पाकिस्तान मौत बरसा रहा, नहीं मिल रहा छिपने का ठिकाना; गोलाबारी में आहत कर रही बंकरों की कमी
जम्मू जिले के सीमांत इलाकों में बन रहे 1320 बंकरों में से अब तक महज 200 के करीब बंकर ही बन पाए हैं। ऐसे में सीमांत वासी जोरशोर से उनके इलाकों में बंकरों की कमी का मुद्दा उठा रहे हैं।
जम्मू, विवेक सिंह। पाकिस्तान की गाेलाबारी से प्रभावित जम्मू कश्मीर में बंकरों की कमी सीमांत वासियों को आहत कर रही है। पाकिस्तान इस समय आसमान से मौत बरसा रहा है व लोगों के पास छिपने का ठिकाना नही है। पिछले करीब दो सप्ताह से जारी गोलाबारी में चार लोगों की मौत हो चुकी है व एक दर्जन के करीब लोगोें के घायल होने से सीमा पर दहशत का आलम है। लोगों को गोलाबारी से बचाने के लिए राज्य में पंद्रह हजार के करीब बंकर बनने हैं। आलम यह है कि अभी तक इनमें से दस प्रतिशत बंकर भी नही बन पाए हैं।
जम्मू जिले के सीमांत इलाकों में बन रहे 1320 बंकरों में से अब तक महज 200 के करीब बंकर ही बन पाए हैं। ऐसे हालात में इस समय सीमांत वासी जोरशोर से उनके इलाकों में बंकरों की कमी का मुद्दा उठा रहे हैं। राज्यपाल ने इस मांग पर कार्रवाई करते हुए राजौरी व पुंछ जिलों में 200-200 अतिरिक्त अंकर बनाने को स्वीकार किया है। इससे पहले केंद्र सरकार ने राज्य में गत वर्ष 14460 सामुदायिक और निजी बंकर बनाने की मुहिम छेड़ी थी।
पंद्रह हजार के करीब बंकर लोगों को बचाने के लिए नाकाफी है। खाली जम्मू संभाग में ही चार लाख से अधिक लोग अाईबी व नियंत्रण रेखा पर गोलाबारी की जद में रहते हैं। अभी तक जम्मू में जम्मू में 200, कठुआ में 337 बंकर ही बन पाए हैं। जम्मू जिले में अरनिया, सुचेतगढ, आरएसपुरा, मढ़, खौड़ व परगवाल में 1120 बंकर अभी बनना बाकी हैं।
जम्मू पुंछ के सांसद जुगल किशोर शर्मा का कहना है कि व बंकर कम होने की मांग को लेकर गंभीर हैं। यह मुद्दा राज्यपाल सत्यपाल मलिक व केंद्र सरकार से भी उठाया गया है। उन्होंने कहा कि पूरी कोशिश की जा रही है कि गोलाबारी प्रभावित लोगों के लिए जल्द से जल्द बंकर बनाए जा सकें। इस दिशा में मौके पर जाकर भी कार्रवाई की जा रही है।
जम्मू के सीमावर्ती परगवाल में बंकरों की कमी का मुद्दा उठा रहे आईबी वेल्फेयर फोरम ने चेयरमैन सेवानिवृत जस्टिस के यशबीर सिंह मन्हास का कहना है कि लोग ज्यादा हैं व बंकर बहुत कम हैं। बंकर बनाने से मसले हल नही होंगे। ऐसे में बेहतर होगा कि सरकार सीमांत वासियों के लिए सुरक्षित जगह पर टाउनशिप बनाई जाए ताकि आए दिए होने वाली गोलाबारी से बचने के लिए कोई कारगर हल निकल पाए। यह तय है कि पाकिस्तान कभी सुधरने वाला नही है।
केंद्र सरकार की मुहिम के तहत राज्य में नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास 14460 सामुदायिक और निजी बंकर बन रहे हैं। इनके निमार्ण का जिम्मा सेंट्रल पब्लिक वकर्स डिपार्टमेंट को सौंपा गया था। केंद्र ने इन बंकरों के लिए 413 करोड़ रूपये मंजूर किए हैं। पुंछ और राजौरी जिले में एलओसी के करीब 7298 बंकर बन रहे हैं। वहीं जम्मू, कठुआ और सांबा जिले में अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास 7162 भूमिगत बंकर बनाए जा रहे हैं। बन रहे साढ़े चौदह हजार के करीब बंकरों में से 13029 निजी बंकर और 1431 सामुदायिक बंकर हैं। निजी बंकर का आकार 160 वर्ग फुट का होगा व इसमें आठ लोग शरण ले सकेंगे। तो 800 वर्ग फुट के सामुदायिक बंकर में 40 लोग आ सकेंगे।
इसके साथ सीमांत वासियों को गोलाबारी से बचाने के लिए 95 सीमा भवन बनाने के प्रोजेक्ट पर भी काम हो रहा है। अकसर गोलाबारी में लोगों को पलायन करने के लिए मजबूर होना पड़ता है। ऐसे हालात को ध्यान में रखते हुए राज्य में 2300 करोड़ की लागत से बनाए जाने वाले सीमा भवनों में सभी सुविधाएं होंगी। हर भवन में 250 से 1000 तक सीमांत वासियों काे जरूरत के समय ठहराने की व्यवस्था होगी।