Move to Jagran APP

Jammu : टैगिंग का असर, सड़कों पर कम दिख रहे मवेशी

फरवरी में शुरू की गई इस प्रक्रिया का असर अभी से देखने को मिलने से निगम ने भी राहत की सांस ली है और इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाना शुरू किया है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 19 Apr 2019 11:20 AM (IST)Updated: Fri, 19 Apr 2019 11:20 AM (IST)
Jammu : टैगिंग का असर, सड़कों पर कम दिख रहे मवेशी
Jammu : टैगिंग का असर, सड़कों पर कम दिख रहे मवेशी

जम्मू, जागरण संवाददाता। जम्मू नगर निगम ने शहर से पकड़े जा रहे आवारा मवेशियों की टैगिंग शुरू की है। करीब दो सौ मवेशियों को निगम ने रेडियो फ्रीक्वेंसी आइडेंटिफिकेशन डिवाइस (आरएफआइडी) लगा दी हैं। इसका लाभ यह हो रहा है कि डिवाइस वाले मवेशी दोबारा खुले में घूमते पकड़े नहीं गए। दोबारा पकड़े जाने पर मवेशी को अदालत से रिलीज करवाना पड़ेगा। निगम और पांच हजार डिवाइस मंगवा रहा है। इन डिवाइस के लगने से शहर की सड़कों पर आवारा मवेशियों की संख्या कम होने लगी है। मवेशियों के मालिकों में खौफ जगा है।

loksabha election banner

फरवरी में शुरू की गई इस प्रक्रिया का असर अभी से देखने को मिलने से निगम ने भी राहत की सांस ली है और इस प्रोजेक्ट को आगे बढ़ाना शुरू किया है। आरएफआइडी एक ऐसा डिवाइस है जो मवेशियों की चमड़ी में लगाया जाता है। इसमें मवेशी के मालिक का संपूर्ण ब्योरा रहेगा। मवेशी के पकड़े जाने पर फौरन साफ्टवेयर में जानकारी सामने आ जाती है। जानकारी मिलने पर प्रभावी कार्रवाई की जा सकती है।

मवेशियों की टैगिंग अभी भी जारी : नगर निगम की वेटनरी सेक्शन विभिन्न स्थानों से पकड़े गए मवेशियों की टैगिंग जारी रखे हुए है। जनवरी में मेयर चंद्रमोहन गुप्ता ने ट्रायल बेस पर मवेशियों की टैंङ्क्षगग की इस प्रक्रिया शुरू करवाई थी। हरेक डिवाइस पर 250 रुपये खर्च आता है जो मवेशी के मालिक को देना होता है। हरेक मवेशी की टैगिंग अनिवार्य की जा रही है। शहर में मवेशी रखने वाले को यह टैगिंग करवानी ही होगी। इसके बाद निगम के पास मवेशियों का पर्याप्त डाटा भी उपलब्ध रहेगा। विभिन्न योजनाओं का लाभ देने के लिए भी यह डाटा काम में लाया जाएगा। शहर में चल रही डेयरियों को इसके अधीन लाते हुए सभी मवेशियों को आरएफआइडी लगाने के निर्देश जारी कर दिए गए हैं।

कैसे काम करता है यह डिवाइस: आरएफआइडी मवेशी की गर्दन के नजदीक चमड़ी को उठाकर उसमें लगा दिया जाता है। बिलकुल छोटे से आकार के इस डिवाइस को फिर इसके लिए बनाए गए साफ्टवेयर में अपडेट करते हुए मवेशी के मालिक की विस्तृत जानकारी इसमें डाल दी जाती है। इससे मवेशी जब भी निगम के कैटल पांड में पकड़ कर लाया जाएगा तो सारी जानकारी सामने आ जाएगी। यह साफ्टवेयर एक ऐप के तौर पर काम करता है। म्यूनिसिपल वेटनरी विंग के कर्मचारियों को इसे चलाने की ट्रेनिंग दे दी गई है।

ऐसे करें आवेदन: शहर में जिन लोगों ने मवेशी रखे हैं, वे आरएफआइडी लगवाने के लिए नगर निगम की वेटनरी सेक्शन में इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। टाउन हाल स्थित म्यूनिसिपल वेटनरी आफिसर के कार्यालय में आवेदक जानकारी देगा। 

  • करीब दो महीने में हमने दो सौ मवेशियों को यह डिवाइस लगाए हैं। इसके बाद वे मवेशी दोबारा सड़कों पर नहीं दिखे। साफ है कि मवेशियों के मालिकों में भय उत्पन्न हुआ है। यह अच्छा भी है। ऐसे ही जब सारे मवेशी घरों में रहेंगे तो कोई हादसा नहीं होगा। हमारे पास भी मवेशियों का रिकार्ड बन जाएगा। इसके आधार पर हम ऐसे मवेशियों के लिए सरकारी योजनाओं को भी शुरू करवा सकते हैं। इस पर विचार किया जा रहा है। हमने पांच हजार और डिवाइस मंगवाए हैं। सभी मवेशियों की टैङ्क्षगग होने के बाद समस्या हल हो जाएगी। -डॉ. जफर इकबाल, म्यूनिसिपल वेटनरी ऑफिसर, जम्मू

यह होता है जुर्माना

          मवेशी                          जुर्माना

          गर्भधारण किए मवेशी

          और दूध देने वाले मवेशी     1000 रूपये

          दूध नहीं देने वाले मवेशी     600 रूपये

          मवेशियों के बच्चे              200 रूपये

          रोजाना मवेशी के खाने

           का खर्च                       40 रूपये


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.