भाजपा के लिए तुरूप का पत्ता होगा लद्दाख संभाग
राज्य ब्यूरो, जम्मू : राज्य में लोकसभा चुनाव में सभी सीटें जीतने के लिए जोर लगा रही भारतीय ज
राज्य ब्यूरो, जम्मू : राज्य में लोकसभा चुनाव में सभी सीटें जीतने के लिए जोर लगा रही भारतीय जनता पार्टी के लिए नवगठित लद्दाख संभाग तुरूप का पत्ता है। इस समय लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश की मांग को लेकर सुलग रहा है। भाजपा के सांसद थुप्स्तन छिवांग इस मुद्दे पर इस्तीफा दे चुके हैं। भाजपा के लिए लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाना फिलहाल आसान नहीं है।
ऐसे में नाराज लद्दाखियों को शांत करने की दिशा में अलग संभाग बनाना भाजपा का एक बड़ा कदम है। इस समय भाजपा अपने नाराज सांसद को मनाकर लद्दाख की लोकसभा सीट एक बार फिर जीतने की कोशिश में है। थुप्स्तन छिवांग के बाद उनके कई समर्थक भाजपा छोड़ रहे हैं, जो पार्टी के लिए सही नहीं है। अब लद्दाख के अलग संभाग बनने से भाजपा को लोकसभा व विधानसभा चुनावों में फायदा हो सकता है। पार्टी ने क्षेत्र से भेदभाव खत्म करने की दिशा में कार्रवाई की है। लद्दाख कश्मीर संभाग का हिस्सा होने के कारण क्षेत्र को लेकर होने वाला हर फैसला कश्मीर प्रशासन करता था। इससे लद्दाख की आकांक्षाओं को नजरअंदाज करने का मुद्दा बुलंद होता रहता है। भाजपा लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग पर कायम : रविंद्र रैना
प्रदेश भाजपा अध्यक्ष रविंद्र रैना ने इसे लद्दाख के बेहतर भविष्य के लिए एक बड़ा फैसला करार दिया है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राज्यपाल सत्यपाल मलिक का आभार जताते हुए उन्होंने कहा कि क्षेत्र से 70 साल से जारी भेदभाव का दौर खत्म हुआ है। कांग्रेस, नेशनल कांफ्रेंस व पीडीपी ने क्षेत्र को नजरअंदाज करने के अलावा कुछ नहीं किया। उन्होंने स्पष्ट किया कि भाजपा लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाने की मांग पर कायम है। लद्दाख को अलग संभाग बनाना केंद्र शासित प्रदेश बनाने की दिशा में पहला कदम है। पहली बार भाजपा जीती थी लोकसभा सीट
भाजपा ने वर्ष 2014 के अपने चुनाव घोषणापत्र में लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा देने का एलान किया था, लेकिन यह वादा पूरा नहीं हुआ। इससे स्थानीय लोग नाराज थे। केंद्र शासित प्रदेश का यकीन दिलाने के बाद ही भाजपा पहली बार लद्दाख की लोकसभा सीट जीतने में कामयाब रही और लद्दाख यूनियन टेरीटेरी फ्रंट (एलयूटीएफ) के संस्थापक थुप्स्तान छिवांग भाजपा के टिकट पर सांसद बने। उन्होंने गत दिनों लद्दाख की उपेक्षा का आरोप लगाते हुए भाजपा और संसद की सदस्यता छोड़ दी। इससे कुछ समय पहले ही एलएएचडीसी लेह के चुनावों में भाजपा को नुकसान झेलना पड़ा। अब भाजपा और जोखिम उठाने के मूड में नहीं है।
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छिवांग को मनाने की कोशिशें तेज होंगी
भाजपा ने वर्ष 2014 में लद्दाख की एकमात्र लोकसभा सीट पर जीत हासिल कर इतिहास रचा था। भाजपा के उम्मीदवार थुप्स्तन छिवांग ने कांग्रेस के असंतुष्ट गुलाम रजा को हराया था। छिवांग मात्र 36 वोटों के अंतर से जीते थे। ऐसे में भाजपा के प्रति अब नाराजगी लोकसभा चुनाव में पार्टी को भारी पड़ सकती है। निकाय चुनाव में भाजपा को लेह काउंसिल में एक भी सीट नहीं मिली। इसी के चलते भाजपा ने क्षेत्र में जनाधार मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री दौरे के साथ कलस्टर विश्वविद्यालय की नींव रखकर इसे अलग संभाग बनाया है। इस फैसले के बाद छिवांग को मनाकर उन्हें फिर से चुनाव लड़वाने की कोशिश होगी।
भाजपा ने लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिलाने के मुद्दे पर चुनाव लड़ा था। पार्टी ने लद्दाख के लोगों से वादा किया था कि छह महीने के अंदर लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश का दर्जा दिलाया जाएगा, लेकिन वादा पूरा न होने से क्षेत्र में असंतोष पैदा हो गया।