Lok Sabha Elections 2019: यहां भाजपा का चक्रव्यूह भेदना कांग्रेस के लिए नहीं आसान, किस करवट बैठेगा चुनावी ऊंट
लद्दाख संसदीय सीट पर राष्ट्रीय राजनीतिक दलों की निगाह लगी है। कांग्रेस व भाजपा का लक्ष्य किसी तरह इस सीट पर जीत हासिल करने का है लेकिन दोनों दलों की रणनीति में बहुत अंतर है।
जम्मू, राज्य ब्यूरो। लद्दाख संसदीय सीट पर राष्ट्रीय राजनीतिक दलों की निगाह लगी है। कांग्रेस व भाजपा का लक्ष्य किसी तरह इस सीट पर जीत हासिल करने का है, लेकिन दोनों दलों की रणनीति में बहुत अंतर है। भाजपा ने एक के बाद एक दिग्गज स्टार प्रचारकों के दौरों से माहौल गरमा दिया है। उत्साहित भाजपाई जीत को लेकर आश्वस्त भी नजर आ रहे हैं।
वहीं, प्रचार में स्टार प्रचारकों की गैर मौजूदगी से कांग्रेस के खेमे में निराशा हैं, लेकिन कांग्रेस के रणनीतिकारों को कश्मीर केंद्रित दलों से सहयोग की उम्मीद है। इस तरह से प्रचार की जंग में कांग्रेस को बने रहने के लिए अतिरिक्त दम लगाना होगा। फिलहाल इसकी कोई रणनीति भी नहीं दिख रही है।
वर्ष 2014 के चुनाव में भाजपा के खाते में गई लद्दाख संसदीय सीट के लिए इस बार मतदान 6 मई को है। ऐसे में 4 मई की शाम को इस संसदीय क्षेत्र में प्रचार खत्म हो जाएगा। अप्रैल माह में जम्मू संभाग की दोनों संसदीय सीटों का मतदान खत्म होने के बाद प्रदेश भाजपा ने लद्दाख के चुनाव प्रचार में पूरी ताकत झोंक दी है। अब तक केंद्रीय गृह राज्य मंत्री किरण रिजिजू, प्रधानमंत्री कार्यालय के राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अविनाश राय खन्ना व राष्ट्रीय महासचिव राम माधव लद्दाख में प्रचार कर चुके हैं। दो दिन के लिए एक मई को मुख्तार अब्बास नकवी लद्दाख आ रहे हैं। इसके अलावा बौद्ध समुदाय व तिब्बत के मुद्दे पर काम कर रहे संघ-परिवार के कई संगठन भी इलाके में सक्रिय हैं। भाजपा के रणनीतिकारों का प्रयास है कि 4 मई तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी या फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह की लेह में रैली कराई जाए।
वहीं, दूसरी ओर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रविन्द्र रैना के नेतृत्व में नेताओं का एक दल लगातार सक्रियता बनाए हुए है। इसके अलावा लद्दाख के प्रभारी विक्रम रंधावा, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सत शर्मा, सभी मोर्चों के प्रभारी मुनीश शर्मा इन दिनों लद्दाख संभाग के लेह व कारगिल जिलों में प्रचार जारी रखे हुए हैं।
भाजपा अध्यक्ष रविन्द्र रैना का कहना है कि लद्दाख क्षेत्र में राजनीतिक लक्ष्य हासिल करने के लिए कार्यकर्ताओं का हौसला बुलंद है। परिस्थितियां भी अनुकूल हैं। संसदीय क्षेत्र के हर कोने तक मोदी सरकार के तेज विकास के नारे को पहुंचाया जाएगा।
वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस प्रचार के मामले में भाजपा के मुकाबले पिछड़ गई है। प्रभावी संगठन के अभाव में व्यूह रचना और प्रचार प्रबंधन के मामले में कांग्रेस की कमजोरी साफ दिख रही है। अभी भी पार्टी का प्रचार मुख्य तौर पर कांग्रेस उम्मीदवार रिगजिन स्पालबार व वरिष्ठ नेता रिगजिन स्पालबार ही संभाले हैं। राष्ट्रीय नेतृत्व ने भी अब तक लद्दाख को प्रचार के मामले में खास तवज्जो नहीं दी है। इस कारण संगठन निष्क्रिय है तो कार्यकर्ताओं में उत्साह नहीं है।
प्रचार खत्म होने में पांच दिन बचे हैं, अभी तक किसी स्टार प्रचारक का समय तय नहीं हो पाया है। यही वजह है कि लेह जिला इकाई में जोश नदारद है। स्थिति यह है कि राज्य इकाई ने भी लद्दाख पर अधिक तवज्जो नहीं दी है और पार्टी के प्रदेश स्तर के नेता भी वहां अधिक दम दिखाते नहीं दिख रहे। ऐसे में प्रचार के अंतिम चरण में कांग्रेस को फिर से रणनीति पर मंथन करना होगा, अन्यथा उसकी चुनौती बढ़ सकती है।