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महबूबा मुफ्ती बोलीं, भाजपा के साथ गठजोड़ खुदकशी जैसा

पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को भाजपा के साथ गठजोड़ को खुदकशी करार दिया।

By Arun Kumar SinghEdited By: Published: Fri, 14 Dec 2018 11:38 PM (IST)Updated: Fri, 14 Dec 2018 11:38 PM (IST)
महबूबा मुफ्ती बोलीं, भाजपा के साथ गठजोड़ खुदकशी जैसा
महबूबा मुफ्ती बोलीं, भाजपा के साथ गठजोड़ खुदकशी जैसा

 जम्मू, राज्य ब्यूरो। पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने शुक्रवार को भाजपा के साथ गठजोड़ को खुदकशी करार दिया। उन्होंने कहा कि आजाद कश्मीर के विचार के स्थान पर भारतीय संविधान के दायरे में किसी अन्य बेहतर विचार और विकल्प को प्रोत्साहित करने की जरूरत है, तभी कश्मीर में हालात सामान्य बनाने की दिशा में आगे बढ़ा जा सकेगा।

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उन्होंने गत दिनों नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के साथ गठजोड़ के अपने प्रयास को भी सही ठहराया और कहा कि राज्य को बांटने पर तुली ताकतों को नाकाम बनाने के लिए ऐसा करना बहुत ही जरूरी हो गया था।

मुंबई में ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन (ओआरएफ) द्वारा आयोजित सेमीनार द वे फॉरवर्ड में कश्मीर मुद्दे पर महबूबा ने कहा कि घाटी के लोगों और दिल्ली के बीच सिर्फ अविश्र्वास की भावना और संवादहीनता है। वह समर्थन के लिए भीतर या सरहद के पार समर्थन के लिए उम्मीद रखते हैं।

पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी के शासनकाल के दौरान कश्मीर के लोग उन्हें एक संवेदनशील, जनता का संरक्षक नेता मानते थे। पाकिस्तान ने भी उस समय सकारात्मक रवैया अपनाया और कश्मीर में न सिर्फ आतंकवाद में कमी आई बल्कि सरहदों पर पहली बार बंदूकें शांत हुई थीं।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2002-05 का दौर कश्मीर का स्वर्णिम काल रहा है। पहली बार भारत के प्रधानमंत्री और कश्मीर के मुख्यमंत्री कश्मीर मसले को हल करने के तरीके पर एकराय नजर आए।

भाजपा के साथ गठजोड़ पर उन्होंने कहा कि 2014 के विधानसभा चुनावों के बाद हमने भाजपा के साथ हाथ मिलाया। हम जानते थे कि यह हमारे लिए एक सियासी खुदकशी है, लेकिन हमें उम्मीद थी कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कश्मीर मिशन को आगे ले जाएंगे, इसलिए हमने अपनी पूरी साख दांव पर लगा दी। दुर्भाग्यवश मोदी कश्मीर मिशन को आगे नहीं ले जा पाए। उन्होंने कहा कि दोनों मुल्कों में जो तनाव है और कश्मीर में जो हिंसा का दुष्चक्र है, उससे आम कश्मीरी ही सबसे ज्यादा दुखी है।

सार्क देश भारत-पाक की दुश्मनी से नुकसान झेल रहे 
महबूबा ने कहा कि निजी तौर पर मेरा मानना है कि सार्क के सदस्य देश भारत-पाकिस्तान के बीच दुश्मनी और तनाव के कारण नुकसान में हैं। कश्मीर तो सार्क मुल्कों के लिए उद्योग, कला, साहित्य, व्यापार, शिक्षा का एक बड़ा केंद्र और पुल बन सकता है। यह सार्क देशों को मध्य एशिया और यूरोप के साथ जोड़ने में सहायक साबित होगा।


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