जम्मू की कृतिका खन्ना एशियन पैरा रोइंग प्रतियोगिता में कांस्य पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला खिलाड़ी बनी
कृतिका ने साउथ कोरिया में संपन्न हुई एशियन पैरा रोइंग प्रतियोगिता में भारतीय टीम की ओर से भाग लेकर न सिर्फ जम्मू-कश्मीर का नाम रोशन किया बल्कि पदक जीतने वाली देश की पहली खिलाडी बनी
जम्मू, जागरण संवाददाता । केंद्र शासित प्रदेश जम्मू की बेटी कृतिका खन्ना ने उस कारनामे को अंजाम कर दिखाया है जिसे आज तक कोई नहीं कर सका। कृतिका ने साउथ कोरिया में संपन्न हुई एशियन पैरा रोइंग प्रतियोगिता में भारतीय टीम की ओर से भाग लेकर न सिर्फ जम्मू-कश्मीर के नाम को चार चांद लगाए बल्कि वह पदक जीतने वाली भारत की पहली महिला बन गई हैं। उनका अगला लक्ष्य अब देश की ओर से जापान के टोक्यो में वर्ष 2020 को आयोजित होने वाली समर पैरालिंपिक्स में प्रतिनिधित्व करना है।
सड़क हादसे में अपनी दाईं टांग गंवाने के बाद नहीं मानी हार
जेएंडके ग्रामीण बैंक में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर कार्यरत कृतिका ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पदक जीतना उनके लिए बहुत मायने रखता है क्योंकि वर्ष 2003 में महज 18 वर्ष की आयु में एक सड़क हादसे में अपनी दाईं टांग गंवाने के बाद काफी हताश हो गई थी। बावजूद इसके मैंने हिम्मत नहीं हारी और सैन्य अधिकारी एवं मेरे मेंटर कर्नल गौरव दत्ता ने मेरा उत्साह बढ़ाया और उनसे काफी प्रशिक्षण हासिल करने के बाद आज भारत के लिए पदक जीतने में कामयाब हुई हूं। उन्होंने राेइंग फेडरेशन ऑफ इंडिया, पैरा रोइंग कमिशन का आभार जताया है जिन्होंने उन पर पूरा विश्वास किया।
साउथ कोरिया में गत 23 से 27 अक्टूबर को आयोजित प्रतियोगिता में भारत की ओर से ज्योति राधेश्याम गडरिया, कृतिका खन्ना, कुलदीप सिंह और रोहित मरादप्पा ने पीआर3 मिक्स 4 पल्स वर्ग में भाग लेकर शानदार प्रदर्शन किया। प्रतियोगिता में भाग लेने से पहले भारतीय टीम के लिए 40 दिवसीय कैंप का आयोजन किया गया। इससे पहले गत मई महीने में भी टीम के लिए करीब दो महीने के कैंप में कड़ा अभ्यास करवाया गया। इसकी वजह से पदक जीतने का सपना साकार हो पाया है।
समर पैरालिंपिक्स में प्रतिनिधित्व करने का सपना
कृतिका को उम्मीद है कि यह पदक उन्हें जापान के टोक्यो में वर्ष 2020 को आयोजित होने वाली समर पैरालिंपिक्स में प्रतिनिधित्व करने का मौका जरूर दिलवाएगा। उन्होंने कहा कि जीवन में किसी के साथ किसी भी समय कोई भी दुर्घटना घट सकती है। ऐसे में हिम्मत नहीं हारनी चाहिए और हमेशा लक्ष्य पर नजर रखकर आगे बढ़ना चाहिए।