बीडीसी चुनाव: भाजपा ने तेज किया प्रचार, पैंथर्स ने निष्पक्ष चुनाव कराने को राष्ट्रपति की हस्तक्षेप करने को कहा
हर्षदेव ने जम्मू कश्मीर में 24 अक्टूबर को होने जा रहे ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल (बीडीसी) के चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र तरीके से करवाए जाएं।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। जम्मू कश्मीर में ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल (बीडीसी) चुनाव के लिए भाजपा ने प्रचार तेज कर दिया है। पार्टी के नेताओं ने पंचों और सरपंचों के साथ इस बारे में बैठक भी की है। बीडीसी के चुनाव 24 अक्टूबर को होने जा रहे हैं। वहीं पैंथर्स पार्टी के चेयरमैन हर्षदेव सिंह ने राष्ट्रपति भवन में याचिका सौंप कर जम्मू-कश्मीर में लोकतंत्र और संविधान की गारंटी को बरकरार रखने के लिए राष्ट्रपति से हस्तक्षेप करने की मांग की है।
भाजपा के नेताओं ने कठुआ, ऊधमपुर, रियासी, आरएसपुरा, नगरोटा, जम्मू के आसपास व लेह में प्रचार शुरू कर दिया है। चुनाव में कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस, पीडीपी व माकपा भाग नहीं ले रही है। पैंथर्स पार्टी कुछ सीटों पर चुनाव लड़ रही है। इस समय भाजपा का मुख्य रूप से मुकाबला निर्दलीय उम्मीदवारों से है। कुछ निर्दलीय उम्मीदवारों को अप्रत्यक्ष रूप से विपक्षी पार्टियां समर्थन कर रही हैं, लेकिन सामने नहीं आ रही है। भाजपा लोगों को केंद्र सरकार की योजनाओं के बारे में बता रही है। पंचायतों को सशक्त बनाने में मोदी सरकार की भूमिका के बारे में बताया जा रहा है। जम्मू-पुंछ से भाजपा सांसद जुगल किशोर ने नगरोटा विधानसभा क्षेत्र के डंसाल में जाकर प्रचार किया। उन्होंने कहा कि पंचायतों को अधिकार दिलाने के लिए जरूरी है कि पार्टी के उम्मीदवारों को विजयी बनाया जाए। एमएलसी चौधरी विक्रम रंधावा ने आरएसपुरा में सरपंचों और पंचों के साथ बैठक कर पार्टी उम्मीदवार के पक्ष में चुनाव प्रचार किया। पार्टी ने इस ब्लॉक से सरपंच युवराज सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है। विक्रम रंधावा ने बताया कि भाजपा जमीनी सतह पर लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए वचनबद्ध है। पंचायतों को अधिक अधिकार देने के लिए बीडीसी चुनाव जरूरी है।
वहीं पैंथर्स पार्टी के चेयरमैन हर्षदेव ने राष्ट्रपति भवन में सौंपी गई याचिका में गुहार लगाई है कि जम्मू कश्मीर में 24 अक्टूबर को होने जा रहे ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल (बीडीसी) के चुनाव निष्पक्ष और स्वतंत्र तरीके से करवाए जाएं। उन्होंने कहा कि जम्मू कश्मीर में पूर्व सरकार लोगों से न्याय करने में विफल रही है। लोगों की समस्याओं का समाधान नहीं किया गया। जम्मू कश्मीर में पहले राज्यपाल शासन था और अब राष्ट्रपति शासन चल रहा है। विधानसभा के चुनाव कब करवाए जाएंगे, कोई पता नहीं है। विधानसभा के चुनाव टाले जा रहे हैं। विपक्ष को विश्वास में लिए बिना बीडीसी चुनाव करवाए जा रहे हैं। विपक्षी पार्टियों को पर्याप्त समय नहीं दिया गया।