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गोलियों की बौछार में घायल मेजर को बचाकर डीएसपी अमन ने पाई शहादत

नवीन नवाज श्रीनगर अमन ठाकुर। आम लोगों के लिए दोस्त और दुश्मनों के लिए काल। अपने नाम क

By JagranEdited By: Published: Mon, 25 Feb 2019 09:14 AM (IST)Updated: Mon, 25 Feb 2019 09:14 AM (IST)
गोलियों की बौछार में घायल मेजर को बचाकर डीएसपी अमन ने पाई शहादत

नवीन नवाज, श्रीनगर :

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अमन ठाकुर। आम लोगों के लिए दोस्त और दुश्मनों के लिए काल। अपने नाम की तरह ही आम लोगों के साथ हमेशा सहृदयता और अमन के दुश्मनों के साथ सख्ती से पेश आने वाले जम्मू कश्मीर पुलिस के होनहार युवा अधिकारी डीएसपी अमन ठाकुर रविवार को कुलगाम मुठभेड़ के दौरान साथियों की जान बचाते शहीद हो गए। उन्हें पता था कि वह जो करने जा रहे हैं, उसमें उनकी जान भी जा सकती है, लेकिन उन्हें अपनी आखों के सामने जख्मी पड़े सेना के मेजर व उनके साथियों को गोलियों की बौछार में छोड़ना गंवारा न था। डीजीपी ने सुनाई दास्तां :

जम्मू कश्मीर पुलिस के महानिदेशक (डीजीपी) दिलबाग सिंह ने शहीद अमन ठाकुर की बहादुरी को सराहते हुए कहा कि मुठभेड़ में जब सेना के मेजर जख्मी हो कर गिर पड़े थे तो आतंकियों की तरफ से लगातार गोलिया चल रही थी। वह अपनी जान की परवाह किए बगैर मेजर व उनके साथियों को वहा से निकालने के लिए खुद आगे गए। उन्होंने आतंकियों की गोलियों की बौछार की परवाह नहीं की। उन्होंने घायल सुरक्षाकर्मियों को वहा से निकाला और इस दौरान खुद जख्मी हो गए। वह एक सही व सच्चे पुलिसकर्मी थे। उन्होंने रियासत में अमन के लिए अपनी शहादत दी है। मौके मिले तो बताऊंगा कैसे अमन बहाल होता है :

आतंकवाद से त्रस्त जम्मू कश्मीर में जिला डोडा के गोगल गाव में पैदा हुए अमन ठाकुर ने जब होश संभाला तो अपने क्षेत्र में आतंकवाद की पीड़ा को साफ महसूस किया। उन्होंने देखा था कि कैसे लोग सहमे रहते हैं, अंधेरा होने के बाद कोई घर से बाहर नहीं निकलता, दिन के उजाले में भी लोग डरे रहते हैं। जैसे-जैसे वह बड़े होते गए उनका इस डर के माहौल को खत्म करने का इरादा पक्का होता गया। वह कहते थे कि घर वालों ने मेरा नाम अमन रखा है, लेकिन मैं अमन सिर्फ आम लोगों के लिए हूं, देश के दुश्मन हों या अपराधी, उनके लिए मैं अमन नहीं काल हूं। बस, मौका मिलना चाहिए, फिर बताऊंगा कि अमन कैसे अमन बहाल करेगा। कहते थे आतंकवाद को नष्ट करके ही तो अमन बहाल होगा :

एसएसपी हरमीत सिंह मेहता ने कहा कि अमन ठाकुर करीब दो साल पहले कुलगाम में डीएसपी आप्रेशंस नियुक्त हुए थे। कुलगाम में बीते दो सालों तक हुए लगभग हर आतंकरोधी अभियान में अमन शामिल रहे हैं। वह बहुत जोशीले थे। कई बार मजाक में हम उन्हें कहते थे कि तुम्हारा नाम अमन है, अमन का मतलब शाति होता है, तो फिर यहा कहा पुलिस में आ गए, जहा गोलिया चलानी पड़ती हैं, लाठिया चलानी पड़ती हैं तो वह हंसकर कहते थे कि अमन कायम करने ही तो आया हूं। आतंकवाद को नष्ट करके ही तो अमन बहाल होगा। अमन को उनकी बहादुरी व आतंकरोधी अभियानों में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए करीब एक माह पहले ही डीजीपी कमेंडेशन मेडल और प्रमाणपत्र मिला है। कहते थे, आपकी जिंदगी को बचाना मेरा फर्ज है :

अमन ठाकुर के साथ काम कर चुके इंस्पेक्टर रैंक के एक पुलिस अधिकारी ने कहा कि मैंने पहली बार डीएसपी साहब के साथ वर्ष 2013 में काम किया था। वह वर्ष 2011 बैच के केपीएस अधिकारी हैं। मेरे सीनियर थे। मैंने उन्हें नियमित पोलिसिंग से लेकर आतंकरोधी अभियानों में समान रूप से सक्रिय देखा है। कई बार हम कहते थे कि जनाब आप अधिकारी हैं, आगे जाकर लड़ना ठीक नहीं होगा, तो वह कहते थे कि मैं अगर आपकी टीम का कैप्टन हूं तो मुझे आपके साथ, आपके आगे रहना है। आपकी जिंदगी को बचाना मेरा फर्ज है। वाकई बहादुर थे अमन :

कश्मीर में आतंकरोधी अभियानों में उल्लेखनीय भूमिका निभा चुके इंस्पेक्टर शीतल सिंह ने कहा कि वह वाकई बहादुर थे। उनका जज्बा देखने वाला था। वह हमेशा आगे रहने में यकीन रखते थे।


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