कोरोना संक्रमण के बीच संपत्ति कर लगाने का किया विरोध
जागरण संवाददाता जम्मू सरकार की तरफ से लगाए गए संपत्ति के खिलाफ स्थानीय लोगों में भारी र
जागरण संवाददाता, जम्मू : सरकार की तरफ से लगाए गए संपत्ति के खिलाफ स्थानीय लोगों में भारी रोष है। कांग्रेस और पैंथर्स पार्टी इसका खुल कर विरोध कर रही है। अब विभिन्न सामाजिक संगठन भी संपत्ति कर के विरोध में आवाज उठाने लगे हैं। कई सामाजिक कार्यकर्ता और विपक्षी कॉरपोरेटर भी सरकार से जनता पर लगाए गए इस कर को वापस लेने की मांग कर चुके हैं। रविवार को प्रदर्शनी मैदान में यूथ हैंड संगठन ने संपत्ति कर के खिलाफ प्रदर्शन किया। संगठन से जुड़े कार्यकर्ता शहर के विभिन्न इलाकों से प्रदर्शनी मैदान में जमा हुए थे।
यूथ हैंड संगठन ने प्रदर्शन करते हुए कहा कि सरकार शहर में रहने वालों को सुविधाएं बढ़ाने के बजाय आए दिन नए-नए टैक्स लगा रही है। केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद मोदी सरकार ने कई वादे किये थे, लेकिन उनमें से एक भी पूरा नहीं किया गया। उल्टे सरकार जनता पर कर का बोझ ही बढ़ा रही है। इस समय कई विभागों के हजारों अस्थायी मुलाजिम हड़ताल पर हैं। बिजली और पानी की सप्लाई से जुड़े कर्मी भी हड़ताल पर हैं, लेकिन सरकार चुप्पी साधे बैठी है। शहर में सड़कों की हालत खस्ता है। स्कूल बंद हैं, लेकिन फीस देनी पड़ रही है। अस्पतालों में लोगों को सुविधाएं नहीं मिल रही हैं। नाले कचरे से पटे हैं। गलियों में रोजाना सफाई नहीं होती। ऐसे में सरकार है कहां? क्या वह सिर्फ जनता पर टैक्स लगाने के लिए चुनी गई है। संगठन के कार्यकर्ताओं ने कहा कि यदि सरकार ने संपत्ति कर लगाने का फैसला वापस नहीं लिया तो वे इसके खिलाफ शहर के लोगों की गोलबंदी कर आंदोलन शुरू करेंगे।
राजस्व बढ़ाने के लिए नगर निगम को उठाने होंगे कुछ कड़े कदम: मेयर
संपत्ति कर के बारे में मेयर चंद्रमोहन गुप्ता का कहना है कि जम्मू नगर निगम, काउंसिलों और म्यूनिसिपल कमेटियों को यह टैक्स लगाना है। निगम के जनरल हाउस में इस फैसले को लाएंगे और सर्वसम्मति से फैसला लेंगे। नगर निगम को आत्मनिर्भर बनाने के लिए हमें इस दिशा में कदम बढ़ाना ही होगा। अपना राजस्व बढ़ाने के लिए जम्मू नगर निगम को भी कुछ कड़े कदम उठाने पड़ेंगे। बहरहाल, अब देखना यह है कि सभी कॉरपोरेटरों इस पर क्या फैसला लेते हैं। व्यवसायिक तथा बड़े प्लाट वालों से टैक्स वसूलने की दिशा में बढ़ा जा सकता है, लेकिन फैसला जनरल हाउस में प्रस्ताव लाने के बाद ही लिया जा सकता है। अन्य प्रदेशों के नगर निगम काफी सशक्त हैं। उनका बजट हजारों करोड़ रुपये में हैं। हमें सरकार के आगे हाथ फैलाने को मजबूर होना पड़ता है।