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संभालो बचपन की सेहत

रोहित जंडियाल, जम्मू बदलते रहन-सहन का नतीजा है कि राज्य के बच्चों की सेहत गिर रही है। स्ि

By JagranEdited By: Published: Wed, 14 Nov 2018 08:00 AM (IST)Updated: Wed, 14 Nov 2018 08:00 AM (IST)
संभालो बचपन की सेहत
संभालो बचपन की सेहत

रोहित जंडियाल, जम्मू

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बदलते रहन-सहन का नतीजा है कि राज्य के बच्चों की सेहत गिर रही है। स्थिति यह है कि समृद्ध परिवारों के बच्चे भी पूर्ण स्वस्थ नहीं हैं। कई बड़े स्कूलों में भी हुए सर्वे में भी कई बच्चे कुपोषित नहीं। वजह है कि खान-पान की आदतें बिगड़ रही हैं और स्वस्थ भोजन हमसे दूर होता जा रहा है। स्थिति यह है कि एक सर्वे के अनुसार राज्य में 14 से 17 फीसद बच्चे कुपोषण के शिकार मिले और कश्मीर में करीब 29 फीसद बच्चों का वजन सामान्य से कम मिला। बावजूद इसके सरकारी तंत्र इस पर सजग नहीं दिखता और कुछ मिड-डे मील और अन्य योजनाएं दिखाकर बच्चों की सेहत बनाने का दावा किया जा रहा है।

चिकित्सकों की मानें तो इसकी शुरुआत बच्चे के जन्म से ही हो जाती है। कामकाजी महिलाएं बच्चों को स्तनपान करवाने के स्थान पर डिब्बे का दूध पिलाना अधिक पसंद करती हैं। फास्टफूड की लत उन्हें पोषण से दूर कर रही है।

राज्य में कुपोषण पर सरकारी स्तर पर कोई सर्वे तो नहीं हुआ है। मगर कुछ वर्ष पहले कश्मीर विश्वविद्यालय के दो विद्यार्थियों ने एक सर्वे किया था। इसमें जम्मू में 14.1 फीसद और कश्मीर में 17.2 फीसद बच्चे कुपोषण के शिकार बताए गए थे। सर्वे में कश्मीर में 29.2 फीसद और जम्मू में 16.2 फीसद बच्चों का वजन सामान्य से कम है। डॉक्टरों की मानें तो राज्य में कुपोषण से पीड़ित बच्चों की संख्या इससे काफी अधिक है।

सिर्फ महंगे फलों से कुपोषण दूर नहीं होता

बाल रोग विशेषज्ञों का कहना है कि लोगों में यह गलत धारणा है कि महंगे फल खाने से कुपोषण की समस्या दूर होती है। बच्चे को पहले छह महीने मां का दूध, फिर खिचड़ी, कोई फल और सब्जियां दी जाएं तो बच्चा कुपोषण से पीड़ित नहीं होगा। जम्मू के श्री महाराजा गुलाब ¨सह अस्पताल में बाल रोग विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर डा. संजीव ढीगरा का कहना है कि पैदा होने से पहले कई बच्चों का वजन कम होता है, लेकिन सामान्य बनाने के लिए अभिभावक डॉक्टरों की सलाह नहीं मानते हैं। महिलाएं अपने बच्चों को स्तनपान नहीं करवातीं। अगर मां बच्चे के जन्म के छह महीने तक सिर्फ उसे स्तनपान करवाए तो बच्चा कुपोषण से पीड़ित नहीं होगा।

कश्मीर में बाल रोग विशेषज्ञ डा. रोहिणी भान का कहना है कि मां अपने बच्चे को जन्म के छह महीने तक स्तनपान करवाए तो राज्य में हजारों बच्चों की जान बचाई जा सकती है। 20 हजार से अधिक बच्चों को कुपोषण से बचाया जा सकता है। डॉक्टरों का कहना है कि उच्च मध्यमवर्गीय परिवारों के बच्चों में फास्ट फूड का सेवन करना आम बात है। वे मां के दूध, फल और सब्जियां सही मात्रा में नहीं लेते हैं, जिस कारण बच्चों की सेहत गिर रही है।

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क्या है कुपोषण

बाल रोग विशेषज्ञ डा. संजीव ढींगरा का कहना है कि अगर बच्चे का वजन सामान्य से कम हो तो वह कुपोषण से पीड़ित होता है। अगर वजन अधिक हो तो उसे भी कुपोषण का ही शिकार कहा जाता है। उनका कहना है कि कई बार बच्चों को दूध, सब्जियां व फल नहीं मिलते हैं। इस कारण उनमें कई समस्याएं होती हैं। बच्चों में विटामिन और मिनरल्स की बहुत कमी है। अगर बच्चे में विटामिन-ए की कमी हो तो उसे नजर की समस्या होती है। साफ नहीं दिखाई देता। विटामिन डी की कमी से हड्डियां कमजोर होती हैं। विटामिन सी की कमी से मसूड़ों में खून आना शुरू हो जाता है। आयरन की कमी से खून कम होता है।

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सरकारी तंत्र को इन योजनाओं का सहारा मिड डे मील सहारा

जम्मू-कश्मीर में भी सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों को मिड डे मील दिया जाता है। इसमें चावल के साथ बच्चों को सप्ताह में चार दिन दाल और दो दिन सब्जी दी जाती है। डॉक्टरों का कहना है कि इससे बच्चों को एक समय खाना सही मिलता है और कुपोषण की समस्या से निपटने में मदद मिलती है। अगर बच्चों को रोजाना दिन में दाल और सब्जी दी जाए तो इससे काफी लाभ हो सकता है। जम्मू के मुख्य शिक्षा अधिकारी जेके सूदन का कहना है कि बच्चों में मिड डे मील से कुपोषण की समस्या को दूर किया जा रहा है।

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आंगनबाड़ी सेंटरों में सहारा

बच्चों को कुपोषण की समस्या से निजात के लिए आंगनबाड़ी केंद्र भी खोले गए हैं। यहां भी बच्चों को खाने के अलावा कई अन्य चीजें दी जाती हैं, लेकिन इनकी गुणवत्ता पर अकसर प्रश्नचिन्ह लगते हैं। कुछ वर्ष पहले सांबा जिले में आंगनबाड़ी केंद्रों में घटिया खाद्य पदार्थ खरीदने का मामला सामने आया था। डॉक्टरों के अनुसार सिर्फ खाना खाने से ही कुपोषण की समस्या दूर नहीं होगी। खाने में दी जा रही चीजों की गुणवत्ता मायने रखती है। समाज कल्याण विभाग के सचिव फारूक लोन का कहना है कि बच्चों को पौष्टिक आहार दिया जाता है। बच्चों को और अधिक पौष्टिक आहार देने के लिए राज्य प्रशासन से चर्चा चल रही है।

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न्यूट्रीशिनल रिहैबिलिटेशन सेंटर

राज्य में बच्चों में कुपोषण की समस्या को दूर करने के लिए न्यूट्रीशिनल रिहैबिलिटेशन सेंटर स्थापित किए गए हैं। यह सेंटर जम्मू में श्री महाराजा गुलाब ¨सह अस्पताल और श्रीनगर में जीबी पंत अस्पताल में स्थापित किए गए हैं। यहां पर ऐसे बच्चों को खाने के अलावा सभी सुविधाएं दी जाती हैं। कुपोषण की समस्या दूर होने के बाद ही बच्चे को छुट्टी दी जाती है। यह सेंटर नेशनल हेल्थ मिशन के तहत चल रहे हैं। नेशनल हेल्थ मिशन के जम्मू संभाग के नोडल अधिकारी डा. हरजीत राय का कहना है कि जिला अस्पतालों में भी यह सेंटर मंजूर किए गए हैं। इससे बच्चों में कुपोषण की समस्या दूर होगी।

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दवाइयां निशुल्क

राज्य में बच्चों को नेशनल हेल्थ मिशन के तहत विटामिन व आयरन फोलिक टेबलेट निशुल्क दी जाती है। यह स्कूल स्तर पर दी जाती है। इसके अलावा नेशनल डिवार्मिग डे मनाया जाता है। बच्चों में कीड़े की समस्या को दूर करने के लिए दवाई दी जाती है। इससे भी बच्चों में कुपोषण की समस्या दूर होती है।

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