कश्मीर समस्या का समाधान युवाओं के हाथ
राज्य ब्यूरो, जम्मू : कश्मीर समस्या का समाधान वहां के युवाओं के हाथ में है। जब वह बिहार में रा
राज्य ब्यूरो, जम्मू : कश्मीर समस्या का समाधान वहां के युवाओं के हाथ में है। जब वह बिहार में राज्यपाल थे तब उन्हें यह अहसास नहीं था कि उन्हें कश्मीर भेजा जा रहा है। वह यहां राज्यपाल बनने से पहले सिर्फ एक बार अरुण नेहरू के साथ आए थे। राज्यपाल के तौर पर उन्होंने कश्मीर समस्या को समझने का प्रयास किया। वह यहां के युवाओं से मिले जिनका मानना है कि कश्मीर समस्या का समाधान तेरह से बीस साल आयु वर्ग के युवाओं के पास है। यह बात राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने नेशनल हेल्थ मिशन द्वारा आयोजित कार्यक्रम में हेल्थ और वेलनेस सेंटरों का उद्घाटन करने के बाद कही।
मलिक ने कहा कि कश्मीर के बारे में दिल्ली में हर चीज गलत दिखाई जाती है। अगर एक मौत हो जाए तो हेडलाइन बन जाती है लेकिन जब अच्छा होता है तो कोई नहीं लिखता। उन्होंने कहा कि वह जिस शहर के रहने वाले हैं वहां पर हर दिन शवगृह से पांच से दस शव निकलते हैं, मगर कोई खबर नहीं होती। यहां पर हर मौत को हेडलाइन बना दिया जाता है। यहां पर खसरा-रूबेला अभियान में शत-प्रतिशत बच्चों का टीकाकरण होता है लेकिन कोई चर्चा नहीं होती। पंच-सरंपच, स्थानीय निकाय चुनाव शांतिपूर्वक संपन्न होते हैं। मतदान इतना होता है जितना पंजाब में भी नहीं होता। बावजूद इसके कोई हेडलाइन नहीं बनती।
कश्मीर के लड़कों में कमाल की प्रतिभा
राज्यपाल ने कहा कि कश्मीर के युवाओं में गजब की प्रतिभा है। हाल ही में आयोजित फुटबाल आईलीग के मैच में कश्मीर की टीम दूसरे स्थान पर रही परंतु किसी ने इसके बारे में नहीं लिखा। जिस दिन कश्मीर की टीम का मोहन बागान के साथ मैच था, उस दिन 27 हजार से अधिक लड़के मैच देख रहे थे। वे दोनों ओर की टीमों को अपना समर्थन दे रहे थे। दिल्ली से निराश हूं। किसी ने उनके बारे में नहीं लिखा। उन्होंने कहा कि खेलों को बढ़ावा देने के लिए हम दो अंतरराष्ट्रीय स्तर के स्टेडियम बना रहे हैं जहां आने वाले दिनों में अंतरराष्ट्रीय मैच होंगे।
सचिवालय में हैं बहुत समस्याएं
सचिवालय में भी बहुत समस्याएं हैं। कई विभागों में चार-चार महीने फाइलें ही नहीं हिलतीं। उन्होंने स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के प्रमुख सचिव अटल ढुल्लु की प्रशंसा करते कहा कि अगर सभी ऐसा काम करें तो इससे कश्मीर की काफी समस्याओं का समाधान हो सकता है। उन्होंने नए चुने हुए डॉक्टरों को कहा कि वह ईमानदारी से कार्य करें। उनकी पैदाइश एक गांव में हुई है। वहां पर कहा जाता था कि भगवान किसी को कचहरी और अस्पताल न दिखाए। गांव वाले दोनों चीजों से खौफ खाते थे। कचहरी का मतलब था बर्बादी। अस्पताल का मतलब होता था वापिस ¨जदा नहीं आना। आज दुनिया बदल गई हैं। अब डॉक्टरों, नर्सिग स्टाफ और पैरामेडिकल स्टाफ की मेहनत से अस्पताल में जाने से आराम मिलता है। कई लोग पहले गांव में डायरिया और चेचक से मर जाते थे। टीकाकरण नहीं था परंतु अब ऐसा नहीं है।
डॉक्टर अगर भगवान तो नर्से हैं देवियां
मलिक ने कहा कि उन्होंने भले ही भगवान को न देखा हो लेकिन जब किसी के परिवार का कोई सदस्य बीमार होता है और ऑपरेशन के लिए जाता है तब परिवार के लिए डॉक्टर भगवान और नर्से देवी के समान होती हैं। उन्होंने कहा कि केरल का नर्सिग स्टाफ उत्तर भारत के नर्सिग स्टाफ से बहुत बेहतर है।
ईमानदारी से कार्य करें डॉक्टर
राज्यपाल ने कहा कि डाक्टर, नर्सिग स्टाफ बहुत मेहनत करता है। उन्होंने नवनियुक्त डॉक्टरों से पूरी ईमानदारी के साथ काम करने को कहा। उन्होंने कहा कि अभी भी जम्मू कश्मीर स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई मामलों में नंबर एक पर है और यह सब यहां के डाक्टरों व अन्य स्टाफ सदस्यों के कारण है। उन्होंने कहा कि एक साल पहले उन्हें भी ऑपरेशन की जरूरत पड़ी। उन्होंने केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली, नितिन गडकरी और उपराष्ट्रपति से सलाह ली। उन्होंने उन्हें तीन अलग-अलग डॉक्टरों के नाम बताए मगर उन्होंने तीनों के स्थान पर उस डाक्टर से ऑपरेशन करवाया जिसने उन्हें प्रभावित किया।