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उमर अब्दुल्ला बोले-जम्मू-कश्मीर का हक पाने के लिए कानूनी-सियासी संघर्ष जारी रखेगी नेशनल कांफ्रेंस

Omar Abdullah ने पार्टी काे हर स्तर पर मजबूत बनाने के लिए प्रयास करने को कहा। उन्होंने डीडीसी चुनावों का जिक्र करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर के हर हिस्से में लोगों ने नेकां के पक्ष में मतदान कर बताया है कि वह आज भी हमारे साथ हैं।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 23 Mar 2021 08:47 AM (IST)Updated: Tue, 23 Mar 2021 08:47 AM (IST)
उमर अब्दुल्ला बोले-जम्मू-कश्मीर का हक पाने के लिए कानूनी-सियासी संघर्ष जारी रखेगी नेशनल कांफ्रेंस
नेकां ही जम्मू-कश्मीर के अवाम की असली जमात है।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो: नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर की अवाम से छीने गए हक वापस हासिल करना ही नेकां का राजनीतिक एजेंडा रहेगा। इसके लिए हम सियासी और कानूनी दोनों तरीकों से अपना संघर्ष जारी रखेंगे। हम शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से आगे बढ़ेंगे, हम अपने बुनियादी सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं करेंगे। हम हिंसा और दुराग्रह से दूर रहेंगे।

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कश्मीर घाटी में नवाए सुब परिसर स्थित पार्टी मुख्यालय में नेकां की विभिन्न इकाइयों के प्रभारियों और प्रमुख कार्यकर्ताओं की गत सोमवार को बुलाई गई बैठक में उमर अब्दुल्ला ने कहा कि जम्मू-कश्मीर के दुश्मनों ने नेकां को कमजोर करने का कभी कोई मौका नहीं छोड़ा है। जम्मू-कश्मीर की संस्कृति, पहचान और अवाम के विशेष सियासी दर्जे की हिफाजत ही उसका मकसद है, इसलिए जम्मू-कश्मीर के दुश्मन हमेशा ही नेकां के खिलाफ सक्रिय रहते हैं। हम जम्मू-कश्मीर के प्रत्येक क्षेत्र के समग्र विकास के लिए संकल्पबद्ध हैं। हम किसी को भी जम्मू-कश्मीर के लाेगों को मजहब और क्षेत्र के नाम पर नहीं बांटने देंगे।

उमर अब्दुल्ला ने नेकां नेताओं व कार्यकर्ताओं को पार्टी काे हर स्तर पर मजबूत बनाने के लिए प्रयास करने को कहा। उन्होंने डीडीसी चुनावों का जिक्र करते हुए कहा कि जम्मू-कश्मीर के हर हिस्से में लोगों ने नेकां के पक्ष में मतदान कर बताया है कि वह आज भी हमारे साथ हैं। नेकां ही जम्मू-कश्मीर के अवाम की असली जमात है।

इस दौरान सीमा पर जंगबंदी को लेकर भारत-पाकिस्तान के बीच हुए करार की एक बार फिर सराहना करते हुए उमर ने कहा कि भारत-पाक के बीच सभी लंबित मुद्दों और विवादों के समाधान की दिशा में आगे बढ़ने के लिए इस समझौतेे की पुनर्बहाली एक मील का पत्थर साबित होनी चाहिए। यह सिर्फ गोलाबारी को बंद रखने तक सीमित नहीं होना चाहिए। आपको बता दें कि भारत-पाकिस्तान ने बीते वर्ष 2003 के जंगबंदी समझौते के अनुपालन को सुनिश्चित बनाने का एलान किया है।

जंगबंदी के समझौते का सबसे ज्यादा लाभ जम्मू-कश्मीर के लाेगों को ही होगा। यह समझाैता भारत-पाक के बीच लंबित पड़े सभी विवादों और मुद्दों के समाधान की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होना चाहिए, इसे शुरुआत बनाया जाए। 


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