Jammu Kashmir Weather: मानसून की पहली झड़ी ने मौसम बनाया खुशहाल, जम्मू-श्रीनगर हाइवे फिलहाल बंद
कृषि मौसम वैज्ञानिक मोहिंद्र सिंह ने बताया कि पिछले तीन दिनों से मौसम का जो क्रम जारी है। उसमें प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में मध्य से भारी बारिश दर्ज की गई।
जम्मू, जागरण संवाददाता : पिछले 48 घंटों से रुक-रुक कर जारी बारिश ने जम्मू-कश्मीर का जनजीवन अस्त व्यस्त कर दिया है। जम्मू-श्रीनगर नेशनल राष्ट्रीय राजमार्ग बंद है तो कई लिंक रोड भी बारिश से बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं। शहरों में गलियों सड़कों की हालत बद से बदतर हो गई है। करीब 48 घंटों से रूक-रूक कर जारी बारिश से किसानों के चेहरे खिले हुए हैं। उमस और चुभन भरी गर्मी से भी हल्की राहत मिली है। तापमान में तीन से सात डिग्री सेल्सियस तक गिरावट आई है।जिस तरह की झड़ी शुरू हुई है, यह इस मानसून की पहली झड़ी है। माैसम विज्ञान केंद्र, श्रीनगर से मिली जानकारी अनुसार रुक-रुक कर बारिश का सिलसिला जारी रहेगा। 28 अगस्त तक बारिश का माहौल बना रहेगा।
पिछले 24 घंटों में जिला ऊधमपुर में सबसे ज्यादा 13.6 एमएम बारिश रिकार्ड की गई। कठुआ में 9.8 एमएम, रियासी में 2.0, जम्मू में 5.4 एमएम, कटड़ा 64.2 एमएम, बनिहाल में 21.8 एमएम, बटोत 81.4 एमएम, भद्रवाह में 41.8 एमएम, काजीगुंड में 26.2 एमएम, कुपवाड़ा में 1.0 एमएम, कुकरनाग में 15.9 एमएम बारिश रिकार्ड की गई। पहलगाम में 16.3 एमएम, गुलमर्ग में 7.8 एमएम, श्रीनगर में 27.2 एमएम, कारगिल में हल्की बूंदाबांदी हुई।
बारिश के चलते तापमान में भी गिरावट दर्ज की गई। जम्मू का अधिकतम तापमान 28.4, न्यूनतम तापमान 24.8, कटड़ा का अधिकतम तापमान 25.5, न्यूनतम तापमान 22.2, श्रीनगर का अधिकतम तापमान 26.7, न्यूनतम तापमान 17.8 डिग्री सेल्सियस रहा। लेह का अधिकतम तापमान 27.8, न्यूनतम तापमान 17.1, कारगिल का अधिकतम तापमान 26.8, न्यूनतम तापमान 15.8 डिग्री सेल्सियस रहा।
कृषि मौसम वैज्ञानिक मोहिंद्र सिंह ने बताया कि पिछले तीन दिनों से मौसम का जो क्रम जारी है। उसमें प्रदेश के विभिन्न क्षेत्रों में मध्य से भारी बारिश दर्ज की गई। जो कि इस समय खरीफ की फसलों के लिए वरदान साबित होगी। इससे खरीफ की फसलों में जो पानी की कमी महसूस की जा रही थी वह इस बारिश से पूरी हुई। आगे भी बारिश का क्रम जारी रहेगा। 28 अगस्त तक मौसम इसी तरह का बना रहेगा। रुक-रुक कर बारिश होती रहेगी। ऐसे में मक्की की फसल में किसान पानी खड़ा न होने दें।