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हाईकोर्ट ने गृह विभाग व डीजी से मांगा जबाव

जेएनएफ, जम्मू : पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद डॉ. फारूक अब्दुल्ला के ब¨ठडी स्थित निवास में संदिग्ध परिि

By JagranEdited By: Published: Tue, 21 Aug 2018 02:38 AM (IST)Updated: Tue, 21 Aug 2018 02:38 AM (IST)
हाईकोर्ट ने गृह विभाग  व डीजी से मांगा जबाव
हाईकोर्ट ने गृह विभाग व डीजी से मांगा जबाव

जेएनएफ, जम्मू : पूर्व मुख्यमंत्री व सांसद डॉ. फारूक अब्दुल्ला के ब¨ठडी स्थित निवास में संदिग्ध परिस्थितियों में युवक मुर्फाद हुसैन शाह की मौत के मामले में उच्च न्यायालय की जम्मू ¨वग ने गृह विभाग के सचिव, राज्य गृह विभाग के प्रधान सचिव, पुलिस महानिदेशक (डीजीपी), जम्मू जोन के आइजीपी, जिला जम्मू एसएसपी तथा एसएचओ त्रिकुटा नगर को नोटिस जारी किया। उन्हें तीन सप्ताह के भीतर मामले की ताजा रिपोर्ट न्यायालय में पेश करने के निर्देश दिए है। उच्च न्यायालय में दायर याचिका में मुर्फाद के पिता इमजाद हुसैन शाह की ओर दायर याचिका की सुनवाई के दौरान यह मांग की कि राज्य गृह विभाग तथा डीजीपी को निर्देश दिया जाए कि आइजीपी रैंक के अधिकारी की देखरेख में हत्याकांड की जांच करवाई जाए। वकील ने कहाकि राजनीतिक दबाव के चलते पुलिस मामले की सही जांच नहीं कर रही। मुर्फाद को गोली मारने वाले सीआरपीएफ जवान के विरुद्ध हत्या, षड्यंत्र रचने, आ‌र्म्स एक्ट के तहत मामले दर्ज किया जाना चाहिए। मृतक के परिवार को मुआवजे के तौर पर एक करोड़ दिया जाना चाहिए क्योंकि उसकी हत्या को सुनियोजित ढंग से अंजाम दिया गया है। मुर्फाद बिना हथियार के था, उसे प्रताड़ित करने के बाद मार दिया गया था। जिससे उसके परिवार को गहरा धक्का लगा है। सीआरपीएफ एवं पुलिस ने मिलकर फर्जी कहानी बना कर मुर्फाद को बदनाम करने की कोशिश की गई। याचिकाकर्ता के वकील ने कहाकि त्रिकुटा नगर पुलिस ने सीआरपीएफ की शिकायत पर मामला दर्ज कर लिया है, लेकिन कोर्ट के निर्देश के बावजूद सीआरपीएफ कर्मियों पर हत्या का मामला दर्ज नहीं किया है। नौ अगस्त को चीफ ज्युडिशियल मजिस्ट्रेट ने त्रिकुटा नगर पुलिस को सीआरपीएफ कर्मियों के विरुद्ध मामले को दर्ज कर आरोपों की जांच करने को कहा था, बावजूद इसके एसएसपी जम्मू ने मुर्फाद को गोली मारने वाले सीआरपीएफ कर्मियों पर मामला दर्ज नहीं किया। मामला दर्ज करना तो दूर पुलिस ने अब तक आरोपों की सचाई का पता लगाने के लिए जाचं भी शुरू नहीं की है। मुर्फाद के परिजनों के बयान भी दर्ज नहीं किए गए है। याचिकाकर्ता के वकीलों की दलीलों को सुनने के बाद जस्टिस संजय कुमार गुप्ता ने नोटिस जारी किया। उच्च न्यायालय की ओर से जारी नोटिस को वहां मौजूद सरकारी वकीलों को सौंप दिया गया।

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