Move to Jagran APP

World TB Day 2021: काम आया मास्क, कम हुए टीबी के मामले; एक साल में 3000 के करीब कम मामले हुए दर्ज

World TB Day 2021 जम्मू संभाग के एकमात्र चेस्ट डिजिजेस अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा. राजेश्वर शर्मा का कहना है कि इस वर्ष टीबी के मरीजों में कमी आने का कारण मास्क पहनना है। यही नहीं प्रदूषण भी कम हुआ है। लोग भीड़ वाले क्षेत्रों में नहीं गए।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Wed, 24 Mar 2021 09:33 AM (IST)Updated: Wed, 24 Mar 2021 09:42 AM (IST)
World TB Day 2021: काम आया मास्क, कम हुए टीबी के मामले; एक साल में 3000 के करीब कम मामले हुए दर्ज
इस बार मास्क पहनने के कारण संक्रमण फैलने से रोकने में मदद मिली।

जम्मू, रोहित जंडियाल: मुंह पर मास्क, कम प्रदूषण और कम भीड़। बेशक इसके लिए एक वर्ष तक लोगों को संघर्ष करना पड़ा। लेकिन कुछ बीमारियों के लिए यह बरदान भी साबित हुए। इनमें एक बीमारी टयूबरक्यलोसिस (तपेदिक) है। इस वर्ष जमू-कश्मीर में इस बीमारी के मामले गत वषों की तुलना में कम हुए। यह सब उस समय हुआ टेस्ट करने की संख्या पहले के मुकाबले अणिक हुई। डाक्टरों का कहना है कि अगर लोग इसी तरह जागरूक हों तो बैक्टेरिया के संक्रमण के कारण फैलने वाला यह रोग पूरी तरह से खत्म हो सकता है।

loksabha election banner

जम्मू-कश्मीर के स्वास्थ्य विभाग से मिले आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2019 में जम्मू-कश्मीर में टीबी के कुल 11, 810 मामले दर्ज हुए थे। इनमें 10914 सरकारी अस्पतालों में और 946 मामले निजी लैब में मिले थे। लेकिन पिछले साल 2020 में दस महीने कोरोना संक्रमण में रहे और लोगों को मास्क पहनना अनिवार्य कर दिया गया था। यही नहीं गाड़ियां चलना भी बंद थी। इससे प्रदूषण भी बहुत कम हो गया था। स्वच्छ हवा थी। इसका असर इस बार जारी हुए आंकड़ों में नजर आया।

इस बार 8,828 लोगों में ही टीबी की पुष्टि हुई। इनमें से 7,957 सरकारी अस्पतालों में और 871 निजी अस्पतालों में शामिल हैं। इनमें भी सबसे अधिक मामले जम्मू जिले में स्थित सरकारी अस्पतालों और निजी लैब में मिले हें। इस जिले में कुल 2489 मामले दर्ज हुए हैं। वर्ष 2016 के बाद टीबी के मामले नौ हजार से कम आए हैं। वर्ष 2016 में 8269 मामले दर्ज हुए थे।

विशेषज्ञ डाक्टर इसे एक अच्छा संकेत मान रहे हें। उनका कहना है कि वर्ष तक टीबी मुक्त बनाने का सपना देखा गया है लेकिन अगर इसी तरह से लोग जागरूक हों तो इस सपने को पहले ही पूरा किया जा सकता है। एक साल में करीब तीन हजार मामलेे कम हुए हैं। जम्मू की टीबी अधिकारी डा. मीनाक्षी कोतवाल का कहना है कि पिछले साल कोरोना के कारण सभी को परेशानी हुई लेकिन मास्क पहनने से लोग टीबी रोग से बच गए। यह संक्रमण फैलने से रोकने में मदद मिली। उनका कहना है कि टीबी के बैक्टेरिया सांस से शरीर में प्रवेश करते हैं। किसी मरीज के खांसने, छींकने, थुकने के समय बलगम से बैक्टेरिया कई समय तक हवा में रहते हैं और स्वस्थ्य व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कर उसे भी बीमार बनाते हैं। लेकिन इस बार मास्क पहनने के कारण संक्रमण फैलने से रोकने में मदद मिली।

जम्मू संभाग के एकमात्र चेस्ट डिजिजेस अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डा. राजेश्वर शर्मा का कहना है कि इस वर्ष टीबी के मरीजों में कमी आने का कारण मास्क पहनना है। यही नहीं प्रदूषण भी कम हुआ है। लोग भीड़ वाले क्षेत्रों में नहीं गए। जो भी एहतियात थी, लोगों ने चाहे कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए उठाई लेकिन इससे टीबी के मरीजों की संख्या भी कम हुई। पहले लोग टीबी के मरीजों के पास आकर भी मास्क नहीं पहनते थे लेकिन अब ऐसा नहीं है। यह अच्छा कदम है। आगे भी लोगों को इसी तरह से मास्क पहनने चाहिए और टीबी से बचाव के लिए सतर्क रहना चाहिए।

  • स्टेट टीबी अधिकारी डा. संजय तुर्की का कहना है कि टीबी उन लोगों में अधिक होने की आशंका रहती है जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता। यह जरूरी है कि पौष्टिक आहार लें ताकि आपका इम्यून सिस्टम कमजोर न हो। इस बीमारी का इलाज संभव है। मगर यह जरूरी है कि आप दवाई नियमित रूप से लें। उन्होंने कहा कि इस साल कोरोना के कारण लोग मास्क पहन रहे थे। इससे भी मामले कम हुए हैं। अब लोगों में भी जागरूकता आ रही है। रिवाइज्ड नेशनल टयूबरक्यलोसिस प्रोग्राम लागू होने के बाद स्थिति बदली है। मरीजों को अपने सामने ही दवाई दी जाती है। अस्पतालों में यह दवाई निशुल्क दी जाती है। 
  • क्षय रोग विशेशज्ञ डा. अभिनव का कहना है कि अगर आप को तीन सप्ताह से अधिक खांसी है और थूक में खून आ रहा है तथा वजन भी कम हो रहा है तो इसे हल्के से नहीं लेना चाहिए। यह टयूबरक्यलोसिस भी हो सकता है। उनका कहना है कि बहुत से मरीज इलाज बीच में छोड़ देते हैं। लेकिन ऐसा नहीं होना चाहिए। सभी को अपना पूरा इलाज करवाना चाहिए।

लोगों को करते हैं जागरूक: जिला टीबी अधिकारी डा. मीनाक्षी कोतवाल का कहना है कि विभाग की टीमें लगातार ऐसे क्षेत्रों में जाकर जांच करती हैं जहां पर टीबी के मामले आने की आशंका बनी रहती है। उनका कहना है कि दोपहिया वाहनों पर उनकी टीमें जाकर मौके पर ही लोगों के सैंपल लेती हैं। इस वर्ष अठारह हजार से अधिक लोगों के सैंपल लिए गए। निर्धारित लक्ष्य से भी चार फीसद अधिक था। बीते तीन साल में यह सबसे अधिक सैंपलों की जांच थी। हर महीने मरीज को अच्छा खाना खाने के लिए पांच सौ रुपये भी दिए जाते हें। इसका भी असर देखने को मिल रहा है।

बडगाम बना देश का एकमात्र टीबी मुक्त जिला: टीबी मुक्त जम्मू-कश्मीर अभियान में एक बड़ी उपलब्धि दर्ज हुई है। बडगाम जिला जम्मू-कश्मीर का ही नहीं बल्कि देश का ऐसा पहला जिला बन गया है जहां पर टीबी के मरीज अस्सी फीसद तक कम हुए हें। इसे टीबी मुक्त घोषित कर दिया गया है। इस उपलब्धि पर केंद्रीय स्वास्थ्य एपं परिवार कल्याण मंत्रालय जम्मू-कश्मीर को बुधवार को नई दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में सम्मानित भी कर रहा है। इसके लिए केंद्र सरकार ने वर्ष 2015 को बेसलाइन बनाया था। इसके बाद जिस जिले में मामले अस्सी फीसद से कम हुए, उसे पुरस्कृत किया जाना है। इसमें सिर्फ बडगाम जिला ही खरा उतरा है। वहीं बीस फीसद तक मामले कम करने पर ऊधमपुर जिले को कांस्य पदक मिल रहा है। जम्मू-कश्मीर के टीबी अधिकारी डा. संजय तुर्की यह दोनों पुरस्कार लेंगे। वहीं स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा विभाग के वित्तिय आयुक्त अटल ढुल्लू ने कहा कि जम्मू-कश्मीर को टीबी मुक्त बनाने के लिए यह उपलब्धि प्रेरणास्रोत की तरह काम करेगी। उन्होंने इसके लिए पूरे स्वास्थ्य विभाग को बधाई दी।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.