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Jammu: आनलाइन शिक्षा ने बनाया बच्चों को आत्मनिर्भर, सेल्फ स्टडी में हो चुके हैं माहिर

घर के बाहर भी कभी जाते थे तो क्लास मिस नहीं होती थी। अगर कभी दिमाग में आता था कि कोई टॉपिक समझ नहीं आ रहा तो उसी समय मोबाइल एप या यू टयूब चैनल की मदद से उसे समझ लेते थे।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Mon, 05 Jul 2021 12:22 PM (IST)Updated: Mon, 05 Jul 2021 12:22 PM (IST)
Jammu: आनलाइन शिक्षा ने बनाया बच्चों को आत्मनिर्भर, सेल्फ स्टडी में हो चुके हैं माहिर
कुलदीप सिंह बंदराल का कहना था कि आनलाइन पढ़ाई बेहतर विकल्प साबित हो रहा है।

जम्मू,जागरण संवाददाता: कोरोना महामारी के चलते शुरू हुए आनलाइन शिक्षा प्रकरण ने बच्चों को आत्मनिर्भर बना दिया। आनलाइन पढ़ाई करते करते बच्चे अब सेल्फ स्टडी में माहिर हो चुके हैं और अगर उन्हें कहीं परेशानी आती हैं तो विभिन्न मोबाइल एप की मदद से अपनी परेशानी का हल भी ढूंढ निकालते हैं।

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जम्मू कश्मीर शिक्षा बोर्ड की बारहवीं कक्षा के नतीजों में सफल हुए अधिकतर बच्चों ने सेल्फ स्टडी से ही मेरिट सूची में अपना नाम दर्ज करवाया। मेरिट सूची में आने वाले अधिकतर बच्चे ऐसे थे जिन्होंने स्कूलों से आनलाइन पढ़ाई से अपना सिलेबस पूरा किया और उसके अलावा यू टयूब या अन्य शिक्षा संबंधी मोबाइल एप की मदद से पढ़ाई की। वहीं इन बच्चों के अभिभावकों का भी कहना था कि बच्चों ने पूरा वर्ष उन्हें तंग नहीं किया।

वे खुद ही अपनी समस्याओं का समाधान मोबाइल एप की मदद से ढूंढ निकालते थे। अपने नोट्स भी खुद तैयार लेते थे। कुछ बच्चों ने तो साइंस, मैथ तक की पूरी तैयारी यू टयूब के चैनलों को देखकर की। वहीं इस बार के टॉपर्स का कहना था कि उन्हें टयूशन की जरूरत ही महसूस नहीं हुई। हमारी जेब में मोबाइल था जिसका हमने बेहतर इस्तेमाल किया। शुरू शुरू हमें जरूर ऐसा लगा था कि बिना स्कूल गए कैसे पढ़ाई करेंगे, लेकिन धीरे धीरे हमें आनलाइन पढ़ना अच्छा लगने लगा।

घर के बाहर भी कभी जाते थे तो क्लास मिस नहीं होती थी। अगर कभी दिमाग में आता था कि कोई टॉपिक समझ नहीं आ रहा तो उसी समय मोबाइल एप या यू टयूब चैनल की मदद से उसे समझ लेते थे। वहीं जम्मू कश्मीर टीचर्स फोरम के प्रांतीय प्रधान कुलदीप सिंह बंदराल का कहना था कि आनलाइन पढ़ाई बेहतर विकल्प साबित हो रहा है।

इस शिक्षा प्रणाली ने सरकारी स्कूलों के बच्चों को भी निजी स्कूलों के बच्चों के बराबर ला खड़ा किया है। इस बार सरकारी स्कूलों के बच्चों ने भी दसवीं और बारहवीं कक्षा की परीक्षा में झंडे गाड़े हैं। 


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