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Militancy in Kashmir: कश्मीर में 10 माह में आतंकी हमलों में मारे जा चुके एक दर्जन भाजपा कार्यकर्ता

Militancy in Jammu Kashmir भाजपा नेता अल्ताफ ठाकुर ने कहा कि कश्मीर में भाजपा के स्थानीय नेता और कार्यकर्ता सबसे ज्यादा खतरे में हैं। भाजपा का एजेंडा पूरी तरह राष्ट्रवादी है भाजपा कश्मीर में जितनी मजबूत होगी अलगाववादी व आतंकी एजेंडा उतना ही कमजोर होगा।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Fri, 02 Apr 2021 12:22 PM (IST)Updated: Fri, 02 Apr 2021 02:41 PM (IST)
Militancy in Kashmir: कश्मीर में 10 माह में आतंकी हमलों में मारे जा चुके एक दर्जन भाजपा कार्यकर्ता
हमला करने वाला संगठन द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) जम्मू कश्मीर है।

श्रीनगर, नवीन नवाज: जम्मू कश्मीर में बीते एक साल के दौरान भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं पर आतंकी हमलों में लगातार बढ़ोतरी हुई है। वीरवार को श्रीनगर के नौगाम में भाजपा नेता अनवर खान के मकान पर हमले से तीन दिन पहले सोपोर में भाजपा से संबंधित नगर पालिका के दो पार्षद और एक पुलिसकर्मी भी आतंकी हमले में शहीद हुए हैं।

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यह हमले आतंकियों द्वारा कश्मीर में मुख्यधारा की सियासत से जुड़े लोगों पर किए जाने वाले हमलों से पूरी तरह अलग हैं, क्योंकि हमलावर संगठन एक ही है और हर बार वह इन हमलों को कश्मीर में हिंदुत्व के खिलाफ अपने जिहाद के साथ जोड़ते हुए कहता है कि जो भी भगवा पार्टी का साथ देगा या उसके एजेंडे को आगे बढ़ाते हुए कश्मीर को भारतीय मुख्यधारा में ले जाएगा, उसका यही हश्र होगा। हमला करने वाला संगठन द रजिस्टेंस फ्रंट (टीआरएफ) जम्मू कश्मीर है। जम्मू कश्मीर पुलिस इसे लश्कर-ए-तैयबा का एक हिट स्क्वाड और छद्म संगठन बताती है।

कश्मीर में बीते 10 माह के दौरान करीब एक दर्जन भाजपा कार्यकर्ता विभिन्न आतंकी हमलों में मारे जा चुके हैं। आठ जुलाई 2020 को बांडीपोरा में आतंकियों ने भाजपा नेता वसीम बारी की उनके पिता बशीर अहमद और भाई उमर सुल्तान संग उनके घर में ही हत्या कर दी। वसीम के पिता और भाई भी भाजपा के कार्यकर्ता थे। इसके लगभग एक माह बाद नौ अगस्त 2020 को ओमपोरा, बडग़ाम में भाजपा नेता अब्दुल हमीद नजार भी आतंकी हमले में मारे गए।

बडगाम में अब्दुल हमीद नजार की हत्या से तीन दिन पहले छह अगस्त को वेस्सु काजीगुंड में भाजपा से संबंधित एक सरपंच सज्जाद अहमद खांडे आतंकी हमले में मारे गए थे। इसके बाद 23 सितंबर 2020 को बडगाम में भाजपा समर्थित ब्लाक विकास परिषद के चेयरमैन सरदार भूपेंद्र सिंह की आतंकियों ने उनके घर के बाहर हत्या कर दी थी। 29 अक्टूबर 2020 को कुलगाम में भाजपा के तीन कार्यकर्ता फिदा हुसैन यत्तु, उमर रशीद बेग और उमर रमजान हज्जाम की भी आतंकियों ने अगवा कर हत्या कर दी थी।

आतंकियों के लगातार बढ़ते हमलों से वादी में सक्रिय भाजपा नेता व कार्यकर्ता अपनी सुरक्षा को लेकर आशंकित हैं। कई नेताओं को अपने पुश्तैनी घरों में गए कई-कई साल हो चुके हैं।

राष्ट्रीय एकीकरण पर हमला : कश्मीर मामलों के विशेषज्ञ आसिफ कुरैशी ने कहा कि भाजपा की छवि एक हिंदूवादी दल की है, जो उससे जुड़ता है वह कश्मीर में सक्रिय जिहादी संगठनों की आंख की किरकिरी बन जाता है। पांच अगस्त 2019 के बाद तो भाजपा से जुड़े लोगों को आतंकी व अलगाववादी इस्लाम का दुश्मन करार दे रहे हैं। नेशनल कांफ्रेंस के कार्यकताओं पर हुए आतंकी हमलों को अगर कश्मीर में लोकतंत्र पर हमले की संज्ञा दी गई है तो फिर भाजपा कार्यकर्ताओं पर हमले को राष्ट्रीय एकीकरण पर ही हमला कहा जाएगा।

खतरा ज्यादा, पर हौसला कमजोर नहीं हुआ : भाजपा नेता अल्ताफ ठाकुर ने कहा कि कश्मीर में भाजपा के स्थानीय नेता और कार्यकर्ता सबसे ज्यादा खतरे में हैं। भाजपा का एजेंडा पूरी तरह राष्ट्रवादी है, भाजपा कश्मीर में जितनी मजबूत होगी, अलगाववादी व आतंकी एजेंडा उतना ही कमजोर होगा। हमारे लोग जानते हैं कि वह खतरे में हैं, बावजूद इसके उनका हौसला कमजोर नहीं हुआ है। हमने कई बार प्रशासन को अपनी सुरक्षा के संदर्भ में लिखा है, लेकिन आज तक हमारे लोगों की सुरक्षा का पूरा प्रबंध नहीं हुआ है। हमारे अधिकांश साथी आज भी भूमिगत रहकर यहां काम कर रह हैं। कश्मीर में हमारे करीब साढ़े पांच लाख सदस्य हैं।

सुरक्षा की नए सिरे से की जा रही समीक्षा : कश्मीर के आइजीपी विजय कुमार ने कहा कि वादी में लगभग 200 भाजपा नेता व कार्यकर्ताओं को सुरक्षा कवच प्रदान किया गया है। सभी की सुरक्षा की नए सिरे से समीक्षा की जा रही है। राजनीतिक कार्यकर्ताओं पर हमले सरहद पार बैठी भारत की दुश्मन एजेंसियों के इशारे पर हो रहे हैं। 


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