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ईपीएफ कानून में बदलाव पर टिकी लाखों कर्मियों की नजर, जानिए क्या हैं फायदे, क्या नुकसान

केंद्र शासित प्रदेश बनने पर इसमें आवश्यक संशोधन होता है तो इससे कर्मियों को कुछ फायदे होंगे तो कुछ नुकसान होने की भी संभावना है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 19 Sep 2019 02:54 PM (IST)Updated: Thu, 19 Sep 2019 02:54 PM (IST)
ईपीएफ कानून में बदलाव पर टिकी लाखों कर्मियों की नजर, जानिए क्या हैं फायदे, क्या नुकसान

जागरण संवाददाता, जम्मू : जम्मू-कश्मीर पहली नवंबर से दो केंद्र शासित प्रदेशों में बदलने जा रहा है। ऐसे में निजी क्षेत्र में कार्यरत पांच लाख से अधिक कर्मियों की नजर इंप्लाइज प्रोविडेंट फंड (ईपीएफ) कानून में संभावित बदलाव पर टिकी हुई है। हालांकि जम्मू कश्मीर में अन्य राज्यों की तुलना में ईपीएफ एक्ट कर्मियों के लिए फायदेमंद है, लेकिन यहां पेंशन स्कीम न होने के कारण कर्मचारी आज तक इससे वंचित हैं।

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केंद्र शासित प्रदेश बनने पर इसमें आवश्यक संशोधन होता है तो इससे कर्मियों को कुछ फायदे होंगे तो कुछ नुकसान होने की भी संभावना है। जम्मू कश्मीर पीएफ एक्ट के तहत मौजूदा समय में कर्मियों के कुल वेतन के 12 फीसद की कटौती होती है और इतनी ही राशि कंपनी या फैक्टरी की ओर से जमा करवाई जाती है। केंद्रीय कानून के तहत यह कटौती बुनियादी वेतन पर होती है। ऐसे में राज्य के निजी क्षेत्रों में कार्यरत कर्मियों के पीएफ की कटौती अधिक होती है। स्थानीय कानून के तहत यह पूरी कटौती पीएफ में जमा होती है, लेकिन केंद्रीय कानून के तहत इस कटौती का एक हिस्सा पेंशन योजना के तहत जाता है, जिससे सेवानिवृत्त होने पर कर्मियों को लाभ मिलता है। जम्मू कश्मीर में कर्मचारी अभी तक इस लाभ से वंचित हैं।

ईपीएफ कमिश्नर बशीर अहमद खान की मानें तो कानून में संशोधन या परिवर्तन का मामला विचाराधीन है। इसलिए अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगा।

5.38 लाख कर्मियों का रिकॉर्ड हुआ डिजिटल

ईपीएफ विभाग ने राज्य के 5.38 लाख कर्मियों के रिकॉर्ड को डिजिटल कर दिया है। पिछले वित्तीय वर्ष में विभाग ने 730 नई इकाइयों का पंजीकरण किया, जिससे जीवित पीएफ कर्मियों की संख्या 4.23 लाख से बढ़कर 5.11 लाख पहुंच गई है। बुधवार को पीएफ आर्गेनाइजेशन की 81वीं बोर्ड मीङ्क्षटग के दौरान यह जानकारी दी गई। राज्यपाल के सलाहकार खुर्शीद अहमद गनई की अध्यक्षता में हुई बैठक में बताया गया कि वित्तीय वर्ष 2018-19 में 483.23 करोड़ रुपये आया, जबकि इस अवधि में 257.82 करोड़ रुपये के क्लेम सेटल किए गए। इसके अलावा 2.84 करोड़ रुपये जुर्माना भी वसूला गया। बैठक में वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 2231.385 करोड़ रुपये के बजट को भी मंजूरी दी गई।


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