अब लद्दाख में भाजपा, कांग्रेस में जोर आजमाइश
राज्य ब्यूरो, जम्मू : ऊधमपुर-डोडा संसदीय क्षेत्र के साथ अब भाजपा व कांग्रेस के बीच लद्दाख संसदीय क्ष
राज्य ब्यूरो, जम्मू : ऊधमपुर-डोडा संसदीय क्षेत्र के साथ अब भाजपा व कांग्रेस के बीच लद्दाख संसदीय क्षेत्र के लिए भी जोर आजमाइश शुरू हो जाएगी।
भाजपा इस सीट से जीत दोहराने के लिए पूरा जोर लगा रही है। ऐसे में क्षेत्र में चुनावी तैयारियों को तेजी देने के लिए केंद्रीय गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू मंगलवार को लेह पहुंच रहे हैं। रिजिजू मंगलवार को लद्दाख से भाजपा के उम्मीदवार व लेह हिल काउंसिल के मौजूदा चीफ एग्जीक्यूटिव काउंसिलर जामियांग सीरिग नाम्गयाल के नामांकन पत्र भरने के समय मौजूद रहेंगे। उसके बाद चुनावी बैठकें भी करेंगे।
क्षेत्र से कांग्रेस के उम्मीदवार व लेह हिल काउंसिल के पूर्व चीफ एग्जीक्यूटिव काउंसिलर रिगजिन स्पालबार सोमवार को लद्दाख संसदीय सीट के लिए लेह में नामांकन पत्र भरेंगे। उनके साथ लेह के पूर्व विधायक व कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रिगजिन जोरा भी होंगे। वहीं दूसरी ओर भाजपा के उम्मीदवार जामियांग सीरिग नाम्गयाल 16 अप्रैल को नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। इस दौरान भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अविनाश राय खन्ना, गृह राज्यमंत्री किरण रिजिजू व लद्दाख के प्रभारी, एमएलसी विक्रम रंधावा भी उनके साथ होंगे। नामांकन पत्र भरने का अंतिम दिन 18 अप्रैल है। लद्दाख संसदीय सीट के लिए मतदान पांचवें चरण में 6 मई को मतदान होना है। अभी तक इस संसदीय सीट के लिए नेशनल कांफ्रेंस ने अपने उम्मीदवार का फैसला नही किया है।
चुनावी तैयारियों को तेजी देने के लिए भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अविनाश राय खन्ना व एमएलसी विक्रम रंधावा सोमवार को लेह रवाना हो रहे हैं। दोनों नेता लेह में चुनावी बैठकों को संबोधित करने के साथ संसदीय क्षेत्र से पार्टी उम्मीदवार को कामयाब बनाने के लिए हो हे प्रचार के बारे में भी जानकारी हासिल करेंगे।
लद्दाख में इस समय भाजपा की पद प्रतिष्ठा दाव पर लगी हुई है। भाजपा ने 2014 में पहली बार यह संसदीय सीट जीतकर इतिहास रचा था। भाजपा सांसद थुप्स्तन छिवांग ने हाल ही में यह कहकर सांसद के पद व भाजपा से इस्तीफा दे दिया था कि पार्टी ने लद्दाख के लोगों से किए वादों को पूरा नही किया। इनमें से एक वादा लद्दाख को यूनियन टेरेटरी बनाना था।
छिवांग वर्ष 2004 के संसदीय चुनाव में यूनियन टेरेटरी के मुद्दे पर निर्दलीय रूप से चुनाव लड़कर पहली बार लद्दाख के सांसद बने थे। भाजपा की बड़ी कोशिशों के बाद भी छिवांग फिर से भाजपा के उम्मीदवार बनने के लिए राजी नहीं हुए। अब कांग्रेस इस नाराजगी को भुनाकर राजनीतिक फायदा हासिल करने की कोशिश कर रही है।