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Kashmir Lockdown Effect: कश्मीर में बंद है बैंड-बाजा-बारात, ईद के बाद होने वाली ज्यादातर शादियां फिलहाल टालीं

राजबाग में रहने वाले बिलाल अहमद की बेटी की शादी 7 जून को प्रस्तावित है। बिलाल अहमद ने कहा कि दिसंबर में रिश्ता तय किया था। लड़के का भाई दुबई में है उसे ईद पर घर आना था।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 15 May 2020 11:04 AM (IST)Updated: Fri, 15 May 2020 11:04 AM (IST)
Kashmir Lockdown Effect: कश्मीर में बंद है बैंड-बाजा-बारात, ईद के बाद होने वाली ज्यादातर शादियां फिलहाल टालीं

श्रीनगर, नवीन नवाज। कोरोना संक्रमण का असर कश्मीर में शहनाई की गूंज पर भी नजर आ रहा है। ईद-उल-फितर के बाद सितंबर माह तक होने वाली वाली शादियों की दावत फिलहाल स्थगित की जा रही हैं। कश्मीर में कोरोना का संक्रमण चरम पर है। ऐसे में प्रशासन ने भी सभी समारोह स्थगित करने को कहा है। कश्मीर में ईद के बाद सितंबर तक ही विवाह समारोह आयोजित होते हैं।

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यहां बता दें कि वादी में शादी-विवाह से जुड़ी व्यावसायिक गतिविधियों में करीब 700 करोड़ का कारोबार होता था और उससे एक लाख लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार भी मिलता था। जम्मू कश्मीर में संक्रमितों की संख्या 970 के करीब है। इनमें से करीब 900 कश्मीर संभाग से ही संबंध रखते हैं। कश्मीर के सभी 10 जिले हॉटस्पाट और रेडजोन में अधिसूचित हैं। कोरोना संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ रही है। कश्मीर में सामान्य तौर पर लोग शादी-विवाह मई से अक्टूबर माह के दौरान ही आयोजित करते हैं। ज्यादातर शादियां रमजान के बाद के महीनों में ही होती हैं।

स्थानीय कश्मीरी विवाह समारोह भव्य तरीके से आयोजित करते हैं और लगभग चार से छह माह पहले तैयारी आरंभ हो जाती है। कोरोना संक्रमण के लगातार बढ़ते मामलों के मद्देनजर वादी में फिलहाल लॉकडाउन में राहत की कोई ज्यादा उम्मीद नहीं है। घाटी में करीब 125 बस्तियां और मोहल्ले रेड जोन में अधिसूचित हैं। इसलिए शादियां तो संभव हैं पर भव्य समारोह और दावतें नहीं होंगी।

सादे समारोह से खर्च भी बच रहाः राजबाग में रहने वाले बिलाल अहमद की बेटी की शादी 7 जून को प्रस्तावित है। बिलाल अहमद ने कहा कि दिसंबर में रिश्ता तय किया था। लड़के का भाई दुबई में है, उसे ईद पर घर आना था। अब सिर्फ निकाह की रस्म होगी, कोई बैंड-बाजा नहीं होगा। दावत में खाने और साज-सज्जा के लिए दी एडवांस राशि का भी नुकसान हो गया। हालांकि समारोह पर होने वाला खर्च बच गया। पीरबाग श्रीनगर और वनबल में रहने वाले तीन परिवारों ने शादी को सितंबर माह तक स्थगित कर दिया है। हाजी नसीर अहमद ने कहा कि मेरे छोटे पोते की शादी जुलाई में है। परिवार के कुछ लोग धूमधाम से विवाह पर अड़े थे। इसलिए हमने कार्यक्रम सितंबर तक टालना बेहतर समझा।

रोजगार में जुटे लोगों का संकटः बिलाल अहमद की बचत आमिर वाजा जैसे लोगों पर भारी पड़ रही है। वाजा समुदाय से रखने वाले आमिर ऐसे समारोह पर घरों में खाना पकाने का काम करते हैं। कश्मीर में वाजा की अहमियत यह है कि सामान्य परिस्थिति में लोग इनकी उपलब्धता के आधार पर अपने घरों में शादी की तारीखें तय करते हैं। आमिर ने कहा कि मेरे साथ 30 लोगों काम करते हैं। शादी समारोह न होने से हम जैसे लोगों की बुरी हालत होगी। पिछले साल भी यहां बंद और कफ्र्यू के कारण हालात सही नहीं रहे। शमियाना व साज सज्जा के कारोबार से जुड़े आबिद ने कहा कि जब दावत ही नहीं होगी तो वह शमियाना क्यों लगवाएगा। सिर्फ मेरे जैसे ही नहीं गोश्त का कारोबार करने वाले, वीडियो ग्राफर व अन्य लोगों के लिए भी यही स्थिति है। अब लोगों के फोन समारोह कैंसिल होने के ही आ रहे हैं। ज्यादातर लोग निकाह की रस्म को पूरा कर दुल्हन अपने घर ला रहे हैं। ऐसे में कोरोना का संकट हम पर भारी पड़ रहा है।

इस्लाम नहीं देता इजाजतः कश्मीर के मुफ्ती-ए-आजमी नासिर उल इस्लाम ने कहा कि दिखावे के नाम पर भव्य तरीके से शादी की दावतों का आयोजन इस्लाम के खिलाफ है लेकिन लोग मानते कहां हैं। इस्लाम के मुताबिक निकाह की रस्म सादा होनी चाहिए। इस समय सब लोग एक महामारी से लड़ रहे हैं, ऐसे में बैंड बाजा शोभा नहीं देता।

  • लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण के चलते समारोह में मेहमानों को जमा नहीं किया जा सकेगा। इसलिए बेहतर है कि शादी बिल्कुल सादा तरीके से की जाए या फिर कुछ समय के लिए स्थगित की जाए। - पांडुरंग के पोले, मंडलायुक्त कश्मीर 

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