लद्दाखियों का संदेश, भूमि और नौकरियों का अधिकार मूल निवासियों तक सीमित रखने की मांग
लद्दाखियों का संदेश केंद्र व भाजपा आलाकमान मांगों पर विशेष ध्यान दे लद्दाख भाजपा भी प्रदर्शनों के बीच नहीं चाहती है लेह काउंसिल चुनाव कराना चुनाव के बहिष्कार की मुहिम से उपजे हालात जान दिल्ली लौटे राम माधव
जम्मू, राज्य ब्यूरो। लद्दाख भाजपा ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव राम माधव के माध्यम से केंद्र सरकार और पार्टी हाईकमान तक संदेश भेजा है कि वह लद्दाख की विशेष पहचान बरकरार रखने के लिए कदम उठाए और यहां के लोगों की मांगों पर ध्यान देकर उनके गुस्से को शांत करे। अगर ऐसा नहीं हुआ तो लेह काउंसिल के चुनाव भी खटाई में पड़ सकते हैं।
दरअसल, संविधान की छठी अनुसूची को प्रभावी बनाकर लद्दाखियों के हितों के संरक्षण की आवाज उठाई जा रही है। क्षेत्र के सभी राजनीतिक और धार्मिक संगठन इसके समर्थन में हैं। वह क्षेत्र के विशिष्ट पहचान बरकरार बनाए रखने के लिए भूमि और नौकरियों का अधिकार सिर्फ यहां के मूल निवासियों तक ही सीमित रखने की आवाज उठाई जा रही है। अपने इन हितों पर वह लेह हिल काउंसिल चुनाव के बहिष्कार तक उतर आए हैं। प्रदेश भाजपा भी इन हालात में लेह काउंसिल के चुनाव नहीं चाहती है।
इन्हीं मुद्दों पर लेह में भाजपा की दो दिन चली बैठकों में एकराय उभर कर सामने आई कि बढ़ता जन आक्रोश पार्टी के हित में नहीं है। इसलिए केंद्र सरकार लोगों का गुस्सा शांत करने के लिए जल्द कदम उठाए। अब इन बैठकों में पार्टी नेताओं से जमीनी हालात समझकर राम माधव दिल्ली लौट गए हैं। वह पार्टी हाईकमान को लद्दाख के हालात के बारे में बताएंगे।
हाईकमान की ओर देख रही लद्दाख भाजपा
वीरवार को लेह में राम माधव व संगठन महामंत्री अशोक कौल की मौजूदगी में ही लेह के लोगों ने प्रदर्शन कर भाजपा को निशाना बनाया था। काउंसिल चुनाव की तैयारियों को तेजी देने के लिए लेह पहुंचे अशोक कौल का कहना है कि हमने मौजूदा हालात के बारे में राष्ट्रीय महासचिव को अवगत करा दिया है। इस दिशा में हाईकमान एक-दो दिन के अंदर फैसला करेगा। हम फैसले का इंतजार करने के साथ चुनाव की तैयारियां भी कर रहे हैं।
भाजपा के बड़े नेता भी विरोध के साथ
लेह में हिल काउंसिल का चुनाव 16 अक्टूबर को होना है। चुनाव बहिष्कार के लिए क्षेत्र के पुराने नेताओं, लेह के बौद्ध धार्मिक संगठनों व कारगिल के शिया धार्मिक संगठनों समेत प्रदेश भाजपा के लेह जिला प्रधान नवांग समस्तान ने भी हस्ताक्षर किए हैं। इस मांग पर भाजपा के काउंसिलर छे¨रग वांगडस ने इस्तीफा देकर जनआंदोलन में शामिल होने की घोषणा कर दी है। लोगों की मांगों के साथ पूर्व सांसद थिक्से रिनपौचे, भाजपा छोड़ चुके पूर्व सांसद थुप्सतन छिवांग, भाजपा के पूर्व मंत्री छे¨रग दोरजे, लद्दाख कांग्रेस के प्रधान नवांग रिगजिन जोरा जैसे दिग्गज नेता भी शामिल हैं।
इसलिए आंदोलन की राह पर हैं लोग
लद्दाख के लोग केंद्र सरकार से भारतीय संविधान की छठी अनुसूची के तहत लद्दाख को एक आदिवासी क्षेत्र के रूप में घोषित करने की मांग कर रहे हैं। उत्तर-पूर्व भारत के चार राज्यों असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा को छठी अनुसूची के तहत आदिवासी का दर्जा दिया गया है। यह राज्य जनजातीय मामलों के मंत्रालय के अंतर्गत आते हैं। लद्दाख को आदिवासी क्षेत्र का दर्जा दिए जाने से दूसरे राज्यों के लोग वहां आकर नहीं बस पाएंगे। इससे उनके क्षेत्र की जनसांख्यिकी विशेषता बनी रहेगी। दूसरे राज्यों के लोग यहां जमीन नहीं खरीद सकेंगे, सरकारी नौकरी नहीं पा सकेंगे। इसलिए लद्दाख को आदिवासी दर्जे की मांग बुलंद हो गई है। यहां के लोगों में आशंका है कि अगर क्षेत्र को छठी अनुसूची में नहीं लाया गया तो उनके हित दांव पर लग जाएंगे।