जम्मू संभाग में छह माह में 500 लोगों की सड़क हादसों में गई जान Jammu News
राज्य में वाहनों की संख्या 15 लाख से अधिक है लेकिन सड़क प्रबंधन प्रणाली की रफ्तार बढ़ते वाहनों की संख्या के साथ कदम नहीं मिला सकी।
जम्मू, दिनेश महाजन। पर्वतीय राज्य जम्मू-कश्मीर में सड़क हादसों पर अंकुश लगाने के लिए मोटर व्हीकल एक्ट में संशोधन कारगर भूमिका निभा सकता है। राज्य में सड़क हादसे घातक होते जा रहे हैं। इसमें एक साथ कई लोगों की जान तक चली जाती है। सड़क हादसों की रोकथाम के लिए सरकारों ने कोई ठोस पहल नहीं की। स्थिति यह है कि छह माह में ही करीब 500 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। अब जुर्माने की राशि बढऩे से सड़क हादसों में कमी आने की उम्मीद है।
राज्य पुलिस की ट्रैफिक विंग की मानें तो राज्य में रोजाना औसतन सोलह गंभीर हादसे हो रहे है। इनमें कई लोग अपनी जान गंवा रहे हैं। कई गंभीर रूप से घायल होकर अस्पतालों में उपचार करवा रहे हैं। इस वर्ष के पहले छह माह में 2880 गंभीर सड़क हादसे हुए जिनमें करीब पांच सौ लोगों (औसतन प्रतिदिन तीन लोगों की मौत, जबकि 22 लोग गंभीर रूप से घायल हो रहे) की जान चली गई। सड़क हादसों को रोकने के लिए समय-समय पर कई प्रयास हुए लेकिन उसके कारगर नतीजे सामने नहीं आए। स्टेट ट्रांसपोर्ट सलाहकार कमेटी और राज्य विधानसभा की ओर से हाउस कमेटी का गठन किया गया था। इन कमेटियों ने माना था कि लापरवाही से वाहन चलाने के कारण अधिकांश सड़क दुर्घटनाएं होती हैं। राज्य की सड़कों की बदहाली को दुर्घटनाओं का बड़ा कारण बताया था। राज्य में जब तक अच्छी और चौड़ी सड़कें नहीं बनाई जातीं तब तक ट्रैफिक प्रबंधन प्रणाली को बेहतर नहीं बनाया जा सकता है। राज्य में सड़कों का विस्तार तो नहीं हो पाया है लेकिन वाहनों की संख्या हर वर्ष बढ़ रही है। राज्य में वाहनों की संख्या 15 लाख से अधिक है लेकिन सड़क प्रबंधन प्रणाली की रफ्तार बढ़ते वाहनों की संख्या के साथ कदम नहीं मिला सकी।
ओवरलोडिंग हादसों का सबसे बड़ा कारण
संभाग के पहाड़ी जिले डोडा, किश्तवाड़, रामबन, रियासी, पुंछ व राजौरी में जर्जर सड़कों, ओवरलोडिंग के कारण सबसे अधिक सड़क हादसे होते हैं। यह कहना गलत नहीं होगा कि जम्मू-कश्मीर में आतंकवादी घटनाओं के मुकाबले सड़क हादसों में अधिक लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ती है। सड़क हादसों में प्रति वर्ष मरने वालों की संख्या हजारों में है। स्टेट ट्रांसपोर्ट सलाहकार कमेटी ने अपनी सिफारिश में इन जिलों में स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट विभाग के अतिरिक्त वाहनों को चलाने की बात कही थी ताकि ओवरलोडिंग पर अंकुश लग पाए। निजी वाहन चालक अधिक यात्रियों को बैठाने के चक्कर में ओवरलोडिंग करते हैं, जो सड़क हादसों का बड़ा कारण है, लेकिन अभी तक इस ओर कोई कदम नहीं उठाया गया है।
यातायात नियमों का सख्ती से हो पालन
यातायात नियमों का सख्ती से पालन करवाने से सड़क हादसों को रोका जा सकता है। पुलिस अधिकारियों को यह हिदायत दी गई है कि ओवरलोडिंग और तेज वाहन चलाने वाले चालकों पर कठोर कार्रवाई करे। राज्य में सड़क दुर्घटनाओं से मरने वालों की संख्या में लगातार इजाफे का कारण यह भी है कि यहां कोई ट्रामा सेंटर नहीं है, जहां आपात स्थिति में मरीजों को लाया जा सके और उनकी जान बचाई जा सके। -आलोक कुमार, आइजीपी, ट्रैफिक विंग