प्रवासी पक्षियों की होगी चहचहाहट
अक्टूबर आते ही जल मर्गाबी (कामन टील), टिकड़ी (कामन कूट) जैसे प्रवासी पक्षी आने लगते हैं। अक्टूबर मध्य तक तालाब परिसर में प्रवासी बतखों की रौनक दिखने लगती है।
जम्मू, जागरण संवाददाता। इस बार अच्छी बारिश होने से वेटलैंड का नजारा देखते ही बनता है। जम्मू के प्रसिद्ध घराना वेटलैंड के तालाब में जमा पानी से प्रवासी पक्षियों के विचरण के लिए बेहतर वातावरण बन गया है। सितंबर में हुई बारिश से नालों के माध्यम से तालाब में पानी उतरा, जिससे जलस्तर बढ़ गया है। चार-पांच वर्षो में यह पहला अवसर है जब तालाब पानी से भरा लग रहा है।
यही कारण है कि इस बार अधिक से अधिक प्रवासी पक्षियों के यहां आकर्षित होने की संभावना है। हालांकि तालाब के आसपास जंगली जड़ी भी बड़े पैमाने पर पनपी है, जो प्रवासी पक्षियों के लिए अड़चन पैदा करेगी। मगर वन्यजीव संरक्षण विभाग ने जड़ी निकालने का काम शुरू कर दिया है। कुछ दिनों में तालाब में पसरी अतिरिक्त जड़ी को हटा दिया जाएगा।
फिलहाल जल कौए व पानी वाले पक्षियों की कुछ रौनक तालाब में दिखने लगी है। प्रवासी पक्षियों के आने में अभी कुछ समय लगेगा। हालांकि तापमान में जिस तरह गिरावट आई है, उसको देखते हुए संभावना है कि प्रवासी पक्षियों के आने का सिलसिला जल्द शुरू होगा।
आम तौर पर अक्टूबर आते ही जल मर्गाबी (कामन टील), टिकड़ी (कामन कूट) जैसे प्रवासी पक्षी आने लगते हैं। अक्टूबर मध्य तक तालाब परिसर में प्रवासी बतखों की रौनक दिखने लगती है। वहीं, रीफ-रफ पक्षियों के नजारे भी दिखने लगते हैं। मगर नवंबर में बतखों का नजारा लोगों को खूब भाता है।
दुनिया में सबसे ऊंचाई पर उड़ने के लिए प्रसिद्ध राजहंसों के आने का बेसब्री से इंतजार रहता है। नवंबर के आखिर से मध्य दिसंबर तक कभी भी राजहंस घराना के तालाब में बैठ जाते हैं और फिर तीन चार महीने यहीं पर रहते हैं। इन पक्षियों को देखने के लिए दूर-दूर से लोग घराना पहुंचते हैं।
मगर सुविधाएं नहीं होने से उन्हें मायूसी हाथ लगती है। मीरां साहिब के किशोर कुमार का कहना है कि कम से कम बुनियादी सुविधाएं जैसे पेयजल और बैठने के लिए बेंच आदि तो मिलना ही चाहिए, लेकिन यहां ऐसी कोई सुविधा नहीं है।
जम्मू के सुशील कुमार ने बताया कि घराना प्रकृति का एक बेहतरीन स्थान है। यहां आकर लोगों को लगता है कि वे प्रकृति से जुड़ गए हैं। मगर यहां आने वाले लोगों के बारे में भी सोचा जाना चाहिए। व्यू प्वांइट बनाए जाने चाहिए। कैंटीन की सुविधा भी होनी चाहिए।
क्षेत्रवासी अजय वर्मा ने कहा कि राज्य प्रशासन इस वेटलैंड को संरक्षित तो कर रहा है, मगर लोगों की सुविधाओं के बारे में सोचना भी जरूरी है। जेके टूरिस्ट डेवलपमेंट फोरम के प्रधान हरभजन सिंह का कहना है कि सुविधाओं को लेकर फोरम गंभीरता से काम कर रहा है। जल्द ही राज्य प्रशासन के समक्ष यह मामला उठाया जाएगा।