जम्मू की खुशबूदार बासमती को जैविक खाद की खुराक
कृषि विभाग के मुख्य कृषि अधिकारी नरेंद्र मिश्रा का कहना है कि इसी साल के अंत तक बेल्ट की बासमती पूरी तरह से जैविक हो जाएगी।
जम्मू, जागरण संवाददाता। खेतों में रसायन खाद के बढ़ रहे प्रभाव को देखते हुए अब जम्मू के किसानों का रुझान भी जैविक खेती की ओर बढ़ा है। जम्मू के मढ़ इलाके में सब्जियों की जैविक खेती की पहल के बाद अब सुचेतगढ़ क्षेत्र में भी 470 हैक्टेयर भूमि को जैविक में बदला जा रहा है। आने वाले दिनों में इस खेती का और विस्तार होने की संभावना है। सरकार भी अब हर जिले में चार से पांच गांवों को जैविक खेती का माॅडल बनाएगी। बहरहाल जैविक खेती का क्रम जम्मू में आरंभ हो चुका है।
आरएसपुरा बेल्ट की सुचेतगढ़-फ्लोरा बेल्ट जो बासमती खेती के लिए प्रमुख है, को जैविक खेती में बदलने का काम जोरों से चल रहा है। चार गांवों के इस जोन के किसान अब खेतों में रसायन खाद नहीं बल्कि देसी या केंचुआ खाद डालते हैं। आग्रेनिक बासमती क्लस्ट याेजना के तहत यहां पर जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न गांवों में केंचुआ खाद तैयार करनेे के लिए यूनिट लगाए गए हैं। वहीं यहां पर रसायन खाद का प्रवेश की बंद है। यहां तक कि गैर आर्गेनिक खेती का पानी भी आर्गेनिक खेती में घुसने नही दिया जाता। यहां पर किसानों को जैविक की हर संभव सुविधाएं दिलाने के लिए काम होता है।
क्लस्ट योजना के तहत बनाई गई है कमेटियां
किसान स्वर्ण लाल जोकि जैविक बनाने में अहम भूमिका निभा रहे हैं, का कहना है कि क्लस्ट योजना के तहत विभिन्न गांवों मेें कमेटियों बनाई गई है। कमेटी में किसानों के अलावा विभिन्न विभागों के अधिकारी भी शामिल हैं। समय-समय पर बैठक होती है और जैविक खेती की समीक्षा होती है। इसके अलावा किसानों को प्रोत्साहित भी किया जाता है कि वे खेतों में देसी खाद डालें। स्वर्ण लाल ने कहा कि पूरे प्रदेश में यह जैविक खेती की बेल्ट किसानों को अपनी ओर आकर्षित करेगी।
इसी साल पूरी तरह से जैविक हो जाएगी बासमती
कृषि विभाग के मुख्य कृषि अधिकारी नरेंद्र मिश्रा का कहना है कि इसी साल के अंत तक बेल्ट की बासमती पूरी तरह से जैविक हो जाएगी। क्योंकि पिछले दो सालों से भी अधिक समय से यहां पर खेती को जैविक बनाने का काम आरंभ हुआ था। तीन साल पूरे होते ही जैविक उत्पाद का पंजीकरण हो जाता है। ऐसे में बासमती क्लस्ट का उत्पाद का भी अब पंजीकरण हो जाएगा और किसान फिर इसे जैविक बासमती का नाम देकर बेच सकेंगे। किसानों की राहें आसान बनाने के लिए इस बार किसानों को मिन्नी राइस शेलर भी दिलाए गए हैं।
किसानों ने की सराहना
बासमती की ओर सरकार की गंभीरता को लेकर किसानों ने सराहना की है। कहा है कि देरी से ही सही मगर सही दिशा में लिया गया कदम है। किसान किशोर कुमार ने कहा कि अब सरकार ने जान लिया है कि रसायन इंसान के लिए कितना खतरनाक है। इसलिए जैविक बासमती की शुरूआत हुई है। मगर यह एक बहुत छोटी शुरूआत है। पूरे राज्य में ही खेती कैसे जैविक में बदले, इस दिशा में काम होना चाहिए। वहीं मढ़ के किसान शक्ति कुमार का कहना है कि मढ़, सतवारी, भलवाल क्षेत्रों में भी जैविक खेती की बड़े पैमाने पर शुरूआत की जानी चाहिए। महज थोड़ी थोड़ी जैविक खेती के करने से ही लाभ नही मिलेगा। मार्केट में अगर जैविक उत्पाद लाना है तो उसी अनुसार काम भी होना चाहिए।