले हैं। पाकिस्तान ने आतंकवादियों तक हथियार पहुंचाने के लिए ड्रोन का भी इस्तेमाल किया परंतु वे अभी तक सफल नहीं हो पाए।