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जम्मू कश्मीर में लाड़ली बेटी योजना भी हुई डिजिटल, अब आनलाइन करना होगा आवेदन

मुख्य सचिव डा. अरुण कुमार मेहता ने एनआइसी द्वारा डिजाइन और विकसित लाड़ली बेटी योजना के लिए डिजिटल ई-सेवा शुरू की है। यह बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के आवेदन जमा करने और ट्रैक करने के लिए एक सिंगल विंडो प्लेटफार्म है।

By Lokesh Chandra MishraEdited By: Published: Thu, 29 Sep 2022 09:10 PM (IST)Updated: Thu, 29 Sep 2022 09:10 PM (IST)
जम्मू कश्मीर में लाड़ली बेटी योजना भी हुई डिजिटल, अब आनलाइन करना होगा आवेदन
स्वीकृत आवेदनों और डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित पत्रों को आनलाइन ही बैंक को भेज दिया जाएगा।

जम्मू, राज्य ब्यूरो : लाड़ली बेटी योजना में पारदर्शिता बनाए रखने और अधिकतम लाभार्थियों तक पहुंच बनाने के लिए जम्मू-कश्मीर सरकार ने इस सामाजिक सहायता योजना को पूरी तरह से डिजिटल कर दिया है। समाज कल्याण विभाग ने सभी अधिकारियों से कहा है कि वे अब डिजिटल को छोड़ अन्य आवेदनों से दूर रहें। अधिकारियों को 45 दिनों की समय सीमा के भीतर अन्य सभी आवेदनों कीे स्थिति को स्पष्ट करने को कहा गया है।

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मुख्य सचिव डा. अरुण कुमार मेहता ने एनआइसी द्वारा डिजाइन और विकसित लाड़ली बेटी योजना के लिए डिजिटल ई-सेवा शुरू की है। यह बिना किसी मानवीय हस्तक्षेप के आवेदन जमा करने और ट्रैक करने के लिए एक सिंगल विंडो प्लेटफार्म है। इस सेवा के माध्यम से आवेदक अपने आवेदन की जांच करने, आवेदन की स्थिति को ट्रैक भी कर सकता है। उसका आवेदन किसके पास पहुंचा, उसे पूरी जानकारी मिल जाती है। साथ ही स्वीकृत आवेदनों और डिजिटल रूप से हस्ताक्षरित पत्रों को आनलाइन ही बैंक को भेज दिया जाएगा।

किसे मिल सकता है योजना का लाभ : इस योजना के तहत एक अप्रैल 2015 को या उसके बाद पैदा हुई सभी बेटियों और जिनके अभिभावक की आय 75000 रुपये प्रति वर्ष से अधिक नहीं है, उन्हें लाभ दिया जा रहा है। लाभार्थियों को 14 वर्ष की आयु तक बेटी के बैंक खाते में डीबीटी मोड के माध्यम से प्रति माह 1000 रुपये जमा किए जाते हैं और 21 वर्ष की आयु प्राप्त होने के बाद बेटी को लगभग 6.50 लाख रुपये की राशि मिलेगी।

जिला उपायुक्त आवेदन को अस्वीकार या मंजूर कर सकते हैं : बाल विकास संरक्षण अधिकारियों को विधिवत रिकार्ड की जांच करने के बाद अगर आवेदन में कोई कमी हो तो इसे वापस करने या 15 दिनों के भीतर आवेदन को अनुमोदन के लिए जिला कार्यक्रम अधिकारी को भेजने के लिए कहा गया है। इसी प्रकार जिला कार्यक्रम अधिकारी पूरा रिकार्ड देखने के बाद अगर उसे कमी दिखती है तो इसे अस्वीकार कर सकते हैं या फिर स्वीकृति के लिए 10 दिनों के भीतर आवेदन जिला उपायुक्त को भेज सकते हैं। जिला उपायुक्त भी आवेदन को अस्वीकार या मंजूर कर सकते हैं। वह बीस दिनों के भीतर इसे समाज कल्याण विभाग के वित्त निदेशक के पास भेजेंगे।

उपराज्यपल मनोज सिन्हा ने कहा कि 2018 तक इस योजना के तहत सिर्फ 26,050 बेटियों को ही लाड़ली बेटी योजना का लाभ मिल रहा था, लेकिन गत तीन वर्ष में एक लाख से अधिक बेटियों को इसका लाभ दिया जा रहा है। सरकार ने इस वित्त वर्ष के लिए 150 करोड़ रुपये मंजूर किए हैं। अभी तक 75 करोड़ रुपये लाभार्थियों के खातों में जमा करवा दिए गए हैं।


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