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अंग्रेजी में एमए जुनैद ने थामा हिज्ब का हाथ, सोशल मीडिया पर फोटो हुआ वायरल

पुलिस सूत्रों का कहना है कि इसी तरह पुलवामा के दो अन्य युवाओं के भी आतंकवादी संगठन में शामिल होने की सूचना है।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Tue, 11 Jun 2019 05:34 PM (IST)Updated: Tue, 11 Jun 2019 05:34 PM (IST)
अंग्रेजी में एमए जुनैद ने थामा हिज्ब का हाथ, सोशल मीडिया पर फोटो हुआ वायरल

बारामूला, जेएनएन। कश्मीर घाटी में युवाओं का आतंकी संगठनों में शामिल होने का सिलसिला एक बार फिर जोर पकड़ने लगा है। सूत्रों के हवाले से कश्मीर संभाग के विभिन्न इलाकों से पचास से अधिक युवा अपने घरों को छोड़ आतंकवाद की राह पर निकल पड़े हैं। उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले के हमरे इलाके के रहने वाले जुनैद फारूक का एके-47 के साथ खिंचाया गया फोटो पिछले दो-तीन दिनों से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। यह फोटो उसने अपने परिवार तक यह संदेश पहुंचाने के लिए भेजा है कि वह जेहाद की लड़ाई में शामिल होने के लिए आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन में शामिल हो चुका है।

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वहीं पुलिस विभाग ने भी सोशल मीडिया पर वायरल हो रही जुनैद की फोटो की पुष्टि करते हुए कहा कि उसके परिवार ने कभी भी किसी पुलिस स्टेशन में उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज नहीं कराई है। वह वायरल फोटो के विवरण की पुष्टि कर रहे हैं। जुनैद पुत्र फारूक पंडित एमए अंग्रेजी कर चुका है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि इसी तरह पुलवामा के दो अन्य युवाओं के भी आतंकवादी संगठन में शामिल होने की सूचना है। हालांकि इनके परिजनों ने संबंधित थानों में अपने बच्चों की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई है।

पुलिस जुनैद सहित अन्य युवाओं को ढूंढने का प्रयास कर रही है। सुरक्षाबलों का यह प्रयास रहेगा कि मुख्यधारा से भटककर आतंकवाद की राह पर निकल पड़े इन युवाओं को किसी तरह उनके परिवार में वापिस लाया जा सके।

सनद रहे कि कश्मीर में 08 जुलाई 2016 को बुरहान वानी के एनकाउंटर के बाद आतंकवादी संगठनों में स्थानीय युवाओं के शामिल होने के मामले काफी बढ़ गए थे। सुरक्षाबलों द्वारा कश्मीर में आतंकवाद को समाप्त करने के लिए शुरू किए गए आपरेशन आॅल आउट में काफी संख्या में आतंकवादियों को मार गिराया जा रहा है। दक्षिण कश्मीर में एक अप्रैल 2019 को एक ही दिन हुई तीन मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने 13 स्थानीय आतंकवादियों को मौत के घाट उतार दिया था। इससे स्थानीय युवाओं के आतंकी संगठनों में शामिल होने की संख्या में कमी तो आई परंतु यह सिलसिला पूरी तरह से थमा नहीं है।

यह अवश्य है कि सेना की इस कार्रवाई से आतंकवादी संगठनों की चिंता अवश्य बढ़ गई है। पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं व घाटी में उन्हें सहयोग दे रहे अलगाववादियों से आर्थिक मदद मिलना भी कम हो गई। आतंकवाद पर सुरक्षाबलों के कसते शिकंजे को देख आतंकवादी संगठन धर्म व कथित आजादी के नाम पर स्थानीय युवाओं को बरगला कर अपने साथ शामिल करने का प्रयास कर रहे हैं। सुरक्षाबलों का कहना है कि युवाओं को आतंकवाद की राह पर जाने से रोकने के लिए वह योजना पर काम कर रहे हैं। भटके युवाओं को वापिस लाने का प्रयास किया जा रहा है।

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