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पति की शहादत के बाद वीर नारी नीरू बनी सैन्य अधिकारी

देश के लिए प्राण न्योछावर करने वाले राइफलमैन रवीन्द्र संबयाल की शहादत के बाद उनकी वीर नारी नीरू संबयाल भी सरहदों पर देश की हिफाजत कर रही हैं।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 27 Sep 2018 08:16 AM (IST)Updated: Thu, 27 Sep 2018 08:24 AM (IST)
पति की शहादत के बाद वीर नारी नीरू बनी सैन्य अधिकारी
पति की शहादत के बाद वीर नारी नीरू बनी सैन्य अधिकारी

जम्मू, राज्य ब्यूरो। देश के लिए प्राण न्योछावर करने वाले राइफलमैन रवीन्द्र संबयाल की शहादत के बाद उनकी वीर नारी नीरू संबयाल भी सरहदों पर देश की हिफाजत कर रही हैं। पति की शहादत के बाद नीरू भी एक वीरनारी थी, लेकिन उनमें भी पति जैसा ही देशभक्ति का जज्बा था। जिसने उन्हें सेना में अधिकारी बनाया।

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वीरों की भूमि से मशहूर जम्मू के गुड़ा सलाथिया की नीरू आज उन वीरनारियों के प्रेरणास्रोत बन गई है जो पतियों की शहादत के बाद घर में सीमित रहने के बजाय देश सेवा करना चाहती हैं। मातृभूमि की रक्षा करते शहीद हुए सैनिक पति के पदचिन्हों पर चलते हुए नीरू सेना में अधिकारी बन देश की सुरक्षा के जिम्मे को संभालने के लिए मैदान में है।

नीरू संबयाल ने वीरनारी से सैन्य अधिकारी बनने के लिए जी जान से मेहनत की। जब नीरू ने सेना में अधिकारी बनना चाहा तो उसे माता-पिता की ओर से पूरा सहयोग मिला। पति राइफलमैन रवीन्द्र संबयाल के आतंकवाद से लड़ते हुए शहीद होने के बाद नीरू के लिए जीवन कठिन हो गया। ऐसे हालात में हिम्मत हारने के बजाय नीरू ने ठान लिया कि वह सेना में अधिकारी बनकर उसी जज्बे के साथ देश के लिए काम करेगी जिस जज्बे के साथ उसका पति काम करता था।

सांबा जिले के दूरदराज गांव बाड़ा की नीरू की शादी वर्ष 2013 में रवीन्द्र के साथ हुई थी। रवीन्द्र सांबा जिले के सीमांत बाड़ा गांव के निवासी थे। नीरू ने जम्मू विश्व विद्यालय से स्नातकोत्तर व उसके बाद बीएड, एमएड की थी। वर्ष 2015 में रवीन्द्र जब शहीद हुए तो नीरू के कंधों पर दो साल की बेटी की परवरिश की जिम्मेदारी थी। नीरू के सामने दो रास्ते थे, या तो वह एक आम नारी की तरह बाकी की जिंदगी बेटी की परवरिश को समर्पित करती या फिर पति के पदचिन्हों पर चलते हुए अपनी जिंदगी देश को समर्पित करती।

कठिनाइयों भरा दूसरा रास्ता चुनकर नीरू ने कड़ी मेहनत से सेना में लेफ्टिनेंट बनकर अपनी नई पहचान बनाई है।नीरू का कहना है कि पति के शहीद होने के बाद उन्हें अपनी बेटी के लिए मां व बाप दोनों की भूमिका निभानी थी। ऐसे में उन्होंने तय किया कि पति से प्रेरणा लेते हुए वही जीवन चुनेंगी जो उनके पति ने चुना था। यह उनके व उनकी बेटी के भविष्य के लिए भी अच्छा है।

पति हमेशा देश की रक्षा की बात ही करते थे। उनके साथ रहते हुए मुझे पता चला कि सैन्य जीवन कितना अहम होता है। मैने अपनी 49 दिन की ट्रेनिंग पूरी कर 9 सितंबर को फौजी वर्दी पहन ली। मुझे इस बात पर गर्व है कि मैं वीरों की भूमि गुड़ा सलाथिया की बेटी हूं। नीरू के पिता दर्शन सिंह सलाथिया को भी इस बात पर गर्व है कि बेटी सेना में अधिकारी के रूप में एक सशक्त महिला बनी है। वह अपनी जैसी अन्य वीर नारियों को भी कुछ कर दिखाने का हौसला दे रही हैं। 


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