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सिर्फ वादे किए, नहीं भरे फायरिंग पीड़ितों के घाव

-जागरण संवाददाता, जम्मू : पाकिस्तानी फायरिंग में घायल हो रहे सीमांत वासियों के घाव सरकार

By JagranEdited By: Published: Fri, 31 Aug 2018 06:45 PM (IST)Updated: Fri, 31 Aug 2018 06:45 PM (IST)
सिर्फ वादे किए, नहीं भरे फायरिंग पीड़ितों के घाव
सिर्फ वादे किए, नहीं भरे फायरिंग पीड़ितों के घाव

-जागरण संवाददाता, जम्मू : पाकिस्तानी फायरिंग में घायल हो रहे सीमांत वासियों के घाव सरकारी अनदेखी के चलते नासूर बनने लगे हैं। नेताओं ने घोषणाओं की जो मरहम लगाई थी, उससे जख्म ठीक तो नहीं हुए अलबत्ता और गहरे हो गए हैं। पीड़ित परिवार उनके जख्मों से कराह रहे हैं। आस लगाए बैठे हैं कि शायद सरकार की नजर-ए-इनायत हो। उनके उत्थान व कल्याण को कुछ कदम बढ़ें।

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जब-जब पाकिस्तान की ओर से गोलाबारी होती है तो प्रशासन व सरकारी घोषणाओं का पिटारा खुल जाता है। अफसोस की बात है कि जमीनी स्तर पर कोई कार्रवाई नहीं होती। सीमावर्ती परगवाल इलाके में पाक फाय¨रग प्रभावितों का तो नेताओं, नौकरशाहों की घोषणाओं से विश्वास उठ गया है। परगवाल के जटा दे कोठे इलाके में 3 जून को पाकिस्तानी गोलाबारी में पांच लोग घायल हुए थे। इनमें बल¨वद्र ¨सह और सुलक्षणा देवी को इलाज के लिए गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल रेफर किया गया था। उस समय प्रशासन और सरकार की घोषणाओं के पिटारे खुलने लगे। वादे किए गए। इसके बावजूद दोनों घायल अपने पैसों से इलाज करवाने को मजबूर हैं। कोई मदद नहीं मिल रही। एक महिला तो दरबदर होकर रह गई है। गांव छोड़कर दूसरे घर जाकर रहने को मजबूर हो चुकी है। कुछ लोग तो आज भी अस्पतालों के चक्कर काट रहे हैं। पैसे नहीं होने के चलते कर्ज लेकर गुजारा किया जा रहा है। मंत्री, विधायक, नेताओं ने राहत के जो वादे किए, वो पूरे नहीं हुए। प्रभावित परेशान हैं।

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असहनीय होता जा रहा है दर्द

गोलाबारी के दौरान पीड़ितों को जानने तो बहुत सारे नेता पहुंचे। नौकरशाह भी साथ आते रहे। मंत्रियों, विधायकों, राजनीतिज्ञों ने तो खूब भाषणबाजी की। जमीनी स्तर पर मिला कुछ भी नहीं। सब हवाई है। पीड़ित बेहाल हुए पड़े हैं।

-बल¨वद्र ¨सह मेरे बेटे बल¨वद्र के शरीर पर शेल लगे थे। इनका निकलना अब मुश्किल ही है। बहुत पैसे चाहिए। सरकार की तरफ से मदद नहीं मिल रही। राज्य प्रशासन कुछ मदद करे तो बेटा हमारे बुढ़ापे का सहारा बन पाएगा। सिर्फ भाषणबाजी की जाती है। मदद नहीं।

-बुआ दित्ता बड़े अफसोस की बात है कि पाकिस्तानी गोलाबारी के प्रभावितों की भावनाओं से खेला जा रहा है। जो लोग घायल हुए हैं, उनकी मदद नहीं की जा रही। चोटिल हुए लोग दरबदर होकर रह गए हैं। कोई पूछ नहीं रहा। बयानबाजी बहुत की जाती है।

-मदन ¨सह


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