JAMMU : श्रद्धा के फूलों से बनी जैविक खाद से लहलहाएंगी फसलें
जब ट्रंच फूलों से भरा जाता है तो उसे पूरी तरह से बंद कर दिया जाता है जिसके बाद फूल सड़ कर जैविक खाद में बदल जाते हैं।
जम्मू, जागरण संवाददाता। मंदिरों के चढ़ाए जाने वाले फूल भी अब पर्यावरण संरक्षण के काम आने लगे हैं। जम्मू शहर के 25 मंदिरों में रोजाना चढ़ाए जाने वाले फूलों से नगर निगम जैविक खाद तैयार कर रहा है। यह खाद जहां खेती के लिए लाभदायक होगी, वहीं केमिकल से मुक्त होगी। जम्मू नगर निगम ने शहर के 25 मंदिरों को पर्यावरण संरक्षण के इस अभियान में जोड़ा है।
जहां से रोजाना चढ़ाए जाने वाले फूलों को एकत्रित किया जाता है और भगवती नगर में खाद बनाने के लिए स्थापित किए तीन ट्रंच में पहुंचाया जाता है। जब ट्रंच फूलों से भरा जाता है तो उसे पूरी तरह से बंद कर दिया जाता है, जिसके बाद फूल सड़ कर जैविक खाद में बदल जाते हैं। निगम फूलों के तैयार की जाने वाली इस जैविक खाद को स्वयं काउंटर लगाकर बेचेगा। इस जैविक खाद से पर्यावरण को किसी प्रकार का नुकसान नहीं होगा और फसलें भी अच्छी होंगी। मार्च महीने मे मेयर चंद्र मोहन गुप्ता ने मंदिरों से फूलों को उठाने के लिए एक ऑटो लांच किया था। पहले मंदिरों के फूलों को तवी नदी, नहरों में प्रवाहित किया जाता था, लेकिन अब ऐसा नहीं किया जा रहा है।
फूलों से अगरबत्ती बनाने की भी योजना : निगम ने डिवीजनल कमिश्नर के निर्देशों पर पीरखोह इलाके में स्थानीय पार्षद से मिलकर फूलों से अगरबत्ती तैयार करने की भी योजना बनाई है। पार्षद नरोत्तम शर्मा, शारदा देवी और फेथ चेरिटेबल ट्रस्ट मिल कर प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहे हैं। इसमें कुछ बेरोजगार महिलाओं को जोड़ा जाएगा। फूलों से अगरबत्ती बनाकर शहर में बेची जाएंगी।
इन मंदिरों से लिए जा रहे फूल: आप शम्भु मंदिर, जानीपुर टालीमोड़ मंदिर, हनुमान मंदिर, शिव मंदिर न्यू प्लाट, कृष्णा मंदिर विकास नगर, शिन देव मंदिर जानीपुर, शिव मंदिर छन्नी, शनि मंदिर, शिव मंदिर त्रिकुटा नगर, लाल मंदिर, बावे काली माता मंदिर, साईं मंदिर तालाब तिल्लो, शिव मंदिर तालाब तिल्लो, शनि मंदिर तालाब तिल्लो, शिव मंदिर केनाल रोड, दुधाधारी मंदिर शास्त्री नगर, लक्ष्मी नारायण मंदिर गांधीनगर, पंजबख्तर मंदिर, शिवधाम मंदिर शहीदी चौक।
पर्यावरण बचाने को अलग कर रहे हैं ठोस कचरा
जम्मू शहर से निकलने वाले कचरे से पर्यावरण को बचाने के लिए नगर निगम ने कोट भलवाल में नई पहल शुरू करते हुए कचरा बीनने वाले लगा रखे हैं। रोजाना 60-70 क्विंटल कचरे में से पॉलीथिन व अन्य ठोस कचरा अलग किया जा रहा है।
निगम ने कोट भलवाल के काला गांव में कचरा निस्तारण प्रक्रिया शुरू की है। इससे पहले शहर के भगवती नगर इलाके में कचरा ठिकाने लगाया जाता था। पिछले वर्ष ही भगवती नगर में कचरा फेंकना बंद किया था। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के निर्देशों पर भगवती नगर में कचरे के ढेरों को समतल कर पौधरोपण भी किया था। अब निगम ने कोट भलवाल में करीब 40 लोगों को कचरा बीनने का काम दिया है, जो रोजाना कचरे से नान-बायोडिग्रेडेबल यानी ठोस कचरे को अलग करते हैं। निगम ने इन्हें वर्दी, दस्ताने, टोपियां भी दी हैं, ताकि वे बिना किसी खतरे के काम कर सकें। इससे निगम को कचरा निस्तारण में तो आसानी होगी, साथ कचरा बीनने वालों की कमाई भी होगी तथा पर्यावरण प्रदूषित होने से बचेगा।
प्रदूषण से निपटने को पौधे
निगम ने कोट भलवाल डं¨पग साइट और भगवती नगर तवी किनारे स्थित पुरानी डपिंग साइट पर पौधरोपण किया है। इस बरसात में और पौधे लगाए जांएगे। निगम ने प्रदूषण रोकने के लिए औषधीय पौधे भी लगाना शुरू किए हैं। ग्रेवलिया रोबुस्टा नाम के कुछ पौधे लगाए जा चुके हैं। कचरा निस्तारण कर इस जमीन को हरा-भरा बनाया जाएगा।
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