बड़ा खुलासा: जैश के निशाने पर थे एनएसए अजीत डोभाल, आतंकी हिदायतुल्ला के मोबाइल में मिले कार्यालय के वीडियो
Militancy in Jammu Kashmir वर्ष 2016 में उड़ी सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 में बालाकोट सर्जिकल स्ट्राइक के बाद से ही डोभाल आतंकी संगठनों के निशाने पर हैं। ऐसे में सुरक्षा एजेंसियों ने उनकी सुरक्षा को कड़ा किया हुआ है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अजीत डोभाल इस समय जैश-ए-मोहम्मद के निशाने पर हैं। जैश सरगना अजहर मसूद अपने भतीजे और पुलवामा हमले के मुख्य सूत्रधार रहे अपने भतीजे उमर फारूक की मौत का बदला लेने की फिराक में हैं। जम्मू में गत सप्ताह पकड़े गए लश्कर-ए-मुस्तफा के कमांडर हिदायतुल्ला मलिक से पूछताछ में इस संबंध में कई सनसनीखेज जानकारियां मिलीं।
उसने बताया कि वह दिल्ली में एनएसए और सीआइएसएफ कार्यालय की रैकी कर चुका है। हिदायतुल्ला उर्फ अटैकर बाबा छह फरवरी को जम्मू के कुंजवानी से पकड़ा गया था। वह कश्मीर में सुरक्षाबलों के बढ़ते दबाव में जान बचाने के लिए जम्मू में छिपा था। वह जम्मू में भी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में था। हिदायतुल्ला ने लगभग 10 हैंडलरों के फोन नंबर जांचकर्ताओं को सौंपे हैं।
उसके फोन से कई वीडियो भी मिले हैं। उसने बताया कि पुलवामा हमले के बाद जिस तरह से पाक के बालाकोट में भारतीय वायुसेना ने हमला किया था,उससे जैश सरगना अजहर मसूद हताश है। उसका एक भतीजा उमर फारूक जो पुलवामा कांड की साजिश का प्रमुख सूत्रधार था, वह भी मार्च 2019 में एक मुठभेड़ में मारा गया था। इससे पहले भी अजहर मसूद के दो परिजन पुलवामा और त्राल में सुरक्षाबलों के हाथों मारे गए थे। वह किसी भी कीमत पर राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार से बदला लेना चाहता है।
लश्कर ए मुस्तफा कमांडर ने बताया कि वह जैश के लिए उन दिनों बतौर ओवरग्राउंड वर्कर काम कर रहा था। वह कश्मीर में सक्रिय और पाकिस्तान में बैठे कई आतंकी कमांडरों के साथ इंटरनेट मीडिया पर लगातार संपर्क में रहता था। उसके एक हैंडलर जिसका नाम डाक्टर है, ने ही उसे दिल्ली जाकर अजीत डोभाल के घर और कार्यालय की रैकी का जिम्मा सौंपा था।
वह 24 मई 2019 को एक विमान में श्रीनगर से दिल्ली पहुंचा था। उसने एनएसए कार्यालय और सीआइएसएफ मुख्यालय समेत उन सभी इमारतों व जगहों की रैकी की,जिनके बारे में उसे कहा गया था। उसने सरदार पटेल भवन समेत राजधानी के कई महत्वपूर्ण इलाकों की रैकी की। उसने इनके वीडियो तैयार किए और उन्हेंं वाट्सएप के जरिए पाकिस्तान में अपने आकाओं तक पहुंचाया। वह दिल्ली से बस में बैठ जम्मू और फिर जम्मू से श्रीनगर पहुंचा था। उसके साथ समीर अहमद डार भी था। समीर जैश आतंकी है। उसने समीर के साथ मिलकर सांबा में कुछ सीमांत इलाकों का भी जायजा लिया था।
लश्कर-ए-मुस्तफा नामक आतंकी संगठन किया था तैयार :
हिदायतुल्ला ने बताया कि वह अपने हैंडलर के कहने पर 31 जुलाई 2019 को हिजबु़ल मुजाहिदीन में शामिल हुआ था। करीब सात माह बाद फरवरी 2020 में वह जैश-ए-मोहम्मद में चला गया। अगस्त 2020 में उसने जैश सरगना और अपने हैंडलर के आग्रह पर लश्कर-ए-मुस्तफा नामक आतंकी संगठन तैयार किया। इसमें उसे सिर्फ स्थानीय युवकों को भर्ती करने के लिए कहा था। उसने बताया कि जैश ने मई 2020 में भी पुलवामा जैसा बम धमाका करने की साजिश रची थी। उसे सैंट्रो कार भी उपलब्ध कराई गई थी। उसने तीन साथियों इरफान ठोकर, उमर मुश्ताक और रईस मुस्तफा के साथ मिलकर नवंबर 2020 में शोपियां में जम्मू कश्मीर बैंक की कैश वैन से 60 लाख की नकदी लूटी थी।
डोभाल और अजहर के बीच है 26 साल से है दुश्मनी : डोभाल और जैश प्रमुख मसूद अजहर के बीच दुश्मनी कोई नई नहीं है। अजहर को 1994 में कश्मीर में जब पकड़ा था तो उस समय अजीत डोभाल ने खुफिया ब्यूरो में संयुक्त निदेशक के नाते उससे पूछताछ की थी। इसके बाद 1999 में जब आतंकी एयर इंडिया के विमान को हाइजैक कर कंधार ले गए थे तो उस समय विमानयात्रियों की रिहाई औेर विमान छुड़ाने के लिए अजहर मसूद समेत तीन आतिकयों को रिहा करना पड़ा था। उस समय अजहर मसूद व उसके दो साथियों को छोडऩे के लिए अजीत डोभाल कंधार गए थे। इसके बाद वर्ष 2016 में उड़ी सॢजकल स्ट्राइक और 2019 में हुई बालाकोट सॢजकल स्ट्राइक में भी डोभाल की अहम भूमिका थी। जैश सरगना अपने मंसूबों की नाकामी और अपने नेटवर्क की तबाही के लिए अजीत डोभाल को जिम्मेदार मानता है।