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महिला सशक्तिकरण में पिछड़ा जम्मू कश्मीर

राज्य में बेशक एक महिला दो साल के करीब मुख्यमंत्री के पद पर विराजमान रह चुकी हों और कई विभागों में महिलाएं मुखिया हों। परंतु जहां तक महिला सशक्तिकरण की बात है तो जम्मू कश्मीर कई राज्यों की तुलना में पिछड़ा हुआ है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 01:29 PM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 01:29 PM (IST)
महिला सशक्तिकरण में पिछड़ा जम्मू कश्मीर
महिला सशक्तिकरण में पिछड़ा जम्मू कश्मीर

जम्मू, राज्य ब्यूरो ।  राज्य में बेशक एक महिला दो साल के करीब मुख्यमंत्री के पद पर विराजमान रह चुकी हों और कई विभागों में महिलाएं मुखिया हों। परंतु जहां तक महिला सशक्तिकरण की बात है तो जम्मू कश्मीर कई राज्यों की तुलना में पिछड़ा हुआ है। यहां पर कामकाजी महिलाओं की संख्या मात्र 19.11 प्रतिशत ही है।

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केंद्र के स्टैटीस्टिक्स और प्रोग्राम लागू करने वाले मंत्रालय की वूमेन एंड मेन इन इंडिया रिपोर्ट 2017 के आंकड़ों में यह खुलासा हुआ है। इस रिपोर्ट के अनुसार पड़ोसी हिमाचल प्रदेश में सबसे अधिक 44.82 प्रतिशत कामकाजी महिलाएं हैं।

दिल्ली, बिहार, केरल, हरियाणा, उत्तर प्रदेश और पंजाब में जम्मू कश्मीर से कम कामकाजी महिलाएं हैं। शहरी क्षेत्रों में तो जम्मू कश्मीर में स्थिति और खराब है। इनमें मात्र 14.4 प्रतिशत महिलाएं ही कामकाजी हैं जबकि ग्रामीण क्षेत्रों में 26.3 प्रतिशत महिलाएं कामकाजी हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि राज्य में निजी क्षेत्र में महिलाओं के लिए कामकाज की संभावना बहुत कम है। इस कारण भी यहां पर कामकाजी महिलाओं की संख्या कम है। जिन राज्यों में अधिक संख्या में महिलाएं काम करती हैं, उनका कारण वहां पर लघु उद्योगों में महिलाओं की अधिक भागीदारी होना भी है। उनका कहना है कि महिला सशक्तिकरण शिक्षा के साथ भी जुड़ा हुआ है।

राज्य में इस समय महिला साक्षरता दर साठ प्रतिशत भी नहीं है। ऐसे में यहां पर कामकाजी महिलाओं की संख्या कम होना स्वभाविक है। पूर्व एमएलसी डा. शहनाज गनई ने करीब दो साल पहले राज्य के सरकारी विभागों में भी कम महिलाएं होने का मुद्दा उठाया था। राज्य में मात्र स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग ही ऐसा विभाग है जहां पर महिलाओं की संख्या पुरुषों से अधिक है। पचास प्रतिशत से अधिक महिलाएं इस विभाग में काम करती हैं। अन्य सभी विभागों में महिलाओं की संख्या बहुत कम है।


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