Jammu Kashmir : गले में मेडल, हाथ में डिग्री और अांखों में कई सपने
30 साल पहले आतंकवाद के कारण कश्मीर के हब्बाकदल से पलायन कर चुके विनाेद भट्ट के परिवार की बड़ी बेटी विदुषी के लिए शनिवार का दिन यादगार था।
जम्मू, रोहित जंडियाल । 30 साल पहले आतंकवाद के कारण कश्मीर के हब्बाकदल से पलायन कर चुके विनाेद भट्ट के परिवार की बड़ी बेटी विदुषी के लिए शनिवार का दिन यादगार था। बचपन से डाक्टर बनने की चाहत जब पूरी हुई तो चेहरे पर खुशी के साथ समाज के लिए बहुत कुछ करने के सपने थे। गले में तीन गोल्ड मेडल और हाथ में डिग्री उसके आत्मविश्वास को बढ़ा रही थी। एक ओर जहां उसे धारा 370 हटने के बाद अब स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत कुछ बदलने की उम्मीद थी। वहीं वह खुद भी इस बदलाव का हिस्सा बनने की चाहत रखती है।
मूलत: श्रीनगर के हब्बाकदल की रहने वाली विदुषी का परिवार आतंकवाद के बाद पलायन करके जम्मू आ गया था। इस कारण उनका जन्म जम्मू में ही हुआ। वह कश्मीर में अब तक सिर्फ एक बार ही जा सकी है लेकिन जड़ें अभी भी कश्मीर के साथ जुड़ी हुई हैं। विदुषी के पिता बैंक में काम करते हैं। उनकी नौकरी इस समय कोलकाता में है। इस कारण वह अपने चाचा के पास त्रिकुटानगर में रहती है। जम्मू के कई स्कूलों से बारहवीं तक शिक्षा हासिल करने के बाद मेडिकल कालेज जम्मू में उसका एमबीबीएस के लिए चयन हुआ। इसके बाद उसने कभी मुड़ कर नहीं देखा। साल 2018-19 के बैच में का जब परीक्षा परिणाम आया तो गायनाकालोजी अौर पेडियाट्रिक्स में टाप किया था। उसकी इसी सफलता के लिए उसे तीन मेडल मिले। इसकी खुशी भी उसके चेहरे पर साफ नजर आ रही थी। विदुषी का कहना था कि उसने पीजी के लिए नीट परीक्षा दी थी और उसे उम्मीद है कि पेडियाट्रिक्स में पोस्ट ग्रेजुएशन करने का अवसर मिलेगा। वह बच्चों के स्वास्थ्य के लिए काम करना चाहती है। अगर बच्चों का स्वास्थ्य बेहतर होगा तो तभी देश का भविष्य भी बेहतर होगा। उसने कहा कि पहले जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 होने के कारण स्वास्थ्य के क्षेत्र में बहुत सीमित संभावनाएं थी। मगर अब इस क्षेत्र में कई बदलाव आएंगे। एक क्रांति देखने को मिलेगी। यहां पर कई बड़े समूह अपने अस्पताल खोलेंगे जिसका लाभ मरीजों को मिलेगा। उसने कहा कि अगर मौका मिलेगा तो बदलाव के इस दौर में कहीं पर भी वह अपनी सेवाएं देने के लिए तैयार रहेगी। ग्रामीण क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं में सुधार करने का मौका मिला तो जरूर गांव का रुख भी करेंगी। उन्होंने कहा कि साढ़े पांच साल के इस कोर्स ने बहुत कुछ सिखाया है। आज माता-पिता का सपना पूरा हो गया।
अभिभावकों को श्रेय
विदुषी ने अपनी सफलता का श्रेय अपने परिजनों व शिक्षकों को दिया। दो बहनों में बड़ी विदुषी का कहना है कि मां के प्यार और पिता के संघर्ष के बिना सफलता संभव नहीं थी। उन्होंने अपनी छोटी बहन वंशिका और चाचा दिलीप भट्ट काे भी इस सफलता का श्रेय दिया। उन्होंने कहा कि कालेज में बिताए हर पल को अब वह मिस करती है।