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Muharram in Kashmir: घाटी में मुहर्रम जुलूस पर पाबंदी, आतंकियों द्वारा बड़ी वारदात करने की है आशंका

Muharram in Kashmir घाटी में मुहर्रम जुलूस पर पाबंदी जुलूस की आड़ में आतंकियों द्वारा बड़ी वारदात करने की है आशंका सड़कों पर लगाए कंटीले तार।

By Preeti jhaEdited By: Published: Tue, 10 Sep 2019 08:50 AM (IST)Updated: Tue, 10 Sep 2019 12:44 PM (IST)
Muharram in Kashmir: घाटी में मुहर्रम जुलूस पर पाबंदी, आतंकियों द्वारा बड़ी वारदात करने की है आशंका

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो। कश्मीर में मुहर्रम पर पाबंदियों को सख्त कर दिया गया है। किसी को भी कश्मीर में जुलूस निकालने की इजाजत नहीं है। प्रशासन ने कई जगहों पर कंटीले तार लगाए हैं। इसका कश्मीर में जनजीवन पर असर पड़ा है। इस सबके बीच प्रशासन रोजाना हालात की समीक्षा कर रहा है।

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दरअसल, मुहर्रम के जुलूस की आड़ में आतंकी कोई बड़ी वारदात कर सकते हैं। कश्मीर में मंगलवार को भी सामान्य जनजीवन एक बार फिर प्रशासनिक पाबंदियों और शरारती तत्वों द्वारा जबरन कराए जा रहे बंद में उलझा नजर आया। श्रीनगर के लाल चौक, जडीबल और डाउन टाउन समेत पूरी घाटी के सभी संवेदनशील इलाकों में निषेधाज्ञा को सख्ती से लागू किया गया है।

सूत्रों की मानें तो श्रीनगर, बड़गाम, पुलवामा, अनंतनाग, गांदरबल, बांडीपोरा और बारामुला के जिला उपायुक्तों से कहा गया है कि वह सांप्रदायिक दंगों की दृष्टि से संवेदनशील इलाकों और मुख्य सड़कों व हाईवे पर मुहर्रम के जुलूस की अनुमति न दें। वादी में शांति से हताश आतंकी और अलगाववादी अपने मंसूबों को नाकाम होते देख मुहर्रम के जुलूस की आड़ में किसी बड़ी वारदात को अंजाम देने की फिराक में हैं। इसके बाद ही प्रशासन ने पाबंदियां सख्त की हैं।

किसी भी अप्रिय घटना से निपटने के लिए प्रशासन ने सभी संवेदनशील इलाकों में बड़ी संख्या में पुलिस और अर्धसैनिकबलों के जवानों को तैनात किया गया। लाल चौक और शिया बहुल इलाकों के रास्तों पर आम आवाजाही को पूरी तरह प्रतिबंधित रखा गया।

अधिकारियों ने बताया कि आज शाम तक वादी में प्रशासनिक पाबंदियों को जारी रखा जाएगा। लालचौक, डलगेट, जडीबडल, मीरगुंड,पटटन, बड़गाम, बेमिना, पांपोर और अन्य इलाकों में सभी प्रमुख सड़कों पर मुहर्रम के जुलूस निकालने पर पाबंदी रहेगी।

अलबत्ता, शिया बहुल इलाकों के भीतरी हिस्सों में स्थित इमामबाड़ों में स्थानीय स्तर पर मुहर्रम की मजलिसों पर किसी तरह की रोक नहीं है। अधिकारी ने बताया कि श्रीनगर शहर में वर्ष 1988 से ही लालचौक, डलगेट, हब्बाकदल, जहांगीर चौक में दस मुहर्रम पर आशूरा के जुलूस पर पाबंदी है।

अलगाववादी खेमे से ताल्लुक रखने वाली अंजुमन-ए-शरीया ए शिया के अध्यक्ष आगा सैयद हसन और इत्तेहादुल मुसलमीन के अध्यक्ष मौलवी अब्बास अंसारी द्वारा आठ और दस मुहर्रम को आयोजित किए जाने वाले जुलूसों में आजादी समर्थक नारेबाजी होती है।

वर्ष 2017 और 2018 में मुहर्रम के जुलूसों में अलम और ताजिये के साथ आतंकी कमांडर बुरहान वानी के पोस्टर भी देखे गए थे। सिर्फ मोहल्लों की दुकानें कुछ देर के लिए खुलीं सख्त पाबंदियों का असर सोमवार को सुबह से ही श्रीनगर समेत वादी के सभी इलाकों में साफ नजर आया। सिर्फ गली मोहल्लों की सुबह वही दुकानें खुली, जहां रोजमर्रा का सामान मिलता है। ये दुकानें सुबह नौ बजे बंद हो गई।

वादी में सभी प्रमुख बाजार और निजी प्रतिष्ठान पूरी तरह बंद रहे। आम वाहनों की आवाजाही बीते दिनों की तुलना में बहुत कम थी। शिक्षण संस्थान बंद रहे। सरकारी कार्यालयों में कर्मचारियों की हाजिरी कम रही। नागरिक सचिवालय में उपस्थिति लगभग 85 प्रतिशत रही।


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