Yasin Malik Case : गुपकार को रास नहीं आया फैसला, कहा-इस तरह कश्मीर में हालात नहीं बदल सकते
पीएजीडी ने आज शाम एक बयान जारी कर कहा कि यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा कश्मीर में अमन बहाली के प्रयासों को नुक्सान पहुंचाएगी। पीएजीडी ने कहा कि अदालत के इस फैसले से कश्मीर में संमजसताअस्थिरता का माहौल और बढ़ेगा कश्मीरी समस्या का समाधान और जटिल होगा।
श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : पीपुल्स एलांयस फार गुपकार डिक्लेरेशन पीएजीडी ने जम्मू कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के चेयरमैन यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा को दुर्भाग्यजनक बताया है। इससे कश्मीरियों में राष्ट्रीय मुख्यधारा से विमुखता की भावना और बढ़ेगी। पीएजीडी में नेशनल कांफ्रेंस, पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी, माक्र्सवादी कम्यूनिस्ट पार्टी, अवामी नेशनल कांफ्रेंस, जम्मू कश्मीर पीपुल्स मूवमेंट जैसे संगठन हैं। यह सभी संगठन जम्मू कश्मीर में पांच अगस्त 2019 से पूर्व की संवैधानिक स्थिति बहाल करने का एजेंडा चला रहे हैं।
पीएजीडी ने बयान जारी कर कहा कि यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा कश्मीर में अमन बहाली के प्रयासों को नुक्सान पहुंचाएगी। पीएजीडी ने कहा कि अदालत के इस फैसले से कश्मीर में असंमजसता,अस्थिरता का माहौल और बढ़ेगा, कश्मीरी समस्या का समाधान और जटिल होगा। इससे सिर्फ कश्मीरियों में विशेषकर कश्मीर के नौजवानों में राष्ट्रीय मुख्यधारा से विमुखता की भावना और तेजी से बढ़ेगी।
कश्मीर में अलगावादी सियासत पर ताला लगता देख वे निराश हैं और उन्होंने इसे शांति के प्रयासों को झटका बताया है। पीपुल्स एलांयस फार गुपकार डिक्लेरेशन के प्रवक्ता मोहम्मद यूसुफ तारीगामी ने इस संबंध में जारी बयान में यासीन मलिक को उम्रकैद की सजा को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए कहा कि इससे लोगों का अलगाववादी ताकतों से जुड़ाव होगा।
वहीं यासीन मलिक को सुनाई गई सजा पर महबूबा ने फिर वहीं पुराने सुर दोहराते हुए कहा कि इस तरह हालात नहीं बदल सकते। महबूबा ने कहा कि पहले भी लोगों को फांसी दी गई थी। उस फैसले ने भी कश्मीर के हालात को खराब ही किया अब एक बार फिर वहीं दोहराया जा रहा है।
वहीं आतंकी यासीन मलिक को अदालत द्वारा उम्रकैद की सजा सुनाए जाने के बाद अन्य आतंकी कमांडरों और अलगाववादी नेताओं के गुनाहों का हिसाब जल्द होने की उम्मीद मजबूत हुई है। फारूक अहमद डार उर्फ बिट्टा कराटे, हैदर उल इस्लाम, नईम खान, शब्बीर अहमद शाह, आसिया अंद्राबी, अल्ताफ शाह ,पीर सैफुल्ला, शकील बख्शी सरीखे आतंकियों और अलगाववादियों के खिलाफ कत्ल, आगजनी, कानून व्यवस्था भंग करने, हवाला, राष्ट्रद्रोह जैसे दर्जनों मामले विभिन्न अदालतों में विचाराधीन हैं। कई मामलों में सिर्फ एफआइआर दर्ज हैं, लेकिन आगे कोई कार्रवाई नहीं हुई है।