अमरनाथ यात्रा मार्ग पर ऑक्सीजन की कमी से कहीं दिल न दे जाए दगा
यदि आपको सांस लेने में दिक्कत है हृदयरोग या फिर मुधमेह से पीडि़त हैं तो पूरी तैयारी के साथ ही श्री अमरनाथ तीर्थयात्रा के लिए निकलें।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। यदि आपको सांस लेने में दिक्कत है, हृदयरोग या फिर मुधमेह से पीडि़त हैं तो पूरी तैयारी के साथ ही श्री अमरनाथ तीर्थयात्रा के लिए निकलें। समुद्रतल से करीब चौदह हजार फीट की ऊंचाई पर स्थिति पवित्र गुफा तक पहुंचने के दौरान यात्रा मार्ग की भौगोलिक परिस्थितियां, आक्सजीन की कमी में आपका दिल दगा दे सकता है। जरा सी लापरवाही आपकी जान पर भारी पड़ सकती है। तीर्थयात्रा शुरू हुए अभी तीन दिन ही बीते हैं और यात्रा मार्ग पर हृदयाघात से दो श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है।
हालांकि आइटीबीपी, सेना, पुलिस के जवान रास्ते में ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर तैनात रहते हैं, जो जरूरत पडऩे पर श्रद्धालुओं की हर संभव मदद कर रहे हैं। बुधवार को भी बालाटाल मार्ग पर सांस लेने में दिक्कत आने पर आइटीबीपी के जवानों ने 15 श्रद्धालुओं को आक्सीजन सिलेंडर मुहैया करवाकर उनकी मदद की। इसके अलावा स्वास्थ्य विभाग की ओर से भी जगह-जगह कैंप लगाए गए हैं।
श्री अमरनाथ यात्रा के लिए जब श्रद्धालु अपना पंजीकरण कराते हैं और डॉक्टर से स्वास्थ्य प्रमाणपत्र प्राप्त करते हैं तो यह मान लेते हैं कि वह पूरी तरह स्वस्थ हैं। इसी वजह से वह यात्रा मार्ग पर कई बार अपनी सेहत से खिलवाड़ कर लेते हैं। यात्रा मार्ग पंचतरणी में कई बार अपनी सेवाएं दे चुके डॉ. विनोद खजूरिया ने कहा कि वहां के मौसम और भौगोलिक परिस्थितियों के साथ कई श्रद्धालु तालमेल नहीं बिठा पाते हैं और दुर्गम रास्तों में चलकर ङ्क्षजदगी दांव पर लगा देते हैं।
ये हैं यात्रा मार्ग पर हृदयघात के प्रमुख कारण :
डॉ. विनोद के अनुसार यात्रा मार्ग पर आक्सजीन की कमी है। कई यात्री जल्द यात्रा पूरी करने के चक्कर में तेजी से चलते हैं, कई दौडऩे भी लगते हैं, कई प्यास लगने पर बिना रुके तेजी से ठंडा पानी पी जाते हैं। यात्रा पर आने वाले कई श्रद्धालु स्वास्थ्य संबंधी सलाह की पूरी तरह उपेक्षा करते हैं। यात्रा में शहरी इलाकों से आने वाले श्रद्धालु अधिक बीमार होते हैं। इन लोगों को पैदल चलने या फिर पहाड़ी क्षेत्रों में चलने का अभ्यास नहीं होता। इन लोगों को अचानक जब पहाड़ी क्षेत्र में चलना पड़ता है तो उनके दिल को पर्याप्त आक्सीजन नहीं मिल पाती और हार्ट अटैक का खतरा बड़ जाता है। यह सब इतनी जल्दी होता है कि मार्ग पर कई बार यात्री को बचाना मुश्किल हो जाता है।
क्या करना चाहिए :
डॉ. विनोद ने बताया कि श्रद्धालुओं को यात्रा पर आने से पहले अपने खान-पान का पूरा ध्यान रखना चाहिए। इसके अलावा उन्हें नियमि व्यायाम करने के अलावा रोजाना तीन से चार किलोमीटर पैदल चलने की आदत डालनी चाहिए। अपने साथ आक्सीजन का एक छोटा सिलेंडर भी रख सकते हैं। साथ ही शराब का सेवन नहीं करना चाहिए। अगर किसी की क्षमता एक घंटे में पांच किलोमीटर पैदल चलने की है, तो वह यहां तीन किलोमीटर ही चले। किसी भी तरह की दिक्कत होने पर यात्रा मार्ग पर मौजूद स्वास्थ्य कर्मियों व सुरक्षाकर्मियोंसे तुरंत संपर्क करें।
हृदयरोगी यात्रा पर आने से करें परहेज :
गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज अस्पताल जम्मू में काॢडयालोजी विभाग के डॉ. सुशील शर्मा ने कहा कि अमरनाथ यात्रा पहाड़ी क्षेत्र में है और वहां बहुत अधिक ठंड होती है। ठंड में दिल को अधिक पंङ्क्षपग की जरूरत पड़ती है, मगर नाडिय़ों के सिकुड़ जाने के कारण ऐसा नहीं हो पाता। ऐसे में स्वस्थ्य लोगों को ही पूरी सावधानी के साथ यात्रा करनी चाहिए। अगर कोई पहले से ही दिल का रोगी है तो वह यात्रा में जाने से परहेज ही करे तो बेहतर है।
हर वर्ष कई श्रद्धालुओं को गंवानी पड़ी जान :
वर्ष 2009 में अमरनाथ यात्रा मार्ग पर 45 श्रद्धालुओं की हृदयगति रुकने से मौत हो गई थी। इसके अगले वर्ष 2010 में सरकार द्वारा श्रद्धालुओं के लिए मेडिकल प्रमाणपत्र अनिवार्य करने के बावजूद मरने वालों की संख्या 68 हो गई थी। वर्ष 2011 में तो 105 श्रद्धालुओं की जान चली गई। इसके बाद श्री बाबा अमरनथ श्राइन बोर्ड और राज्य के स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग ने लखनपुर से लेकर भवन तक के दोनों मार्गों पर पर्याप्त स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई, बावजूद इसके अभी भी कई लोगों की हृदय घात से मौत हो जाती है। वर्ष 2012 में भी अमरनाथ जाने वाले 130 श्रद्धालुओं की विभिन्न कारणों से मौत हो गई थी। इनमें 88 की हृदयघात के कारण मौत हुई। इसके बाद भी हर साल औसतन तीस से चालीस श्रद्धालुओं की अमरनाथ यात्रा के दौरान मौत हो जाती है। वर्ष 2018 में भी 55 श्रद्धालुओं की मौत यात्रा मार्ग पर हृदयाघात से हो गई थी।
आ रही परेशानी
भौगोलिक परिस्थितियां और आक्सजीन की कमी में श्रद्धालुओं को स्वास्थ्य संबंधी आ रही परेशानी
यात्रा मार्ग पर तीन दिन में दो यात्रियों की हृदयगति रुकने से हो चुकी मौत
आइटीबीपी, सेना व पुलिस के जवान ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर तैनात, स्वास्थ्य विभाग भी मुस्तैद