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खुशखबरी : जम्मू की लाइफ लाइन बनने जा रही है लाइट मेट्रो, शहर की सड़कों के किनारों से होकर गुजरेगी

लाइट मेट्रो जम्मू की लाइफ लाइन बनने जा रही है। कुछ अलग किस्म की ये लाइट मेट्रो शहर की सड़कों के किनारों से होकर गुजरेगी। हालांकि कुछ जगह पर पुलों का सहारा लिया जाएगा।

By Preeti jhaEdited By: Published: Thu, 27 Jun 2019 10:28 AM (IST)Updated: Thu, 27 Jun 2019 10:28 AM (IST)
खुशखबरी : जम्मू की लाइफ लाइन बनने जा रही है लाइट मेट्रो, शहर की सड़कों के किनारों से होकर गुजरेगी
खुशखबरी : जम्मू की लाइफ लाइन बनने जा रही है लाइट मेट्रो, शहर की सड़कों के किनारों से होकर गुजरेगी

जम्मू, ललित कुमार। लाइट मेट्रो जम्मू की लाइफ लाइन बनने जा रही है। कुछ अलग किस्म की ये लाइट मेट्रो शहर की सड़कों के किनारों से होकर गुजरेगी। हालांकि कुछ जगह पर पुलों का सहारा लिया जाएगा।

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जम्मू कश्मीर की दोनों राजधानियों श्रीनगर व जम्मू में लाइट मेट्रो चलाने की योजना है। दोनों शहरों में पहले चरण में करीब 25 किमी तक लाइट मेट्रो चलाई जाएगी। इससे ट्रैफिक जाम से लोगों को काफी हद तक निजात मिलेगा ही प्राइवेट पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर भी निर्भरता कम होगी। सड़क किनारे ट्रैक बिछेगा। इस ड्रीम प्रोजेक्ट को लेकर डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा रही है, जिसे 15 जुलाई तक अंतिम रूप दिया जाएगा। यह पूरा प्रोजेक्ट हाल ही में गठित मेट्रोपालिटन रीजनल डेवलपमेंट अथॉरिटी की देखरेख में पूरा होगा। अगर योजना के अनुसार सबकुछ ठीक रहा तो दो अक्टूबर यानि गांधी जयंती पर एक साथ प्रोजेक्ट का नींव पत्थर रखा जाएगा।

श्रीनगर में बनेंगे 24 स्टेशन

श्रीनगर में 12.5 किलोमीटर के दो कॉरिडोर बनेंगे। 12-12 स्टेशन होंगे।

पहला कॉरिडोर : एचएमटी (शालटेंग) से शुरू होगा पहला कॉरिडोर। सेना की 15 कोर मुख्यालय के निकट इंदिरा नगर में खत्म होगा।

’दूसरा कॉरिडोर : 12.5 किमी का दूसरा कॉरिडोर होगा और इसमें 12 स्टेशन बनाए जाएंगे। यह कॉरिडोर उसमानाबाद से शुरू होगा। शहर से होते हुए हजूरीबाग में खत्म होगा।

अंतिम मंजूरी केंद्र से मिलेगी

डीपीआर तैयार होने के बाद इसे अथॉरिटी के बोर्ड के सामने रखा जाएगा। वहां से मंजूरी मिलने के बाद इसे राज्य कैबिनेट, मौजूदा समय में प्रदेश प्रशासनिक समिति के सामने रखा जाएगा। डीपीआर को राज्य स्तर पर हरी झंडी मिलने के बाद अंतिम मंजूरी के लिए इसे केंद्र सरकार के पास भेजा जाएगा। केंद्र से भी इसे जल्द मंजूरी मिलने का अनुमान है। संभावना जताई जा रही है कि इसी साल कार्य भी आरंभ हो जाएगा।

पहला कॉरिडोर बन तालाब से ज्यूल, रेलवे स्टेशन व त्रिकुटा नगर एक्सटेंशन से होते हुए ग्रेटर कैलाश तक होगा। इसमें कुल 17 स्टेशन बनाए जाएंगे। इस कॉरिडोर को बड़ी ब्राह्मणा तक बढ़ाने पर भी गौर किया जा रहा है। दूसरा कॉरिडोर उदयवाला व प्रदर्शनी मैदान तक बनाया जा रहा है जिसमें छह स्टेशन बनाने का प्रस्ताव है।

प्राइवेट मिनी बस और बसों पर लोग निर्भर

मौजूदा समय मेंं जम्मू कश्मीर में प्राइवेट पब्लिक ट्रांसपोर्ट पर ही लोग निर्भर हैं। छोटे रूट पर मिनी बस और लंबे रूट पर बसें चलती हैं। जम्मू में विभिन्न रूट पर पांच हजार से अधिक मिनी बसें चलती हैं। इसी कारण राज्य ट्रैफिक समस्या से सबसे अधिक जूझ रहा है।

सड़क के नीचे नहीं, ऊपर दौड़ेगी लाइट मेट्रो

मेट्रो का ध्यान आते ही यह लगता है कि भूमिगत रास्ता भी होगा लेकिन श्रीनगर व जम्मू में चलने वाली लाइट मेट्रो पूरी तरह से सड़क व सड़क से ऊपर पिलरों पर चलेगी। चूंकि भूमिगत प्रोजेक्ट की तुलना में इसका खर्च करीब 50 फीसद है, लिहाजा राज्यपाल प्रशासन ने इसे पूरी तरह से जमीन के ऊपर रखने का फैसला किया है। भूमिगत प्रोजेक्ट में प्रति किलोमीटर खर्च करीब 500 करोड़ रुपये आता है। इसमें करीब 250 करोड़। इसके अलावा रखरखाव खर्च भी 50 फीसद कम है।

जम्मू की सकरी सड़कों पर इस प्रोजेक्ट को सफल बनाने के लिए पिलरों का सहारा लिया जाएगा। जहां सड़क पर जगह होगी वहां ट्रैक रखा जाएगा और जहां सड़क की चौड़ाई कम होगी पिलर खड़े करके उस पर लाइट मेट्रो दौड़ाई जाएगी। चूंकि इसकी चौड़ाई भी कम होती है। वजन भी मेट्रो की तुलना में कम, लिहाजा पतले पिलर बनने से सड़क पर यातायात भी प्रभावित नहीं होगा।

श्रीधरन कर चुके हैं मुआयना

13 जून को जम्मू आए मेट्रो मैन के नाम से मशहूर श्रीधरन ने पूरे प्रोजेक्ट का जायजा लिया था। श्रीधरन मास रेपिड ट्रांसिट सिस्टम में जम्मू-कश्मीर के प्रमुख सलाहकार है। श्रीधरन ने अपने दौरे के दौरान श्रीनगर व जम्मू में प्रस्तावित कॉरिडोर का दौरा कर जमीनी स्थिति की समीक्षा की थी और राज्य के आला प्रशासनिक अधिकारियों के अलावा इस प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों के साथ बैठक कर विस्तृत चर्चा की थी। उनके परार्मश पर ही अब डीपीआर को अंतिम रूप दिया जा रहा है।

मेनेजिंग डायरेक्टर मेट्रोपालिटन रीजनल डेवलपमेंट अथॉरिटी राजीव रंजन ने कहा कि ड्रीम प्रोजेक्ट पर हम दिन-रात काम कर रहे हैं। हमारी पूरी कोशिश है कि 15-20 जुलाई तक डीपीआर को अंतिम रूप देकर मंजूरी के लिए सौंप दिया जाए और साल के अंत तक प्रोजेक्ट पर काम शुरू हो जाए। हमने इसका डाक्यूमेंट तैयार करके केंद्र सरकार को भेजा था जिसे काफी सराहा गया। हमारा डाक्यूमेंट देखकर केंद्र सरकार ने अन्य राज्यों को मेट्रो की जगह लाइट मेट्रो प्रोजेक्ट पर काम करने की सलाह दी। यूरोपियन देशों में लाइट मेट्रो चल रही है। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से दोनों शहरों में ट्रैफिक समस्या हद तक हल होगी। श्रीनगर व जम्मू में इस प्रोजेक्ट के शुरू होने के बाद दूसरे शहरों में भी प्रोजेक्ट पर काम होगा। 

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