Jammu: उड़ता पंजाब बनता जा रहा जम्मू, चार वर्षों में 700 युवाओं की नशे से मौत
शहर के सुंजवां में पंजाब की एनजीओ ने सेंटर खोला था लेकिन वहां युवक की मौत हो जाने के बाद सेंटर को बंद कर दिया गया।
जम्मू, दिनेश महाजन। सरकारी और निजी स्तर पर तमाम कोशिशों के बावजूद युवाओं में नशे को रोकने के प्रयास दम तोड़ते नजर आ रहे हैं। एक निजी संस्था के सर्वे के अनुसार जम्मू जिले में ही पिछले चार वर्षों में सात सौ युवाओं में नशे के चक्कर में दम तोड़ दिया है। सरकारी स्तर पर भी प्रयास इतने प्रभावी नहीं हो पा रहे हैं कि युवाओं को नशे के दलदल से बाहर निकाला जा सके। राज्य के युवाओं को नशा खोखला कर रहा है। इतना ही नहीं, नशीले पदार्थ खरीदने के लिए ऐसे युवा अपराध में भी फंस रहे हैं। यह नशा शराब या सिगरेट का नहीं है, बल्कि गांजा, हेरोइन, चरस, कोकीन, अफीम और नशीली दवाओं का है। नशे के चलते युवाओं की मानसिक स्थिति बिगड़ती जा रही है। कई का मनोचिकित्सालयों में इलाज भी चल रहा हैं।
जम्मू जिले में ही हजारों युवा नशे की गिरफ्त में हैं। युवाओं के परिजन नशा छुवाडऩा तो चाहते हैं, लेकिन राज्य में पर्याप्त डी-एडिक्शन सेंटर नहीं हैं। जो हैं, वहां भी पर्याप्त ढांचा उपलब्ध नहीं है। जम्मू की ही बात करें तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा महेशपुरा चौक में बने अस्पताल में ही ड्रग डी-एडिक्शन सेंटर चला रहा है। यहां नशे से पीडि़त व्यक्ति को अधिक से अधिक 40 दिनों तक रखा जा सकता है। नशे के आदी हो चुके युवाओं के यह अवधि बहुत कम है। यहां पर्याप्त बिस्तर तक नहीं हैं। भर्ती होने के लिए भी लंबा इंतजार करना पड़ता है। जम्मू पुलिस भी ड्रग डी-एडिक्शन सेंटर चला रही है, लेकिन वहां सिर्फ काउंसिलिंग की जाती है। पुरखू में एक समाजसेवी संगठन ने सेंटर मशविरा नाम से खोला है, लेकिन उनके पास भी पर्याप्त ढांचा नहीं है। शहर के सुंजवां में पंजाब की एनजीओ ने सेंटर खोला था, लेकिन वहां युवक की मौत हो जाने के बाद सेंटर को बंद कर दिया गया।
चार वर्षों में सात सौ से अधिक युवाओं की नशे से मौत: मादक पदार्थों से दूर रहने के लिए युवाओं को जागरूक कर रही समाज सेवी संगठन टीम जम्मू के चेयरमैन जोरावर ङ्क्षसह जम्वाल ने बताया कि उनकी संस्था के सदस्यों द्वारा जिले के विभिन्न अस्पतालों में सर्वे किया गया है। इसमें पता चला है कि बीते चार वर्षों में जम्मू जिले में 700 युवाओं की नशे से मौत हो चुकी है। युवाओं की मौत के बाद परिजन उनका पोस्टमार्टम नहीं करवाते, जिसके चलते मौत के सटीक कारणों का पता नहीं चल पाता।
नशे के साथ चोरी, अपराध की घटनाएं भी बढ़ीं: जम्मू जिला ही नहीं, राज्य के युवाओं में नशे की लत बढ़ने के साथ ही चोरी, लूटपाट, मारपीट जैसी घटनाएं भी लगातार बढ़ी हैं। हालात यह हैं कि चंद रुपयों के लिए ही लूट और चोरी की घटनाएं अंजाम दी जा रही हैं। जम्मू क्षेत्र में पिछले दो वर्षों के आंकड़े देखे जाएं तो क्षेत्र में हुई चोरी, लूटपाट और अन्य वारदातों में सबसे ज्यादा युवा वर्ग के आरोपी थे।
पाकिस्तान से चलाया जा रहा नारको टेररिज्म: जम्मू कश्मीर पुलिस ने वर्ष 2018 में मादक तस्करी के 3600 मामले दर्ज किए, जो 2017 की तुलना में बहुत अधिक हैं। 1291 लोगों को नशे की खेप के साथ दबोचा गया। वर्ष 2018 में जम्मू कश्मीर पुलिस ने 28 किलो हेरोइन, 362 किलो चरस, 19,873 किलो डोडा चूरा बरामद हुआ। 56 तस्करों पर पब्लिक सेफ्टी एक्ट लगाया गया। वहीं, वर्ष 2019 में जिला जम्मू पुलिस की कार्रवाई की बात करे तो पुलिस कर्मियों ने आठ माह में मादक तस्करी के आरोप में 350 लोगों को पकड़ा है, जिनमें से 12 लोगों पर पीएसए लगाया गया है। तेजी से बढ़ती इन गतिविधियों ने साफ कर दिया है कि पाकिस्तान अब नारको टेररिज्म पर जोर दे रहा है।
क्या है नशे की लत: चीफ मेडिकल आफिसर (सीएमओ) डॉक्टर राजेंद्र थापा के अनुसार नशे की लत एक बीमारी है, जो किसी व्यक्ति के दिमाग और व्यवहार को प्रभावित कर सकती है। कुछ पदार्थ जैसे अल्कोहल, मारिजुआना (गांजा) और निकोटीन को भी नशे ही का एक रूप माना जाता है, जब कोई इन्सान इनका आदी हो जाता है। सामान्य शब्दों में कहा जाए तो एक ही गतिविधि में बार-बार लिप्त होने की ललक या खुशी पाने के लिए किसी पदार्थ का सेवन, लेकिन जिससे शरीर को नुकसान हो उसे ही व्यसन या लत कहा जाता है।
बिगड़ जाती है दिमागी क्रिया: नशीले पदार्थ दिमागी क्रिया को गड़बड़ा देते हैं। इसके बाद वह नशे का बमुश्किल ही विरोध कर पाते हैं। ऐसा लगने लगता है कि ङ्क्षजदगी में इसके बगैर कुछ भी नहीं है। वर्ष 2018 में समाजसेवी संगठन टीम जम्मू द्वारा नशे पर निर्भरता को लेकर किए गए एक सर्वेक्षण में पाया गया कि 80 प्रतिशत नशेड़ी नशे को छोडऩे की नाकाम कोशिशें कर चुके हैं।
ड्रग एडिक्ट के प्रमुख लक्षण
- शारीरिक: एकाएक वजन कम होना या बढऩा, लाल आंखें, जुबान लडखड़़ाना, आंखों की पुतलियां बड़ी होना या बहुत छोटी हो जाना।
- मानसिक: आक्रामकता बढ़ जाना, मूड में बहुत ज्यादा बदलाव, बिना वजह का भय या तनाव और बुरे सपने आना।
- सामाजिक: झूठ बोलना, आपराधिक गतिविधियों में लिप्तता, दोस्तों का ग्रुप बदल जाना, अपने पुराने साथियों, परिजनों से कट जाना।
नशाग्रस्त लोगों को दिखाई जा रही नई राह
जम्मू सांबा कठुआ रेंज के डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल ऑफ पुलिस (डीआइजी) विवेक गुप्ता का कहना है कि मादक तस्करी में संलिप्त लोगों पर कार्रवाई करने के साथ जिला पुलिस लाइन में ड्रग डी-एडिक्शन सेंटर चलाया जा रहा है। इसमें नशे के आदी युवाओं को जीने की नई राह दिखाई जा रही है। नशे के सेवन से कितने लोगों की मौत हुई है, इस बारे में पता लगा पाना पुलिस के लिए संभव नहीं है। कई परिवार जिनके घरवाले नशे के चंगुल में फंस जाते हैं वे पुलिस के पास नहीं आते। युवाओं को नशे से दूर रहने के लिए पुलिस स्कूलों, कॉलेजों में जागरूकता अभियान चला रही है। शैक्षिक एवं धार्मिक स्थलों में पुलिस ने नशे से दूर रहने के लिए संदेश जिसमें नशे के कारोबार में संलिप्त लोगों के बारे में जानकारी देने के लिए एक फोन नंबर भी लिखा गया है।
पीड़ितों के पुर्नवास के लिए सरकार गंभीर : मंडलायुक्त
जम्मू संभाग के मंडलायुक्त संजीव वर्मा का कहना है कि नशे की रोकथाम के लिए सरकार गंभीर है। नशे के कारोबार पर अंकुश लगाने के साथ ही नशे की गिरफ्त में आए युवाओं के पुर्नवास के लिए राज्य एवं संभाग स्तर पर कमेटियों का गठन किया गया है। कमेटी में सरकारी अधिकारी, पत्रकार, समाजसेवी संगठनों के लोग शामिल हैं। कमेटी का काम जिला स्तर पर ड्रग डी-एडिक्शन सेंटर स्थापित करना है। आने वाले कुछ दिनों में कमेटी की अहम बैठक होने वाली है।