अब करें मां वैष्णो देवी के स्वर्णिम दर्शन; प्राचीन गुफा के बाहर सोने, चांदी व तांबे से प्रवेश द्वार तैयार
प्रवेशद्वार का उद्घाटन इसलिए 13 सितंबर को किया जा रहा है कि ताकि 29 सितंबर से शुरू होने वाले पवित्र नवरात्र तक गुफा की सजावट के लिए पर्याप्त समय मिल सके।
कटड़ा, राकेश शर्मा। देश-विदेश से माता वैष्णो देवी के दर्शन के लिए आने वाले श्रद्धालुओं के लिए खुशखबरी। 13 सितंबर, यानि शुक्रवार से मां के भक्तों को वैष्णो देवी भवन पर प्राचीन गुफा के प्रवेशद्वार के स्वर्णिम दर्शन होंगे। श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड की ओर से प्राचीन गुफा के बाहर सोने, चांदी व तांबे से भव्य प्रवेशद्वार का निर्माण करवाया गया है, जिसका कार्य अंतिम चरण में है। 25 फीट ऊंचा व 16 फीट चौड़ा प्रवेशद्वार रिकॉर्ड 65 दिन में तैयार किया गया है। अपने आप में अद्भुत व आलौकिक प्रवेशद्वार की विधिवत पूजा अर्चना के बाद इसे शुक्रवार से दर्शन के लिए खोल दिया जाएगा। इसके दर्शन के बाद श्रद्धालु पहले की तरह कृत्रिम गुफा से होकर मां भगवती के चरणो में माथा टेकेंगे। प्रवेशद्वार का उद्घाटन इसलिए 13 सितंबर को किया जा रहा है कि ताकि 29 सितंबर से शुरू होने वाले पवित्र नवरात्र तक गुफा की सजावट के लिए पर्याप्त समय मिल सके।
प्रवेशद्वार में अंकित हैं देवी के नौ रूप व अन्य देवताओं के चित्र :
स्वर्णिम प्रवेशद्वार पर गुबंद के साथ ही तीन सोने के झंडे तथा विशाल स्वर्णयुक्त छत्तर होगा। इसके अलावा मां वैष्णो देवी के नौ रूप शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री के स्वर्ण युक्त चित्र अंकित होंगे। प्रवेशद्वार के दाएं तरफ महालक्ष्मी का करीब छह फीट लंबा स्वर्णयुक्त चित्र होगा। इसी तरह दाएं तरफ ही स्वर्ण युक्त मां वैष्णो देवी की आरती अंकित होगी। प्रवेशद्वार के मध्य में सोने व चांदी की करीब 25 किलो की घंटी होगी। प्रवेशद्वार के भीतर त्रिदेव यानि ब्रह्मा, विष्णु, महेश के साथ ही भगवान सूर्य देव के चित्र अंकित होंगे। प्रवेशद्वार की ऊपरी सतह पर भगवान गणेश के साथ ही हनुमान के स्वर्ण युक्त चित्र अंकित होंगे।
दिल्ली व उत्तर प्रदेश से विशेष रूप से बुलाए थे कारीगर :
आने वाले वर्षों में भी प्रवेशद्वार की चमक बरकरार रहे, इसके लिए ही सोने, चांदी तथा तांबे का इस्तेमाल किया गया है। प्रवेशद्वार में 1000 किलो तांबा, 1000 किलो चांदी और करीब 10 किलो सोने का इस्तेमाल हुआ है। इसे बनाने के लिए विशेष रूप से दिल्ली व उत्तर प्रदेश से 20 कारीगर को बुलाया गया था। इसके लिए भवन पर विशेष वर्कशॉप बनाई गई है। जहां कारीगर दिन-रात स्वर्ण युक्त प्रवेश द्वार को बनाने में जुटे रहे। इन विशेषज्ञ कारीगर ने ही सिद्धिविनायक मंदिर सहित कई मंदिरों में अपनी सेवाएं दी हैं।
वैष्णो देवी के इतिहास में तीसरी बार हो रहा प्रवेशद्वार का पुननिर्माण :
माता वैष्णो देवी के इतिहास में प्राचीन गुफा के प्रवेशद्वार का पुननिर्माण तीसरी बार हो रहा है। वर्ष 1962 से पहले केवल मां वैष्णो देवी की प्राचीन गुफा से ही श्रद्धालु दर्शन के लिए जाते थे। तब गुफा का प्रवेशद्वार पूरी तरह से प्राकृतिक होता था। वर्ष 1962 को यूको बैंक के तत्कालीन सीएमडी लद्दा राम सुनेजा मां वैष्णो देवी के दरबार पहुंचे तो उन्होंने सबसे पहले प्राचीन गुफा के प्रवेशद्वार पर संगमरमर लगवाया था। यह संगमरमर वर्ष 2005 तक जारी रहा। वर्ष 2005 में श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने इस गुफा के प्रवेशद्वार पर मकराना संगमरमर लगवाकर नया रूप दिया। समय-समय पर धार्मिक आस्था को लेकर यह आवाज उठती रही कि जहां भी मां लक्ष्मी या देवी देवताओं का वास होता है, वहां प्रवेशद्वार पीले रंग का होना चाहिए, क्योंकि भारत के प्रसिद्ध तीर्थ विशेषकर पश्चिमी राज्यों के अधिकांश मंदिरों के गर्भ ग्रह या फिर प्रवेशद्वार स्वर्ण युक्त हैं। इसको लेकर श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड ने भी इस पर विचार शुरू किया। इसी वर्ष श्राइन बोर्ड की 64वीं बोर्ड मीटिंग में फैसला लिया गया कि वैष्णो देवी की प्राचीन गुफा के प्रवेशद्वार को स्वर्ण युक्त किया जाए। इसके बाद कार्य जोर-शोर से शुरू हो गया।
स्वर्णिम द्वार बोर्ड की महत्वपूर्ण परियोजना : सिमरनदीप सिंह
श्री माता वैष्णो देवी श्राइन बोर्ड के सीईओ सिमरनदीप सिंह ने कहा कि स्वर्णिम प्रवेशद्वार बोर्ड की महत्वपूर्ण परियोजना थी, जो अंतिम चरण में है। 13 सितंबर को विधिवत पूजा अर्चना के इसे श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए खोल दिया जाएगा। वैष्णो देवी की कृत्रिम गुफाओं के द्वार को भी स्वर्ण युक्त करने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि फिलहाल ऐसा कोई विचार नहीं है। इसको लेकर श्राइन बोर्ड के सदस्यों को ही फैसला लेना है।
हाल ही में वैष्णो देवी को देश में सर्वश्रेष्ठ स्वच्छ प्रतिष्ठित स्थल के रूप में चुना गया :
श्री माता वैष्णो देवी तीर्थ स्थल को हाल ही में देश में सर्वश्रेष्ठ स्वच्छ प्रतिष्ठित स्थल के रूप में चुना गया है। गत शुक्रवार को नई दिल्ली में आयोजित 'स्वच्छता महोत्सव में राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने श्राइन बोर्ड के सीईओ सिमरनदीप सिंह को स्वच्छ भारत पुरस्कार 2019 पुरस्कार प्रदान किया था।