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आतंकी से फौजी बने शहीद नजीर को मिलेगा अशोक चक्र

कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ चलाया गया शायद ही कोई ऐसा अभियान होगा, जिसमें वह शामिल न हुए हों। उन्होंने कई नामी आतंकियों को मार गिराने में अहम भूमिका अदा की।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 24 Jan 2019 05:30 PM (IST)Updated: Thu, 24 Jan 2019 05:30 PM (IST)
आतंकी से फौजी बने शहीद नजीर को मिलेगा अशोक चक्र
आतंकी से फौजी बने शहीद नजीर को मिलेगा अशोक चक्र

जम्मू, जेएनएन। कश्मीर और कश्मीरियों की जिंदगी को जिहादियों, उनके एजेंटों की गुलामी से आजाद कराने के लिए शहादत देने वाले सेना के लांस नायक नजीर अहमद वानी को मरणोंपरात भारत के सर्वोच्च वीरता पुरस्कार अशोक चक्र के लिए चुना गया है। कश्मीर की कुलगाम तहसील के अश्मूजी गांव के रहने वाले नजीर एक समय खुद आतंकवादी थे। वह इन जिहादियों की असलियत को समझ चुके थे, तभी उन्होंने आतंकवाद का रास्ता छोड़ सेना में भर्ती होकर उन लोगों के खिलाफ जंग शुरू कर दी जो गलत धारणाएं फैलाकर उनके राज्य की अशांति व नौजवानों को गलत रास्ते पर ले जा रहे थे। इस जज्बे को देखते हुए ही उन्हें सेना में भर्ती किया गया था।

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वानी की बहादुरी का अंदाजा इससे भी लगाया जा सकता है कि वह दो बार सेना मेडल भी जीत चुके हैं। वह वर्ष 2004 में सेना में भर्ती हुए थे। वर्ष 2007 में उन्हें वीरता और राष्ट्रभक्ति के लिए सेना मेडल प्रदान किया गया था। गत वर्ष 2018 में उन्हें दोबारा सेना मेडल प्रदान किया गया। उन्हें बहादुरी की मिसाल माना जाता था। कश्मीर में आतंकवादियों के खिलाफ चलाया गया शायद ही कोई ऐसा अभियान होगा, जिसमें वह शामिल न हुए हों। उन्होंने कई नामी आतंकियों को मार गिराने में अहम भूमिका अदा की।

जम्मू-कश्मीर के शोपियां में 23 नवंबर 2018 को जब सेना को बटागुंड गांव में हिज्बुल और लश्कर के 6 आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली तो 34 राष्ट्रीय रायफल्स को अभियान की जिम्मेदारी साैंपी गई। वानी अपने साथियों के साथ वहां पहुंच गए। उन्हें आतंकियों के भागने का रास्ता रोकने की जिम्मेदारी सौंपी गई। लांस नायक वानी ने दो आतंकियों को मारने और अपने घायल साथी को बचाते हुए शहादत पाई।

थल सेना अध्यक्ष जनरल विपिन रावत ने शहीद लांस नायक की शहादत को नमन करते हुए कहा कि मुठभेड़ में वानी और उनके साथियों ने कुल 6 आतंकियों को मार गिराया था। इनमें से दो को वानी ने खुद मारा था। वह बुरी तरह ज़ख्मी हो गए थे। बाद में अस्पताल में इलाज के दौरान उन्होंने दम तोड़ दिया था। 26 नवंबर को उनके पैतृक गांव में उन्हें सुपुर्द-ए-खाक करने से पहले 21 तोपों की सलामी दी गई थी। शहीद के परिवार में उसकी पत्नी जबीना व दो बच्चों के अलावा उसके मां-बाप रह गए हैं।

वानी ने देश के लिए कुर्बान होकर कश्मीरियों को यह संदेश भी दिया है कि पाकिस्तान की शह पर काम कर रहे आतंकवादी समाज के दुश्मन हैं। हालात की बेहतरी के लिए उनके मंसूबे नाकाम करना जरूरी है। भले ही इसके लिए जान ही क्यों न देनी पड़े। 


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