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Union Territory Ladakh: लद्दाख से फिर उठी विधानसभा गठन और छठी अनुसूची की आवाज

केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद लद्दाख में स्थानीय प्रशासन का कामकाज उम्मीदों के अनुरूप नहीं है। इसलिए अपेक्स कमेटी की बैठक में मौजूद सभी लोगों ने तय किया है कि लद्दाख में भी विधानसभा होनी चाहिए जो लद्दाख के संदर्भ में कानून बनाए।

By Rahul SharmaEdited By: Published: Thu, 24 Jun 2021 08:57 AM (IST)Updated: Thu, 24 Jun 2021 08:57 AM (IST)
केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद लद्दाख में स्थानीय प्रशासन का कामकाज उम्मीदों के अनुरूप नहीं है।

श्रीनगर, राज्य ब्यूरो : जम्मू कश्मीर के मुख्यधारा के राजनीतिक दलों के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ दिल्ली में वीरवार को बैठक से एक दिन पहले बुधवार को लद्दाख के विभिन्न राजनीतिक-सामाजिक व मजहबी संगठनों के साझा मंच अपेक्स कमेटी फार पीपुल्स मूवमेंट आफ लद्दाख ने एक सुर में लद्दाख में विधानसभा गठन और प्रदेश को छठी अनुसूची को लागू करने मांग दोहराई है। अपेक्स कमेटी में भाजपा और कांग्रेस के स्थानीय नेता भी शामिल हैं।

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लद्दाख के पूर्व सांसद थुपस्तान छेवांग और सांसद जामयांग सेरिंग नामग्याल ने बुधवार को लेह में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि हम दो बार केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिल चुके हैं। हमने उनसे लद्दाख में भी विधानसभा के गठन और लद्दाख को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग की है। यह लद्दाखियों के सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक और आॢथक हितों के साथ साथ पर्यावरण के संरक्षण के लिए भी बहुत जरूरी है। हमारी यह मांग आज तक पूरी नहीं हुई है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने कश्मीर के नेताओं को बातचीत के लिए बुलाया है। वीरवार को होने वाली इस बैठक में जम्मू कश्मीर के संदर्भ में कोई बड़ा फैसला लिया जा सकता है। इसलिए हम चाहते हैं कि लद्दाख के लंबित मुद्दों को भी जल्द हल किया जाए। हम यहां जमीन, नौकरी, पर्यावरण संरक्षण, सांस्कृतिक संरक्षण व अन्य हितों की बात कर रहे हैं।

पूर्व सांसद छेवांग ने कहा कि लद्दाख प्रदेश का गठन जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के तहत हुआ है। लद्दाख पहले जम्मू कश्मीर का ही एक हिस्सा था। यहां लोग अनुच्छेद 370 और 35ए के समाप्त होने के बाद अपने भविष्य को लेकर भी आशंकित हैं। केंद्र शासित प्रदेश बनने के बाद लद्दाख में स्थानीय प्रशासन का कामकाज उम्मीदों के अनुरूप नहीं है। इसलिए अपेक्स कमेटी की बैठक में मौजूद सभी लोगों ने तय किया है कि लद्दाख में भी विधानसभा होनी चाहिए जो लद्दाख के संदर्भ में कानून बनाए। अगर यहां विधानसभा बनाई जाती है तो भी लद्दाखियों क हितों के लिए भारतीय संविधान की छठी अनुसूची को लागू किया जाना अनिवार्य है। क्योंकि यहां 95 फीसद से ज्यादा आबादी अनूसूचित जनजाति वर्ग से है। इसके अलावा भौगोलिक परिस्थितियां भी काफी कठिन हैं।

अगले माह मिलेंगे गृहमंत्री से: एक सवाल के जवाब में थुपस्तन छेवांग ने कहा कि केंद्रीय गृहमंत्रालय के साथ हमारी इस मुद्दे पर पहले ही बातचीत चल रही है, लेकिन अभी तक कोई नतीजा नहीं निकला है। केंद्र सरकार ने हमारी मांगों पर विचार और वार्ता के लिए केंद्रीय गृह राज्यमंत्री जी किशन रेड्डी के नेतृत्व में एक समिति भी बनाई है, लेकिन समिति के सदस्य ही नामजद नहीं किए गए हैं।हम जल्द ही कारगिल के सभी मजहबी, सामाजिक और राजनीतिक संगठनों के साथ भी बातचीत करने जा रहे हैं। इसके बाद लद्दाख के सांसद की अध्यक्षता में एक समिति बनाएंगे जो अगले माह दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री से मुलाकात करेगी। 


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