पिता की बहादुरी की मिसाल बन जिएगी बेटी, उधर रंजीत शहीद हुए, इधर बेटी जन्मी
कुदरत भी अजब खेल दिखाती है। देश की रक्षा करते शहीद हुए लांस नायक र
ऊधमपुर, अमित माही : दस साल के बाद शहीद के घर जन्मी बेटी उसकी बहादुरी की मिसाल बनकर जिएगी। उधर नियंत्रण रेखा पर पिता लांस नायक रंजीत सिंह देश पर कुर्बान हुए तो इधर घर में बेटी जन्मी। एक दिन की बेटी अपनी मां के साथ शहीद पिता के अंत्येष्टि में भी शामिल हुइर्। इसे भाग्य का खेल ही माना जाए कि दस साल के लंबे इंतजार के बाद बेटी को उसी दिन जन्म लेना था जिस दिन पिता को इस दुनिया से विदा होना था।
अखनूर सीमा पर रविवार को बैट हमला नाकाम बनाते शहीद हुए 36 साल के जांबाज रंजीत सिंह का पार्थिव शरीर गत सोमवार को उनके पैतृक घर रामबन जिले के कुलीगाम पहुंचा। देरी होने की वजह से शहीद का अंतिम संस्कार सोमवार को नहीं हो पाया। इसके चलते परिवार ने अंतिम संस्कार मंगलवार को करने का फैसला लिया। पार्थिव शरीर घर पहुंचने के कुछ घंटों बाद मध्यरात्रि उनकी गर्भवती पत्नी शिमू देवी को रात को प्रसव पीड़ा शुरू हुई। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया। मंगलवार सुबह पांच बजे शिमू ने बेटी को जन्म दिया। विवाह के बाद से शहीद के घर में कोई औलाद नहीं थी।
घर आने की तैयारी में था शहीद : पत्नी के गर्भवती होने के बाद शहीद ने अपने बच्चे के जन्म की खुशियां मनाने को लेकर कई सपने संजो रखे थे। परिवार के मुताबिक वह पत्नी के प्रसव पर घर आने की तैयारी कर रहा था, ताकि वह दस साल बाद मिलने वाली खुशी को परिवार से साथ मना सके। मगर होनी को कुछ और ही मंजूर था।
एंबुलेंस में शिमू व नवजात को लाया गया शमशानघाट : शिमू देवी शहीद पति की अंतिम विदाई में शामिल होना चाहती थी। इसके चलते शिमू व उसकी नवजात बच्ची को दोपहर को एंबुलेंस से रामबन जिला के चंबा सेरी स्थित शमशान घाट पर ले जाया गया। जहां पर शहीद को पूरे सैन्य सम्मान के साथ पंचतत्व में विलीन किया गया। शहीद के अंतिम संस्कार में डीसी रामबन, एसएएसपी रामबन अनीता शर्मा, विधायक रामबन नीलम लंगेह के अलावा बड़ी संख्या में सैन्य अधिकारी, जवान व इलाके के लोग मौजूद रहे।